पुरुलिया || तृणमूल नेता की हत्या मामले में कांग्रेस उम्मीदवार गिरफ्तार

कोलकाता। पुरुलिया जिले में तृणमूल कांग्रेस के आद्रा शहर अध्यक्ष धनंजय चौबे की हत्या के मामले में पुलिस ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवार सहित दो लोगों को गिरफ्तार किया। बता दें कि गुरुवार शाम को जब चौबे पार्टी कार्यालय में थे तो उन्हें नजदीक से गोली मारी गई थी। गिरफ्तार किए गए दोनों व्यक्तियों की पहचान अरशद हुसैन और एन.डी. जमाल के रूप में हुई है। हुसैन 8 जुलाई को होने वाले राज्य पंचायत चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

राज्य कांग्रेस नेता और कलकत्ता हाई कोर्ट के वकील कौस्तव बागची ने दावा किया कि यह गिरफ्तारी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के संबंध में जिला पुलिस द्वारा रची गई एक साजिश है।  बागची ने कहा, कांग्रेस पुरुलिया में तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी है। साथ ही, जिले में राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं में अंदरूनी कलह काफी आम है।

हमें यकीन है कि गुरुवार की हत्या उसी साजिश का नतीजा थी। अब इस पर पर्दा डालने के लिए कांग्रेस उम्मीदवार और एक पार्टी कार्यकर्ता को फंसाया गया है। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के जिला नेतृत्व ने इस तरह के आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता शुरू से ही पुरुलिया जिले में शांतिपूर्ण मतदान प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे, जिसका नतीजा चौबे की हत्या थी।

इस बीच, जिला तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता चौबे की हत्या के विरोध में शुक्रवार सुबह से ही पुरुलिया जिले के विभिन्न हिस्सों में आंदोलन कर रहे हैं।  उन्होंने दावा किया कि जब तक हत्या में शामिल सभी लोगों को पकड़ नहीं लिया जाता और उचित कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक सड़क अनिश्चित काल तक जाम रहेगी।

गुरुवार को रात करीब 8.30 बजे जब चौबे अपने साथियों के साथ पार्टी कार्यालय पर बैठे थे, तभी तीन अज्ञात बदमाश मोटरसाइकिल से वहां पहुंचे और बेहद करीब से चौबे को गोली मार दी। इसे घटना में उनके अंगरक्षक शेखर दास भी घायल हुए है।

बता दें कि आनन-फानन में चौबे को गंभीर हालत में एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई। उनके बॉडीगार्ड का इलाज उसी अस्पताल में चल रहा है। गुरुवार दोपहर ही राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने अप्रत्यक्ष रूप से पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग को ग्रामीण नागरिक निकाय चुनावों में हुए खून-खराबे के लिए जिम्मेदार ठहराया था।

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