दिल्ली की तर्ज पर पुजारी ग्रंथि सम्मान योजना पूरे देश में लागू करने, हर राज्य में हड़कंप की संभावना?
भारत की राजनीतिक पार्टियों द्वारा तथाकथित सम्मान योजनाएं लागू करते समय, करदाताओं के मेहनत की कमाई से दिए टैक्स का संज्ञान लेना ज़रूरी- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत भले ही सबसे बड़ा लोकतंत्र व सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है परंतु विगत कुछ दशकों से हम देख रहे हैं कि लोकतंत्र के यज्ञ रूपी चुनाव पर्व आते ही करीब हर संपन्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा यह इस यज्ञ को मेहनत, उपलब्धियों, सेवाओं व भविष्य की रणनीति रूपी पूजा से करने की बजाय देव रूपी मतदाताओं को इस तरह की सम्मान योजनाएं देकर अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें अपने फेवर में करने का प्रचलन जोर-शोर से बढ़ते जा रहा है, जिसे आजकल रेवड़ी का नाम दिया जा रहा है। मैंनें बचपन में आंध्र प्रदेश के चुनावों में 2 रूपए किलो चावल की योजना सुनी थी उसके बाद इसका चलन बढ़ता ही चला गया, जो हमारे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के पूर्व 1500 रुपए लाडली बहन योजना तक चला, जिसने गजब का कमाल दिखाया था। अब दिल्ली के पुजारी ग्रंथि सम्मान योजना में रिकॉर्ड तोड़ प्रति व्यक्ति 18000 रुपए प्रति माह देने की चिंगारी का परिणाम पूरे देश में देखने को मिलेगा, हालांकि दिल्ली में इसका लाभ हो सकता है परंतु इसकी लौ पूरे देश में देखने को मिल सकती है। अब हर राज्य में वृद्ध, अधेड़, युवा इस क्षेत्र में अपना करियर ढूंढने लगेंगे, यानी 2.16 लाख रुपए का पैकेज प्रतिवर्ष बैठे बिठाए मिलेगा। बस! उन्हें पुजारी या ग्रंथि बनना है, जो युवाओं को भी आकर्षित कर सकता है। मेरा मानना है कि हर राजनीतिक दल इस तरह की सम्मान योजनाएं लाकर माहौल अपने पाले में लेकर सरकार बना लेते हैं। अगर हम हर क्षेत्र में रेवड़ियों की आदतें लागू करेंगे तो विजन 2047, पूर्ण विकसित भारत, 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था, सबका साथ सबका विकास, धर्म निरपेक्षता इत्यादि का क्या होगा? क्या फिर गरीब का पूजा पाठ फ्री में करने की शर्त होगी? सहित सैकड़ो प्रश्न उठेगे। चूँकि पुजारी ग्रंथि सम्मान योजना आई- बुजुर्ग, अधेड़, युवाओं को इस क्षेत्र में भी करियर की उम्मीदें नजर आई, सभी राज्यों में हड़कंप मचाई। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी का सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत की राजनीतिक पार्टियों द्वारा तथाकथित सम्मान योजनाएं लागू करते समय करदाताओं के मेहनत की कमाई से दिए टैक्स का संज्ञान लेना जरूरी है।
साथियों बात अगर हम पुजारी ग्रंथि सम्मान योजना की करें तो, विधानसभा चुनाव 2025 से पहले आप पार्टी ने दिल्ली में पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना शुरू की है। इस योजना के तहत मंदिरों में काम करने वाले पुजारियों और गुरुद्वारे के ग्रंथियों को हर महीने 18000 रुपये दिए जाएंगे। केजरीवाल ने इस योजना का ऐलान करते हुए कहा कि इसके तहत मंगलवार से ही आवेदन किया जा सकता है। इस योजना के जरिए पुजारियों और ग्रंथियों को हर महीने सम्मान राशि दी जाएगी। आप पार्टी का दावा है कि यह देश में पहली योजना है, जिसके तहत पुजारियों और ग्रंथियों की मदद की जा रही है पुजारी- ग्रंथी सम्मान योजना के तहत दिल्ली के सभी मंदिरों और गुरुद्वारों में काम करने वाले पुजारी और ग्रंथी आवेदन कर सकते हैं। हालांकि, अब तक इस योजना की पात्रता के लिए कोई सरकारी नोटिफिकेशन नहीं जारी किया गया है। चर्च में काम करने वाले लोगों का कोई जिक्र नहीं किया गया है और मस्जिद के इमामों के लिए पहले से लागू है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह योजना उनके लिए नहीं है।
इस योजना के तहत आवेदन मंगलवार (31 दिसंबर) से शुरू होगा। अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि वह खुद मंगलवार को राजीव चौक के प्राचीन हनुमान मंदिर में पुजारियों के रजिस्ट्रेशन कर पूरे दिल्ली में रजिस्ट्रेशन अभियान शुरू करेंगे। इस योजना के तहत आवेदन करने वाले पुजारियों और ग्रंथियों को हर महीने 18000 रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी। हालांकि, केजरीवाल के पोस्ट में कहा गया है कि आप के जीतने पर ये पैसे मिलेंगे। ऐसे में साफ है कि भले ही रजिस्ट्रेशन अभी से शुरू हो रहे हैं, लेकिन पुजारियों को पैसा 2025 में आप की सरकार बनने पर ही मिलेगा। अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर लिखा, आप के जीतने पर दिल्ली में मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथियों को 18,000 रूपए प्रति माह की सम्मान राशि दी जाएगी। ये योजना समाज में उनके आध्यात्मिक योगदान और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने के उनके प्रयासों का सम्मान है। बीजेपी वालों इसे रोकने की कोशिश मत करना, बहुत पाप लगेगा।
साथियों बात अगर हम इस योजना से बावल की करें तो, बीजेपी नेता ने एक्स पर लिखा, इतने साल तक तो याद नहीं आई आपको, वोट बैंक के चक्कर में इमामों को तो पैसे देने की घोषणा की पर एक टाइम बाद वो भी बंद कर दिया, आपकी किसी भी घोषणा पर लोगों को विश्वास ही नहीं है। बस चुनावी वादे कर रहे आप।जवाब में आप सांसद ने कहा, बौखलाये भाजपाई पुजारी, ग्रंथी सम्मान योजना का विरोध करने के लिए मैदान में कूद गए हैं। भाजपाइयों 22 राज्यों में तुम्हारी सरकार है तुम्हारे अंदर हिम्मत हो तो ये योजना लागू करके दिखाओ।
साथियों बात अगर हम इस योजना के बारे में पार्टी की विचारधारा की करें तो, मीडिया में बात करते हुए मंत्री ने कहा, बीजेपी को पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना से भी दिक्कत है, बीजेपी सिर्फ नकारात्मक प्रचार में लगी हुई है। उनसे पूछा गया कि क्या इस योजना की घोषणा मुस्लिम तुष्टीकरण या इमाम वेतन आरोपों का मुकाबला करने के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों में वक्फ बोर्ड इमामों को वेतन दे रहा है, आंध्र में उनके सहयोगी दल की भी ऐसी ही योजना है। इमामों को वेतन का भुगतान न करने पर उन्होंने कहा, अगर किसी का मकसद राजनीतिक करना है तो हम कुछ नहीं कर सकते। इमामों का वेतन जल्द ही दे दिया जाएगा, कुछ अधिकारी इमामों के वेतन भुगतान में बाधा पैदा कर रहे थे। जैसे पहले बुजुर्गों की पेंशन बंद कर दी गई थी, लेकिन हमने उसे मंजूरी दिला दी। इमामों के वेतन का भुगतान भी जल्द ही कर दिया जाएगा।
केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि आज मैं पुजारी और ग्रंथी सम्मान योजना का ऐलान करता हूं, इस योजना के तहत मंदिरों में भगवान की पूजा करने वाले, लोगों को पूजा करवाने वाले पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने सम्मान राशि देने का प्रावधान है। पुजारी हमारे सुख-दुख में काम आते हैं। शादी हो, बच्चे का बर्थडे हो, कोई भी खुशी का मौका हो या फिर किसी की मौत हो जाए, वह हर वक्त हमारे साथ रहते हैं लेकिन दुर्भाग्य है कि आज तक किसी ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया। इस योजना के तहत हर महीने मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18000 रुपये की राशि दी जाएगी। उन्होंने कहा कि देश में ऐसा पहली बार हो रहा है, योजना के लिए कल से रजिस्ट्रेशन शुरू किया जाएगा। कल कनॉट प्लेस से योजना की शुरुआत होगी। कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर जाकर रजिस्ट्रेशन की शुरुआत की जाएगी। इसके बाद आप के विधायक व कार्यकर्ता पूरी दिल्ली में पंजीकरण कराएंगे।
वहीं निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली में महिला सम्मान व संजीवनी योजना को पुलिस भेजकर, फर्जी केस करके रोकने की कोशिश की। उसी तरह इस योजना को रोकने की कोशिश न करे। उन्होंने कहा कि एक पुजारी हमारे सुख-दुख सब में काम आता है। इन्होंने सदियों से हमारी परंपराओं, हमारे रीति रिवाजों और संस्कारों को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया है। लेकिन पुजारी कभी अपने परिवार की तरफ ध्यान नहीं दे पाते। इनके सम्मान में सरकार बनने पर करीब 18 हजार रुपए देंगे। यह देश में पहली बार हो रहा है। आज तक किसी भी पार्टी और सरकार ने ऐसा नहीं किया। भाजपा पर आरोप लगाया कि इन्होंने संजीवनी योजना रोकने की कोशिश की लेकिन रोक नहीं पाए। उसी तरह ये पुजारियों और ग्रंथियों की योजना को रोकने की कोशिश ना करें। पुजारी और ग्रंथि हमारे और भगवान के बीच में एक सेतु का काम करते हैं। हमारी प्रार्थनाओं को भगवान तक पहुंचाते हैं।
साथिया बातें कर हम कल्याणकारी और रेवड़ी योजनाओं में फर्क को समझने की करें तो, इसपर बड़ी रोचक बहस चल रही है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया था, कोर्ट ने कहा था कि चुनाव पूर्व पार्टियों द्वारा की जाने वाली घोषणाएं प्रैक्टिकल हैं भी या नहीं? सरकारी खजाने पर उनका क्या प्रभाव पड़ता है? मुफ़्त की रेवड़ी और कल्याणकारी योजनाओं या घोषणाओं में आख़िर क्या फर्क है, इस पर बहस होनी चाहिए। उधर चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को एक चिट्ठी लिखी और पूछा कि बताइए- आपके हिसाब से कल्याणकारी योजनाएँ कौन सी हैं और मुफ़्त की रेवड़ी कौन सी? यह भी पूछा कि चुनाव पूर्व घोषणाओं के फाइनेंशियल इम्पैक्ट के बारे में भी क्यों नहीं बताया जाना चाहिए? ख़ैर चुनाव आयोग ने चिट्ठी लिखकर अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर ली। कुल मिलाकर, फ़िलहाल यह तय नहीं हो पाया है कि चुनाव पूर्व मतदाताओं को ललचाने वाली घोषणाओं पर किस तरह अंकुश लगाया जाए या अंकुश लगाया जाना भी चाहिए या नहीं। देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट का अब इस पर क्या रुख़ होता है। इस बारे में कोई नियामक आयोग बनाया जाता है या यह ज़िम्मेदारी चुनाव आयोग को ही सौंप दी जाती है,यह भविष्य ही बताएगा।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि दिल्ली में पुजारी ग्रंथि सम्मान योजना आई- बुजुर्ग अधेड़ युवाओं को इस क्षेत्र में भी करियर की उम्मीदें जगाई- सभी राज्यों में हड़कंप मचाई। दिल्ली की तर्ज़ पर पुजारी ग्रंथि सम्मान योजना पूरे देश में लागू करने, हर राज्य में हड़कंप की संभावना? भारत की राजनीतिक पार्टियों द्वारा तथाकथित सम्मान योजनाएं लागू करते समय, करदाताओं के मेहनत की कमाई से दिए टैक्स का संज्ञान लेना जरूरी है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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