बंगाल में चुनाव बाद हिंसा के दौरान बलात्कार, बलात्कार के प्रयास के 39 मामलों की जांच जारी : सीबीआई

कोलकाता। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कलकत्ता उच्च न्यायालय को सौंपी एक रिपोर्ट में कहा है कि वह पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान कथित बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के 39 मामलों की जांच कर रही है, और ऐसी 21 शिकायतों का कोई आधार नहीं मिला है। इन सभी आरोपों का जिक्र राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा गठित तथ्यान्वेषण समिति की रिपोर्ट में किया गया था।मानवाधिकार आयोग समिति का गठन उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ के निर्देश पर किया गया था। पीठ ने कई जनहित याचिकाओं की सुनवाई की, जिसमें 2021 के विधानसभा चुनावों के बाद कथित हिंसा की घटनाओं की स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया गया था।

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भारी बहुमत से राज्य विधान सभा चुनाव जीता था। पांच न्यायाधीशों की पीठ ने तथ्यान्वेषण समिति की रिपोर्ट में सामने लाए गए हत्या, बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के गंभीर आरोपों की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा था। सीबीआई ने मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा कि हत्या के 52 मामलों में से, उसने पहले ही 10 में आरोप-पत्र में दाखिल कर दिया है और ऐसी कथित 38 घटनाओं की जांच कर रही है।

यह अभी भी ऐसे दो मामलों में आरोपों की पुष्टि कर रही है और दो अन्य मामलों को अन्य कथित अपराधों की जांच के लिए पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा गठित राज्य पुलिस के एक विशेष जांच दल को वापस भेज दिये गए हैं। केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि राज्य में चुनाव बाद हिंसा के दौरान कथित बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के 39 मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

उसने यह भी कहा कि ऐसे 21 आरोपों में कोई आधार नहीं मिला और इन्हें विशेष जांच दल को भेज दिया गया। सीबीआई ने यह भी उल्लेख किया कि वह दो और मामलों में यौन उत्पीड़न के आरोपों की पुष्टि करने की प्रक्रिया में है। विशेष जांच दल ने खंडपीठ को बताया कि उसने 689 मामलों में से 573 में आरोप-पत्र दाखिल किया है।

तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 19 अगस्त, 2021 को बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान हत्या और बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के सभी आरोपों की सीबीआई जांच और बंगाल कैडर के तीन आईपीएस अधिकारियों के साथ एसआईटी के गठन का आदेश दिया था जो अन्य सभी मामलों की जांच करेंगे। पीठ ने यह भी निर्देश दिया था कि दोनों जांच की निगरानी उच्च न्यायालय ही करेगा।

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