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महाकुंभ समागम को देख पूरी दुनिया हैरान हार्वर्ड, स्टैंनफोर्ड लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, आईआईएम, एम्स सहित 20 संस्थानों का शोध शुरू
26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ महाकुंभ आयोजन का समापन होगा- श्रद्धालुओं का आंकड़ा 70 करोड़ पार होने की संभावना- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनिया हैरानी से दंग रह गई है, कि ऐसा कैसा हो सकता है? कि अनेकों देश की एकीकृत जनसंख्या के तुल्य करीब संभावित 70 करोड़ व्यक्ति 45 दिन के महाकुंभ 2025 में घाटों पर पवित्र डुबकी लगाकर स्नान कर धार्मिकता की पावन पवित्रता से सराबोर हो हैं। संभावना व्यक्ति की जा रही है कि डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 70 करोड़ के पार हो सकती है। सबसे बड़ी बात यह सामने आई है कि यह डुबकी न केवल आध्यात्मिक आस्था से जुड़े लोग लग रहे हैं, बल्कि अनेक देशों के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों के छात्र व प्रोफेसर इस संपूर्ण आयोजन का अलग-अलग एंगल से अलग-अलग क्षेत्रों के विषयों को लेकर शोध करने में जुटे हुए हैं। विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ के दौरान दुनिया और देश भर के 20 से अधिक प्रमुख शैक्षिक संस्थान महाकुंभ से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन करने के लिए यहां कैम्प लगाए हैं।
हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, क्योटो यूनिवर्सिटी, ऐम्स, आईआईएम अहमदाबाद आईआईएम बेंगलुरू, आईआईटी कानपुर, आईआईटी मद्रास और जेएनयू जैसे प्रमुख संस्थान अपने प्रोफेसरों, शोधार्थियों और छात्रों को प्रयागराज भेजें हैं, जो रेखांकित करने वाली बात है। दूसरी ओर अति बड़े-बड़े आयोजनों में कुछ घटनाएं होने का भी अंदेशा बना रहता है, अर्थात व्यवस्थाओं में कुछ कमियां खामियाँ भी हो रही है, जैसे भगदड़, आग व दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में कुछ व्यक्तियों की जान भी गई, जो बड़े दुख की बात है।
उसी कड़ी में हमारी राइस सिटी गोंदिया में, मेरे पड़ोसी व परम मित्र नारायण जी तिवारी भी अभी दो-चार दिन पूर्व प्रयागराज गए तो घाट के पास उनकी पत्नी को चक्कर आया उन्हें लगे हुए शिविरों के माध्यम से तुरंत मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई गई, कोई शिकायत नहीं है, परंतु कुदरत के जन्म मृत्यु के नियम वश उनका देहांत हो गया, यह दुखद: घटना हो गई परंतु उनसे मैंनें इस विषय पर किसी संभावित अवस्था की बात की तो उन्होंने शासन प्रशासन व व्यवस्था की तारीफ की और वहां के शासन प्रशासन व्यवस्थापकों का पूरा सहयोग प्राप्त होने की बात कही। यह मृत्यु जीवन चक्र जिंदगी का एक हिस्सा है, उन्होंने व्यवस्थाओं शासन प्रशासन को क्लीन चिट दी।
चूँकि महाकुंभ मेले को देख पूरी दुनिया हैरान है, हार्वर्ड स्टैंनफोर्ड, आईआईएम, एम्स सहित करीब 20 संस्थान शोध कर रही है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक धार्मिक सांस्कृतिक आयोजन प्रयागराज महाकुंभ 2025, वैश्विक शोध का विषय बना हुआ है। 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ महाकुम्भ का समापन होगा, श्रद्धालुओं आंकड़ा 70 करोड़ पार होने की संभावना है।
साथियों बात अगर हम महाकुंभ 2025 के अनेक क्षेत्रों के कार्यों पर शोध की करें तो, दुनिया भर और देश भर के दो दर्जन से ज़्यादा प्रमुख शिक्षण संस्थान महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में डेरा डाले हैं, ताकि दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम से जुड़े विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जा सके। हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, क्योटो यूनिवर्सिटी, एम्स, आईआईएम अहमदाबाद, आईआईएम बैंगलोर, आईआईटी कानपुर, आईआईटी मद्रास और जेएनयू कुछ ऐसे प्रमुख संस्थान हैं जो प्रयागराज में रहने के लिए प्रोफेसर, रिसर्च स्कॉलर और छात्रों को भेजे हैं।
इस बात की जानकारी मेला क्षेत्र में तैनात एक अधिकारी द्वारा मीडिया में दी गई है। उन्होंने कहा कि पहली बार हम आर्थिक प्रभाव, भीड़ प्रबंधन, सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति खाद्य वितरण श्रृंखला, नृवंश विज्ञान खातों के माध्यम से मानव शास्त्रीय अध्ययन, मल प्रबंधन सहित अन्य क्षेत्रों पर संस्थान समर्थित अध्ययन करेंगे। सरकार द्वारा आठ अलग-अलग क्षेत्रों और विषयों को शॉर्टलिस्ट किया गया है, जिन्हें शोधकर्ताओं द्वारा कवर किया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि वैश्विक भागीदारी के लिए कार्यक्रम को खोलते हुए शहरी विकास विभाग ने विस्तृत अध्ययन करने का विचार पेश किया था।
भोजन और पेयजल पर शोध करेगा हार्वर्ड- मानव शास्त्रीय अध्ययन और खाद्य वितरण श्रेणी में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रतिभागियों के लिए भोजन और पेयजल तथा शहरी अवसंरचना प्रबंधन पर, अहमदाबाद विश्वविद्यालय महाकुंभ का मानव शास्त्रीय अध्ययन और लखनऊ विश्वविद्यालय तीर्थ और पवित्र भूगोल पर अध्ययन करेगा। आईआईएम इंदौर पर्यटन, मीडिया की भूमिका और सोशल मीडिया प्रबंधन के सर्वोत्तम तरीकों पर, जेएनयू महाकुंभ के सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव और आर्थिक परिणामों पर और दिल्ली विश्वविद्यालय महाकुंभ के दार्शनिक और राष्ट्रीय एकता के पहलुओं पर शोध करेगा। प्रबंधन और योजना पर आईआईएम, स्वास्थ्य पर एम्स आईआईएम बैंगलोर और अहमदाबाद कुशल रणनीतिक प्रबंधन और योजना और शहरी अवसंरचना प्रबंधन पर तथा लखनऊ विश्वविद्यालय कार्यबल की रणनीतिक योजना और संचालन का विश्लेषण करेगा।
स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन में एम्स आपातकालीन चिकित्सा प्रतिक्रिया के लिए स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी पर और सक्षम-निक्षय अभियान टीबी उन्मूलन अभियान के अवसरों और चुनौतियों का मूल्यांकन करेगा। आइआइटी कानपुर डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग के तहत सोशल मीडिया की भूमिका पर शोध करेगा।पर्यावरण और शहरी अवसंरचना और परिवहन भी मुख्य हिस्सा बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन महाकुंभ के पर्यावरणीय दस्तावेज़ीकरण पर अध्ययन करेगा।
आइआइटी मद्रास जल और अपशिष्ट प्रबंधन का आकलन करेगा तथा संस्कृति फाउंडेशन हैदराबाद पर्यावरण संरक्षण के प्रति तीर्थयात्रियों की संवेदनशीलता पर अध्ययन करेगा।आईआईटी मद्रास, बीएचयू और एमएनएनआइटी परिवहन और यातायात प्रबंधन की चुनौतियों का विश्लेषण करेंगे। वहीं स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ) महाकुंभ के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव का अध्ययन करेगा। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ अर्बन अफेयर्स महाकुंभ 2025 के आर्थिक प्रभाव का आकलन प्रभावी ढंग से करेगा।
साथियों बात अगर हम महाकुंभ मेले की करें तो महाकुंभ मेला क्या है? कुंभ मेला भारत भर में पवित्र नदियों के तट पर चार शहरों में हर तीन साल में आयोजित किया जाता है। इस चक्र में हर 12 साल में एक बार आयोजित होने वाले कुंभ मेले में उपसर्ग ‘महा’ (महान) होता है क्योंकि इसे अपने समय के कारण अधिक शुभ माना जाता है और इसमें सबसे बड़ी भीड़ जुटती है। श्रद्धालु हिंदुओं का मानना है कि पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से लोगों के पाप धुल जाते हैं और कुंभ मेले के दौरान इससे जीवन-मरण के चक्र से भी मुक्ति मिलती है।
कैसे शुरू हुआ कुंभ मेला? कुंभ मेले की उत्पत्ति हिंदू ग्रंथ ऋग्वेद में हुई है और ‘कुंभ’ शब्द का तात्पर्य अमरता के अमृत से युक्त घड़े से है, जो ‘सागर मंथन’ या ब्रह्मांडीय महासागर के मंथन नामक एक दिव्य घटना के दौरान प्रकट हुआ था। इस अमृत को पाने के लिए 12 दिव्य दिनों तक युद्ध चला, जो 12 मानव वर्षों के बराबर था। अमृत की बूंदें चार स्थानों- प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरी, जो कुंभ के स्थल बन गए।
कुंभ में विभिन्न हिंदू संप्रदायों या अखाड़ों से संबंधित भक्त भव्य जुलूसों में भाग लेते हैं और पवित्र नदी में डुबकी लगाकर ‘शाही स्नान’ करते हैं। यह भव्य नजारा लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है, जो न केवल इस अनुष्ठान में भाग लेने के लिए आते हैं, बल्कि हजारों संतों और संन्यासियों को, जो प्रायः अपने पारंपरिक भगवा परिधान पहने होते हैं, लगभग शून्य तापमान में डुबकी लगाते हुए देखने के लिए श्रद्धा के साथ भी आते हैं।
साथियों बात अगर हम कुंभ के आयोजन की करें तो इसका आयोजन कैसे किया जा रहा है? इसके विशाल आकार को देखते हुए, महाकुंभ मेले का आयोजन अधिकारियों के लिए एक बहुत बड़ा काम है, जो हर बार बड़ा होता जा रहा है। अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए 150,000 टेंट लगाए हैं, जिनकी संख्या अनेक देशों के आबादी से लगभग तीन गुना होने की उम्मीद है।
साथियों बात अगर हम आम जनता द्वारा क्या महसूस किया गया इसका वर्णन करने की करें तो महाकुंभ- अफवाह फैलाने वाले 34 सोशल मीडिया अकाउंट पर एफआईआर, मनमाना किराया वसूल रहे बाइक, रिक्शावाले शहर में आज भी भीषण जाम का शहर है। प्रयागराज महाकुंभ का आज 42वां दिन है। मेला खत्म होने में 3 दिन और बचे हैं। आखिरी वीकेंड पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई है। मेला क्षेत्र के बाहरी हिस्सों में भीषण जाम लगा है। यमुना नदी पर बने ब्रिज की ओर जाने वाला रास्ता करीब 7 घंटे से जाम है। बांग्लादेश में 2022 में हुई ट्रेन में आग लगने की घटना को महाकुंभ की घटना बताकर अफवाह फैलाने वाले 34 सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है।
लखनऊ से आई एक महिला ने मीडिया में बताया- शहर के बाहर बस ने उतार दिया। इसके बाद शटल बस से मेले के लिए रवाना हुई। बस में खड़े होकर आना पड़ा। आधे घंटे की दूरी तय करने में 4 घंटे लगे। प्रयागराज के सभी 7 एंट्री पॉइंट्स पर बाहर से आने वाली गाड़ियों को रोक दिया जा रहा है। शहर से बाहर बनी पार्किंग में गाड़ी पार्क करनी पड़ रही। यहां से संगम की दूरी 10 से 12 किमी है। एंट्री पॉइंट्स पर रोके गए श्रद्धालुओं को कम से कम 10-12 किमी तक पैदल चलना पड़ रहा है। हालांकि, उनकी सुविधा के लिए प्रशासन शटल बसें, ई-रिक्शा, ऑटो, ठेले को चलने दे रहा है। हजारों की संख्या में बाइक वाले भी सवारी ढो रहे हैं। लेकिन, ये सभी मनमाना किराया वसूल रहे हैं।
साथियों बात अगर हम प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी की करें तो, महाकुंभ मेले को 2017 में यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया गया। यह मानवता का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण संगम है। यह आयोजन खगोलशास्त्र, ज्योतिष, आध्यात्मिकता और सामाजिक सांस्कृतिक परंपराओं का भी संगम है, जो इसे ज्ञान का एक समृद्ध स्रोत बनाता है। महाकुंभ के लिए प्रयागराज में एक अस्थायी नगरी का निर्माण किया गया है और यह नगरी आधुनिक शहरी नियोजन, बुनियादी ढांचे और प्रबंधन का उत्कृष्ट उदाहरण है।
अनूठी चुनौती और अवसर- प्रयागराज, जिसकी आबादी 5.5 मिलियन है के लिए 400 मिलियन विजिटर्स का स्वागत करना एक अभूतपूर्व चुनौती और अवसर प्रस्तुत करता है, जो संस्थानों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है। यह भव्य आयोजन हर 12 साल में तब मनाया जाता है जब सूर्य, चंद्रमा और गुरु एक विशेष आकाशीय स्थिति में एकत्र होते हैं।
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अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक धार्मिक सांस्कृतिक समागम प्रयागराज महाकुंभ 2025, वैश्विक शोध का विषय बना! महाकुंभ समागम को देख पूरी दुनिया हैरान, हार्वर्ड, स्टैंनफोर्ड लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, आईआईएम, एम्स सहित 20 संस्थानों का शोध शुरू।26 फरवरी 2025 को महाशिव रात्रि के स्नान के साथ महाकुंभ आयोजन का समापन होगा- श्रद्धालुओं का आंकड़ा 70 करोड़ पार होने की संभावना।
(स्पष्टीकरण : उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। यह जरूरी नहीं है कि कोलकाता हिंदी न्यूज डॉट कॉम इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।)
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