कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने आलू से भरे ट्रकों को पश्चिम बंगाल-ओडिशा सीमा पर दो दिनों से रोक रखा है। कहा जा रहा है कि राज्य में आलू की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए बंगाल सरकार ने यह कदम उठाया है। हालांकि, सरकार के इस फैसले से आलू की कीमत में गिरावट भी आई है।
कोलकाता के कोली मार्केट के आलू व्यापारी कमल दे ने बताया कि कोलकाता में आलू की कीमतें 40 रुपये तक पहुंच गई थीं। उन्होंने दावा किया कि राज्य के बाहर बिक्री पर प्रतिबंध के बाद कीमत घटकर 32 रुपये रह गई है। ऐसे में आम जनता आलू की कीमतों में गिरावट से खुश हैं।
दक्षिण कोलकाता के जादवपुर मार्केट में ग्राहक सौमेन दत्ता ने कहा कि हम छह लोगों का परिवार हैं। आलू इस समय बाजार में सबसे सस्ती सब्जी है। यह राहत की बात है कि कीमतों में थोड़ी कमी आई है लेकिन आदर्श रूप से साल के इस समय में यह कभी भी 20 रुपये से अधिक नहीं होता है।
उम्मीद है कि कीमतें और भी कम होंगी। वहीं, आलू के थोक विक्रेताओं और कोल्ड स्टोरेज मालिकों ने राज्य के बाहर आपूर्ति पर प्रतिबंध की कड़ी आलोचना की है, क्योंकि उन्हें इस अप्रत्याशित कदम से भारी नुकसान होने का अनुमान है।
द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रगतिशील आलू व्यवसायी समिति के सचिव दिलीप प्रतिहार ने कहा कि मौजूदा महंगाई दरों के अनुसार आलू की कीमत सामान्य है और उन्हें ओडिशा को इसकी आपूर्ति रोकने के पीछे कोई वैध कारण नहीं दिखता। प्रतिहार ने द हिंदू को बताया कि हम हर आलू के ट्रक के पीछे लगभग 4 लाख खर्च करते हैं।
इसमें पैकिंग, मजदूरी और ईंधन शामिल है। अगर ट्रक पश्चिम बंगाल वापस आ गए तो हम इस राशि की भरपाई कभी नहीं कर पाएंगे। सचिव ने यह भी बताया कि बंगाल से हर साल 70 फीसदी आलू दूसरे राज्यों को आपूर्ति किया जाता है। इसी तरह से व्यापार चलता है। उन्होंने कहा कि इसी तरह से हम उत्पादन की योजना बनाते हैं।
हमारे राज्य में आलू की कोई कमी नहीं है। अगर हम अतिरिक्त उपज को बाहर नहीं बेच पाए तो आपूर्तिकर्ता और आलू किसान भूख से मर जाएंगे। उन्होंने कहा कि उनके संघ ने पहले ही पश्चिम बंगाल राज्य सरकार की मदद करने का वादा किया है और वे सरकारी दुकानों को सब्सिडी वाले आलू की आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं।
बाद में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार से किए गए हमारे वादों के बाद भी ट्रकों को क्यों रोका गया, यह हमें समझ में नहीं आ रहा है। पश्चिम बंगाल के कोल्ड स्टोरेज के मालिक तरुण घोष ने कहा कि एक बार आलू को स्टोरेज से बाहर निकाल दिया जाए तो उसे वापस कोल्ड रूम में नहीं रखा जा सकता।
उन्होंने कहा कि वे तीन से चार दिनों में सड़ जाएंगे और हमें भारी नुकसान होगा। अगर जल्द ही सीमाएं नहीं खोली गईं तो हम बच नहीं पाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि कोलकाता और दूसरे राज्यों में सप्लाई होने वाला आलू बिल्कुल अलग है, इसलिए दोनों की सप्लाई और डिमांड में कोई टकराव नहीं है।
21 जुलाई को आलू व्यापारियों ने राज्य सरकार द्वारा राज्य के बाहर आलू बेचने पर रोक लगाने के खिलाफ हड़ताल की घोषणा की थी। बाद में सरकार से बातचीत के बाद उन्होंने हड़ताल वापस ले ली।
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