विकास कुमार शर्मा, कोलकाता : जनवरी मास के आगमन के तुरंत बाद भारत के पूर्वी राज्यों पश्चिम बंगाल, बिहार एवं ओडिशा में शीतकालीन वायु प्रदूषण का दंश महसूस होने लगा है। विज्ञान और पर्यावरण (सीएसई)। नवंबर की शुरुआत में उत्तर भारत को घेरने वाला शीतकालीन स्मॉग जनवरी की शुरुआत में देश के पूर्वी हिस्से में बढ़ना शुरू कर देता है। इन तीनों राज्यों विशेषकर पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा में पहले से मौजूद औद्योगिक प्रदूषण में खासा वृद्धि ठंड के मौसम में हो जाती है। देश की प्रतिष्ठित शोध संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट द्वारा क्षेत्रीय प्रदूषण को लेकर किये गए एक हालिया अध्ययन में उक्त तथ्य सामने आये हैं। उक्त विश्लेषण में तीन राज्यों के 12 शहरों में फैले 29 निरंतर कंटीन्यूअस एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन (सीएएक्यूएमएस) को शामिल किया गया है।
इनमें पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सात, हावड़ा में तीन और आसनसोल, सिलीगुड़ी, दुर्गापुर, हल्दिया में एक-एक स्टेशन सहित बिहार के पटना में छह, गया में तीन, मुजफ्फरपुर में तीन तथा हाजीपुर में एक स्टेशन और ओडिशा के तालचेर और ब्रजराजनगर में एक-एक रीयल टाइम स्टेशन शामिल हैं। हालांकि इन राज्यों के कुछ अन्य शहरों में अधिक रीयल टाइम मॉनिटर हैं, लेकिन डेटा अंतराल और गुणवत्ता डेटा की कमी के कारण उन पर विचार नहीं किया जा सका। इसके अलावा, कई मामलों में रियल टाइम मॉनिटर हाल ही में स्थापित किए गए हैं और इसलिए दीर्घकालिक डेटा उपलब्ध नहीं है। बिहार के कई शहरों को जुलाई और नवंबर 2021 के बीच अपने रियल टाइम मॉनिटर मिल गए हैं।
भागलपुर में दो स्टेशन और बेतिया, बिहारशरीफ, दरभंगा, मोतिहारी, अररिया, आरा, बक्सर, छपरा, कटिहार, किशनगंज, मंगुराहा में एक-एक स्टेशन हैं। मुंगेर, पूर्णिया, राजगीर, सहरसा, सासाराम और सीवान। लेकिन इन स्टेशनों से अत्यधिक मात्रा में लापता डेटा के कारण सार्थक विश्लेषण संभव नहीं हो पाया है। बिहार के हाजीपुर में दो साल से अधिक समय से डेटा उपलब्धता है। पश्चिम बंगाल में, दुर्गापुर और हल्दिया में रीयल टाइम मॉनिटर केवल 2020 के अंत में ही चालू हो गए, जो इन शहरों के लिए दीर्घकालिक प्रवृत्ति विश्लेषण करने की संभावना को सीमित करता है। ओडिशा में वास्तविक समय की निगरानी बहुत सीमित है। इसलिए डेटा मध्यम और छोटे शहरों में वायु गुणवत्ता की वर्तमान स्थिति और सूक्ष्म कण प्रदूषण में मौसमी बदलाव का संकेत है।
सीइसई की अनुमिता रॉयचौधरी, कार्यकारी निदेशक, सीएसई की मानें तो 2019-2021 की अवधि के लिए वास्तविक समय वायु गुणवत्ता आंकड़ों के इस विश्लेषण से पता चलता है कि प्रदूषण में गिरावट जो 2020 में महामारी के कठिन लॉकडाउन चरणों से प्रेरित थी, वर्ष 2021 में पहले से ही बढ़ रहे स्तरों के साथ वापस उछाल के संकेत दे रही है। साथ ही कई मामलों में, स्तर अभी भी 2019 साल से नीचे हैं। सुश्री रॉय चौधरी ने आगे बताया कि बिहार और ओडिशा के कुछ स्टेशनों में डेटा उपलब्धता की इतनी कमी है कि ट्रेंड्स का सटीक आंकलन संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के अधिकांश स्टेशनों का प्रदर्शन बेहतर है क्योंकि उनके पास डेटा उपलब्धता 95 प्रतिशत से अधिक है।ओडिशा के तालचेर और बिहार के गया में कलेक्ट्रेट के स्टेशन न्यूनतम 80 प्रतिशत डेटा उपलब्ध कराटे हैं वहीँ ठीक इसके विपरीत पटना के राजवंशी नगर में सीएएक्यूएमएस स्टेशनों पर 100 प्रतिशत डेटा उपलब्धता है। पश्चिम बंगाल में कोलकाता, हावड़ा, सिलीगुड़ी और दुर्गापुर में कई अन्य स्टेशन तथा बिहार के पटना, गया और मुजफ्फरपुर में कुछ भिन्नता के साथ 95-100 प्रतिशत डाटा उपलब्ध दिखता हैं। बिहार एवं ओडिशा के ख़राब डेटा मुहैया करवाने वाले स्टेशनों का कारण उक्त क्षेत्र में खराब बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ा जा सकता है।