Kolkata Desk : प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की दूसरी किस्त सोमवार को देश के किसानों के साथ-साथ बंगाल के किसानों के बैंक खातों में जमा करा दी गई, लेकिन इसके साथ ही बंगाल में इसे लेकर राजनीति शुरू हो गई। 42 लाख किसानों को वंचित करने का आरोप लग रहा है, ममता बनर्जी भी नाराज हो। ममता सरकार राज्य के लगभग 42 लाख किसानों को इस योजना से वंचित करने का आरोप केंद्र सरकार पर लगा रही है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को मोदी सरकार ने देश के कुल 9.75 करोड़ किसानों के बैंक खातों में दो हजार करके रुपये भेजे हैं। मई के बाद दूसरी बार बंगाल के किसानों को अगस्त में यह लाभ मिली है। पश्चिम बंगाल के करीब 26 लाख किसानों के अकाउंट में पैसा पहुंच गया है। हालांकि मई में बंगाल में पहली किस्त का लाभ सिर्फ 6 लाख किसानों को ही मिला था।
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि राज्य के किसानों को राज्य में देरी के कारण किसान सम्मान निधि के रूपये से वंचित हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि चूंकि पैसा सीधे किसानों के बैंक खातों में जाता है और यहां कोई कटमनी का अवसर नहीं मिलता है, अब तक राज्य के किसानों को इस परियोजना का लाभ नहीं मिला है। साथ ही उन्होंने एक ट्वीट में दावा किया कि राज्य सरकार ने अभी तक आवेदक किसानों की पूरी जानकारी का सत्यापन नहीं किया है, जिससे कई किसान वंचित हो रहे हैं।
जबकि राज्य सरकार का कहना है कि अब तक कुल 44 लाख 79 हजार 631 किसानों की जानकारी सत्यापित कर भेजी जा चुकी है। लेकिन केंद्र ने 9 लाख 46 हजार 81 किसानों के नाम हटा दिए हैं। इससे खुद मुख्यमंत्री काफी नाराज हैं। राज्य के कृषि विभाग द्वारा 3 अगस्त को केंद्रीय कृषि मंत्रालय को एक कड़ा पत्र भी भेजा गया था।
जिसमें पूछा गया था कि ये नाम क्यों छोड़े गए। हालांकि तब से कुछ और नाम जोड़े गए हैं, लेकिन राज्य का दावा है कि लगभग 7 लाख नाम अभी भी गायब है। हाल में ममता बनर्जी ने इस बाबत पीएम मोदी को पत्र भी लिखकर कहा था कि बंगाल सरकार ने केंद्र को 44.8 लाख किसानों के नाम की सूची भेजी थी, जिनमें से 9.5 लाख नामों को खारिज कर दिया गया है।