हिंडननबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट पर सियासी पारे में भूचाल- आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी

हर घर तिरंगा उत्सव के बीच नई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आते ही सियासी पारा चरम पर पहुंचा!
अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं आईएमएफ, विश्व बैंक इत्यादि द्वारा भारत की आर्थिक तारीफ के बीच, कहीं देश के आर्थिक विकास को बाधित करने की कोशिश तो नहीं?- एड. के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर हर देश में एक निजी व्यक्ति से लेकर पूरे देश में यदि तरक्की हो रही है तो स्वाभाविक रूप से निजी स्तर पर प्रतिद्वंदी व राष्ट्रीय स्तर पर अन्य देशों को जलन होना लाजमी है। दूसरी ओर यदि वैश्विक बादशाह की इच्छा पूरी न करने की गुस्ताखी भी की जाए तो सत्ता का पासा कैसे पलट जाता है,जो हम पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल में देख चुके हैं, जिसका सटीक उदाहरण आज बांग्लादेश की पूर्व प्रधान हसीना शेख का अमेरिका के लिए जो बयान आया है उसको संज्ञान में हम ले सकते हैं।आज इस विषय पर बात हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि दिनांक 11 अगस्त 2024 को देर शाम अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने 10 अगस्त को एक नई रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें सेबी प्रमुख व उसके पति ने मारिशिस की ऑफशोर कंपनी में निवेश किया है, जिसके माध्यम से भारत के एक बहुत बड़े ग्रुप की कंपनी में निवेश करवा कर उस ग्रुप को लाभ पहुंचाया गया, जिसे गलत तरीका माना जाता है।

यह भी आरोप लगाया कि जनवरी 2023 में जो उन्होंने उस ग्रुप पर खुलासा किया था उस पर सेबी ने कार्रवाई नहीं की इसलिए सेबी और वह ग्रुप दोनों के हित जुड़े हुए हैं। हालांकि सेबी और उस ग्रुप ने अपने स्तर पर जवाब दे दिया है, व रिपोर्ट को खारिज किया है। लेकिन विपक्ष ने मुद्दे को जोरदार रूप से लपक लिया है और आरोप लगाया है कि, पक्ष को इस रिपोर्ट के बारे में भनक थी इसलिए ही उन्होंने संसद को समय से 3 दिन पूर्व ही समाप्त करवा दिया, ताकि संसद में जोरदार गूंज ना हो। तो, वहीं विपक्षी नेता ने एक वीडियो क्लिप में बयान दिया है कि, जैसे क्रिकेट का अंपायर ही अगर फिक्स्ड या संदेह के घेरे में या एक तरफ हो तो क्रिकेट का उत्साह समाप्त हो जाए जाता है, इसी तरह उन्होंने इशारा सेबी पर उठाया तो पक्ष ने उसके जवाब में कहा कि मुंबई स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स भारी मात्रा में विशाल स्तर पर उफान पर उछल रहा है।

इस बीच ऐसी खबरों से नागरिक, विनियोगकर्ता कुछ मायूस जरूर हो सकते हैं, क्योंकि हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट से सियासी पारे में भूचाल उत्पन्न किया है और आरोप प्रत्यारोप जारी हैं। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं आईएमएफ व विश्व बैंक द्वारा भारत की आर्थिक तारीफ के बीच कहीं देश के आर्थिक विकास को बाधित करने की कोई कोशिश या साजिश तो नहीं?

साथियों बात अगर हम 10 अगस्त को आई हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट व 11 अगस्त को जोरदार सियासी हंगामा होने की करें तो, हिंडनबर्ग विवाद एक बार फिर सियासी भूचाल लेकर आया है। सेबी द्वारा जून में भेजे गए नोटिस के जवाब में अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी चीफ पर एक ग्रुप मामले में कार्रवाई न करने को लेकर निशाना साधा। इसको लेकर आज कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष ने सेबी प्रमुख पर ही सवाल उठा दिए और यह तक पूछ लिया कि आखिर अभी तक सेबी प्रमुख अपने पद से इस्तीफा क्यों नहीं दिया है? लोकसभा में एलओपी ने एक तरफ जहां हिंडनबर्ग मामले में सेबी पर सवाल उठाए, तो दूसरी ओर केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा है। उन्होंने यह तक कहा कि जो सेबी रीटेल इनवेस्टर्स की संपत्ति का जिम्मा संभालती है, उसी की प्रमुख के खिलाफ उठे सवालों ने संस्था की ईमानदारी को गहरी चोट पहुंचाई है।

इस बार हिंडनबर्ग निशाना सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की प्रमुख और उनके पति हैं। हिंडनबर्ग ने 10 अगस्त को एक रिपोर्ट जारी कर दावा किया है कि सेबी प्रमुख और उनके पति ने मॉरीशस की उसी ऑफशोर कंपनी में निवेश किया है, जिसके माध्यम से भारतमें एक ग्रुप की कंपनियों में निवेश करवाकर उस ग्रुप ने लाभ उठाया था। इसे व्यापार का गलत तरीका माना जाता है। हिंडनबर्ग का आरोप है कि उसने जनवरी 2023 में उस ग्रुप पर जो खुलासा किया था, उस पर सेबी ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। उसका आरोप है कि यह जांच केवल इसलिए नहीं की गई क्योंकि सेबी प्रमुख और अडानी ग्रुप के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। जिसका अंदेशा भी था।

साथियों बात अगर हम रिपोर्ट पर विपक्षी शाब्दिक हमले की करें तो, यह रिपोर्ट सामने आते ही भारत में राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। कांग्रेस नेता ने एक लिखित बयान जारी कर आरोप लगाया है कि 2018 में सेबी ने अंतिम लाभकारी व्यक्ति की जानकारी देने संबंधित नियमों को कमजोर कर दिया था, जिसके कारण इस तरह के घोटाले को अंजाम देना संभव हो सका। पार्टी के अनुसार, उस ग्रुप से जुड़ा विवाद सामने आने के बाद लोगों की भारी रकम शेयर बाजार में डूब गई। इसके बाद सेबी ने 28 जून 2023 को इन नियमों को दोबारा लागू कर दिया। कांग्रेस के सीनियर नेता ने लिखा, अडानी मेगा स्कैम की जांच करने में सेबी की अजीब अनिच्छा को लंबे समय से देखा जा रहा है। सच्चाई तो यह है कि देश के सर्वोच्च अधिकारियों की मिलीभगत का पता अडानी मेगा स्कैम की पूरी जांच के लिए जेपीसी का गठन करके ही लगाया जा सकता है।

वहीं, एक कांग्रेस सांसद ने कहा, हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा कुछ खुलासे किए गए हैं, जिनकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति द्वारा उचित जांच की जानी चाहिए। वहीं, एक अन्य कांग्रेसी नेता ने कहा कि रिपोर्ट के यह चौंकाने वाले खुलासे सिर्फ सेबी प्रमुख और एक ग्रुप समूह के बीच मधुर संबंधों को उजागर नहीं करते हैं, बल्कि वे बताते हैं कि इस सरकार में निगरानी संस्थानों में नियुक्तियां कैसे की जाती हैं। शिवसेना (यूबीटी) ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि हमें अब पता चला कि आखिर हमारी चिट्ठियों पर कोई जवाब क्यों नहीं दिया गया और वह संज्ञान में क्यों नहीं ली गई। हमाम में सब वो हैं।

साथियों बात अगर हम औद्योगिक ग्रुप और सेबी की सफाई की करें तो, उस ग्रुप समूह ने कहा, हिंडनबर्ग की तरफ से लगाए गए ताजा आरोप दुर्भावना पूर्ण हैं। इसके लिए फर्म गलत इरादों से सार्वजनिक तौर पर मौजूद जानकारी के बहकाने वाले तरीके से चुनकर, तथ्यों और कानूनों की उपेक्षा कर निजी लाभ हासिल करने के लिए पूर्व निर्धारित निष्कर्षों पर पहुंची है। समूह ने आगे कहा, हम इस समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। यह आरोप गलत दावों का पुनर्चक्रण है, जिनकी पूरी तरह से जांच की गई और निराधार साबित हुए। इस साल जनवरी में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले ही इन आरोपों को खारिज कर दिया गया है। समूह ने कहा, यह दोहराया जाता है कि हमारी विदेशी होल्डिंग संरचना पूरी तरह से पारदर्शी है। इसमें उल्लिखित बातें हमारी प्रतिष्ठा को धूमिल करने की सोची समझी जानबूझकर की गई कोशिश हैं। हम पारदर्शिता और सभी कानूनी और अनुपालन के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध रहें हैं।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

भारतीय के कई उल्लंघनों के लिए जांच के दायरे में एक हिंडनबर्ग भारतीय कानूनों के प्रति पूर्ण अवमानना रखने वाली एक हताश इकाई है। वहीं, सेबी चीफ ने हिंडनबर्ग के इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया है। उन्होंने अपने पति के साथ एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि उनका जीवन एक खुली किताब की तरह है और उनके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। उन्होंने अपनी सभी आर्थिक जानकारियां किसी भी मंच पर देने के लिए भी तैयार रहने के लिए कहा है। हालांकि, दोनों पक्षों के इन दावों के बीच अब इस मामले पर राजनीति गर्म होने की पूरी संभावना है। विपक्ष के सभी प्रमुख दलों ने हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट के सहारे केंद्र सरकार को घेरने का काम किया है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट पर सियासी पारे में भूचाल- आरोप प्रत्यारोप का दौर ज़ारी। हर घर तिरंगा उत्सव के बीच नई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आते ही सियासी पारा चरम पर पहुंचा! अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं आईएमएफ,विश्व बैंक इत्यादि द्वारा भारत की आर्थिक तारीफ के बीच, कहीं देश के आर्थिक विकास को बाधित करने की कोशिश तो नहीं?

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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