डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन जीवन की समग्रता के कवि हैं – प्रो शैलेंद्र कुमार शर्मा
नागपंचमी 9 अगस्त को जयंती अवसर पर पद्मभूषण डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन की काव्य चेतना पर केंद्रित राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन हुआ
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की हिंदी अध्ययनशाला, ललित कला अध्ययनशाला एवं पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के यशस्वी पूर्व कुलपति एवं कविवर पद्मभूषण शिवमंगल सिंह सुमन जयंती समारोह के अंतर्गत राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन 9 अगस्त 2024, शुक्रवार को दोपहर में हुआ। प्रभारी कुलगुरु प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय के वाग्देवी भवन में आयोजित इस महत्वपूर्ण परिसंवाद में कविवर डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन की काव्य चेतना पर मंथन हुआ। परिसंवाद के अतिथि वक्ता पूर्व महाप्रबंधक डॉ. शशांक दुबे, मुंबई, प्रो. गीता नायक, डॉ. देवेंद्र जोशी, प्रो. जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ. अजय शर्मा आदि ने विचार व्यक्त किए।
प्रभारी कुलगुरु प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अध्यक्षीय उद्बोधन ने कहा कि डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन जीवन की समग्रता के कवि हैं। उनकी कविताएं पलायन और निराशा के विरुद्ध नव ऊर्जा का संचार करती हैं। वे अविराम गति और लय के कवि हैं। निवृत्ति के स्थान पर प्रवृत्ति और विद्रोही चेतना के साथ राष्ट्रीय – सामाजिक भावना, पीड़ित वर्ग के प्रति गहरी आस्था और प्रवृत्ति का अमर राग उनके काव्य की शक्ति बने हैं। वे भारत के कालजयी कवियों की परंपरा के समर्थ हस्ताक्षर हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं से जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास किया। उनकी कविताएँ विषय विविधता, भावनाओं की गहराई और साहित्यिक उत्कृष्टता के लिए चिर स्मरणीय रहेंगी।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शशांक दुबे, मुंबई ने सुमन जी के कुछ रोचक संस्मरणों को सुनाया। उन्होंने अपने जीवन के कुछ अनुभवों द्वारा हिंदी की महत्ता पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें अपनी भाषा को लेकर गर्व का भाव होना चाहिए। आचार्य डॉ. गीता नायक ने सुमन जी को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके जीवन के कुछ संस्मरण सुनाए। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि सुमन जी की हर कविता प्रेरणादायक है। उनकी काव्य पंक्तियां श्लोक की तरह बन गई हैं। उनकी कविताओं से चरैवेति चरैवेति के सिद्धांत को ग्रहण करना चाहिए। सरल मार्ग को न अपना कर कठिन मार्ग अपनाएँ जिससे अपना कार्य रेखांकित हो सके।
मध्यप्रदेश लेखक संघ के सचिव डॉ. देवेंद्र जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि सुमन जी का काव्य चिंतन समाज के प्रति है। उन्होंने अपने काव्य को साहित्य जगत तक सीमित नहीं रखा, बल्कि जन-जन तक उनकी कविताएं पहुंची हैं। सुमन जी का काव्य प्रेरणा जगाने वाला, रागात्मकता के साथ जीवन मूल्यों को महत्व देने वाला है। वे कड़े जीवन संघर्षों के बीच गति की प्रेरणा जगाते हैं।
ललित कला अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो. जगदीश चंद्र शर्मा ने अपने वक्तव्य में नव स्वछंदतावाद में सुमन जी का स्थान बताते हुए कहा कि उनके काव्य में प्रेम, सौंदर्य, सामाजिक यथार्थ, देशभक्ति, नवीनता के प्रति आकर्षण और पुरातन के प्रति सम्मान का भाव है। उनकी कविता खेती- किसानी, प्रकृति और लोक संपृक्ति की कविता है। समारोह में प्रसिद्ध गायक एवं संगीतकार पंडित अजय मेहता, पंडित शैलेंद्र भट्ट एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शशांक दुबे मुंबई को अंगवस्त्र, पुष्पमाल एवं साहित्य भेंट कर उनका सारस्वत सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में प्रसिद्ध गायक एवं संगीतकार पंडित अजय मेहता एवं पंडित शैलेंद्र भट्ट ने सुमन जी के प्रसिद्ध गीत में मैं शिप्रा सा सरल सरल बहता हूं एवं तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार की सुमधुर प्रस्तुति की। आयोजन में कला गुरु लक्ष्मीनारायण सिंह रोड़िया, डॉ. नेत्रा रावणकार आदि अनेक साहित्यकार, संस्कृति कर्मियों, शोधकर्ताओं एवं साहित्य प्रेमियों ने भाग लिया। संचालन शोधकर्ता पूजा परमार ने किया और आभार डॉ. अजय शर्मा ने व्यक्त किया।
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