डॉ. विक्रम चौरसिया, नई दिल्ली। देश के सुंदर राज्यों में एक मणिपुर है, जो की पिछले महीने से हिंसा के आग में जल रहा है। देखो मैरी कॉम की चीखें हमे बिल्कुल भी सुनाई नही दे रही है, देश के प्रधानमंत्री से गुहार लगा रही है कि मेरा मणिपुर मोदी जी जल रहा है, मेरे इस देश के प्यारे, सुंदर राज्य को बचा लीजिए। सोचिए बहुत से लोगों की मौत, हजारों से ज्यादा लोग बेघर। लगभग 50 दिनों से हिंसा जारी है और हमारे पीएम मोदी जी मणिपुर का ‘म’ नहीं बोल पा रहे हैं। एक तरफ मणिपुर जल रहा है, देश के लोग जान बचाने की गुहार लगा रहे हैं, लोग अपने घरों को छोड़ पलायन करने को मजबूर हैं।
तो वही दूसरी ओर मोदी जी अमेरिका निकल गए, अब वहां छवि चमकाने का काम होगा, इवेंटबाजी होगी। इस बात को जानते हुए कि हमारे देश के लोग हिंसा झेल रहे हैं, उनकी जान पर बनी हुई है। पीएम मोदी याद कीजिए एक बार अटल जी ने आपको ‘राजधर्म’ निभाने की सीख दी थी, यह भी वही वक्त है जब राजधर्म निभाया जाए। मणिपुर जलता जा रहा और आपने शांति की अपील तक नहीं की! यह वक्त अपने देश के लोगों के साथ खड़े होने का है, न कि छवि चमकाने का! जिम्मेदारी से भागिए मत। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर पिछले एक महीने से ज्यादा समय से हिंसा की आग में जल रहा है।
तनाव इस कदर बढ़ गया है कि आम आदमी के साथ-साथ ही केंद्रीय मंत्री के घर को भी आग के हवाले कर दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बनाई गई शांति समिति के बाद भी असंतोष और दो गुटों के बीच दूरियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मैतेई और कुकी समुदाय एक साथ बैठने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। ऐसे में मन में बड़ा सवाल उठता है कि आखिर मणिपुर हिंसा के लिए कौन जिम्मेदार है? मैतेई समुदाय या नगा-कुकी समुदाय? आखिर क्यों नहीं इस देश के इतने सुंदर राज्य मणिपुर के तरफ हमारे पीएम साहेब का ध्यान जा रहा है?
चिंतक/सोशल एक्टिविस्ट/दिल्ली विश्वविद्यालय