दक्षिणेश्वर काली मंदिर के खातों की ED जांच की मांग पर जनहित याचिका!

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के प्रतिष्ठित दक्षिणेश्वर काली मंदिर के खातों की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है। मंदिर ट्रस्ट के खातों और संपत्ति के रखरखाव में घोर अनियमितता का आरोप लगाते हुए मंदिर सेवायतों (पुजारियों) और शिष्यों के एक वर्ग द्वारा जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में, उन्होंने आरोप लगाया है कि मंदिर के अधिकारियों ने इस साल काली पूजा पर शिष्यों द्वारा मंदिर को दान की गई बड़ी संख्या में गहनों और साड़ियों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखा है।

यह भी आरोप लगाया गया है कि मंदिर के अधिकारियों ने पिछले कुछ वर्षों से बंगाल सरकार से प्राप्त 130 करोड़ रुपये और केंद्र सरकार से विभिन्न मदों के तहत 20 करोड़ रुपये का उचित लेखा नहीं रखा है। याचिकाओं में मंदिर परिसर के भीतर दुकान-मालिकों को स्थान आवंटित करने के साथ-साथ ट्रस्टी बोर्ड के पदाधिकारियों के चुनाव में मंदिर ट्रस्ट के अधिकारियों की ओर से अनियमितताओं का भी आरोप लगाया गया, जो अदालत के निर्देश के 20 साल बाद हुआ था।

याचिकाकर्ताओं ने मामले की स्वतंत्र जांच या तो ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसी या किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली न्यायिक समिति से कराने की अपील की है। याचिका को स्वीकार कर लिया गया है और जल्द ही सुनवाई होगी। प्रसिद्ध परोपकारी, रानी रासमनी ने 1848 में मंदिर का निर्माण शुरू किया था, जो 1856 में पूरा हुआ। गदाधर चट्टोपाध्याय, जो बाद में रामकृष्ण परमहंस के रूप में विश्व स्तर पर प्रशंसित हुए, उनको मंदिर के पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया।

प्रारंभ में रामकृष्ण अपने बड़े भाई रामकुमार चट्टोपाध्याय की सहायता करते थे, जो उस समय मंदिर के मुख्य पुजारी थे। लेकिन बाद में अपने बड़े भाई की मृत्यु के बाद रामकृष्ण ने मुख्य पुजारी के रूप में प्रभार संभाला। ऐसा कहा जाता है कि रानी रासमनी ने अपने सपनों में देवी काली के दिव्य दर्शन के बाद मंदिर का निर्माण करवाया था।

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