वाराणसी। हिन्दी पंचांग का दसवां महीना पौष 16 दिसंबर 2024 से 13 जनवरी 2025 तक रहेगा। पुराणों का कहना है कि पौष में सूर्य पूजा करने से उम्र बढ़ती है। हर महीने सूर्य अलग रूप की पूजा करने का विधान है, इसलिए पौष मास में भग नाम के सूर्य की उपासना की जाती है। इस महीने में सूर्य पूजा करने का विशेष महत्व है। पौष मास में गंगा, यमुना, अलकनंदा, शिप्रा, नर्मदा, सरस्वती जैसी नदियों में, प्रयागराज के संगम में स्नान करने की परंपरा है। इस महीने में तीर्थ दर्शन करने की भी परंपरा है।
इस हिंदी महीने में व्रत-उपवास, दान और पूजा-पाठ के साथ ही पवित्र नदियों में नहाने का भी महत्व बताया है। इस पवित्र महीने में किए गए धार्मिक कामों से कई गुना पुण्य फल मिलता है। व्रत और दान का विशेष फल मिलता है। पुण्य देने वाले इस पवित्र महीने में भगवान विष्णु की पूजा नारायण रूप में करनी चाहिए। वहीं, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का भी विधान है।
पौष महीने में सूर्य नारायण नाम से पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं। पौष मास में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए, स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। इस में महीने में पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना करें। स्नान करते समय सभी तीर्थों का और पवित्र नदियों का ध्यान करेंगे तो घर पर ही तीर्थ स्नान करने का पुण्य मिल सकता है।
ऐसे चढ़ाएं सूर्य को अर्घ्य : रोज सुबह स्नान के बाद घर के आंगन में ऐसी जगह चुनें, जहां से सूर्य देव के दर्शन होते हैं। इसके बाद तांबे के लोटे में जल भरें, जल में कुमकुम, चावल और फूल भी डालें। इसके बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
सूर्य मंत्र : ओम सूर्याय नम:, ओम खगाय नम:, ओम भास्कराय नम: आदि का जप करें। सूर्य को जल चढ़ाने के बाद जरूरतमंद लोगों खाना दान करें। आप चाहें तो अनाज और धन का दान भी कर सकते हैं। किसी गौशाला में भी दान-पुण्य करें।
सूर्य को जल चढ़ाने से मिलता है स्वास्थ्य लाभ : अभी शीत ऋतु का समय है। इन दिनों में रोज सुबह जल्दी उठने और सुबह-सुबह की धूप में रहने से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। ठंड के दिनों में सुबह-सुबह की धूप त्वचा की चमक बढ़ाती है। धूप से विटामिन डी मिलता है, जिससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। ठंड से होने वाली बीमारियों से बचाव होता है।
ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848
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