बिहार की राजधानी पटना और इसकी महान ऐतिहासिक विरासत



राजीव कुमार झा, पटना : हमारे देश के प्राचीन इतिहास के पन्नों में बिहार की राजधानी के तौर पर वर्तमान पटना शहर पाटलिपुत्र के तौर पर उल्लेखित है। पटना संग्रहालय में रखी चामरधारिणी यक्षिणी की मूर्ति विश्व प्रसिद्ध है और यह मौर्यकाल की कलाकृति है।

पटना के दीदारगंज से प्राप्त इस मूर्ति से इस शहर के प्राचीन इतिहास पर यथेष्ट प्रकाश पड़ता है। इतिहासकार यहाँ के कुम्हरार के पुरावशेषों को भी मौर्यकालीन बताते हैं। पटना गंगा नदी के किनारे काफी दूर तक बसा है और इसका एक हिस्सा पटना सिटी कहलाता है और दूसरे हिस्से को दानापुर कहते हैं।

पटना सिटी में सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था और यहाँ विशाल गुरुद्वारा है। दानापुर भारतीय सेना के बिहार रेजिमेंट का हेड क्वार्टर है।

इस रेजिमेंट के वीर जवानों ने अपने पराक्रम और बलिदान से कारगिल युद्ध में देश को विजय दिलायी थी। पटना के गाँधी मैदान में इसकी स्मृति में कारगिल पार्क बनाया गया है।

बंगाल से बिहार के अलग होने के बाद पटना इस स्वतंत्र प्रांत की राजधानी बना और यहाँ आधुनिक विकास की शुरुआत हुई। पटना में इसी काल में बिहार के कमिश्नर का सचिवालय और पटना यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई। पटना रेलवे स्टेशन के पास स्थित हनुमान मंदिर सारे संसार में प्रसिद्ध है और इस मंदिर में भक्तगणों के अपार चढ़ावे की राशि से कैंसर और कई अन्य अस्पतालों का संचालन होता है। यहाँ का नवनिर्मित एम्स भी देश के बेहतरीन अस्पतालों में एक माना जाता है।

बिहार सरकार के द्वारा स्थापित इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान भी यहाँ आधुनिक चिकित्सा का केंद्र है। कुछ साल पहले पटना में नया संग्रहालय बना है। यहाँ का साइंस कालेज और वुमेंस कालेज प्रसिद्ध है। पटना में गंगा नदी के किनारे कई घाट स्थित हैं।

इनमें बाँस घाट का नाम सुपरिचित है। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पटना के कमिश्नर के आफिस पर तिरंगा झंडा फहराते काफी स्कूली बच्चे शहीद हो गये थे और इनकी स्मृति में बना शहीद स्मारक यहाँ सबके लिए दर्शनीय है। गाँधी मैदान पटना शहर के बीच में स्थित है और यहाँ 1975 में जयप्रकाश नारायण ने विशाल जनसभा में संपूर्ण क्रांति की घोषणा की थी।

इस मैदान के पास राज्य की वर्तमान सरकार के द्वारा ज्ञान भवन बनवाया गया है और इस सभागार का सुंदर परिसर भी भ्रमण के योग्य है।

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