बस का किराया बढ़ाने से यात्रियों को कोई आपत्ति नहीं, हजारों हस्ताक्षरों वाला पत्र परिवहन दफ्तर में जमा

कोलकाता: पेट्रोल-डीजल की आसमान छू रही कीमतों के बीच एक लंबे वक्त से बस मालिक किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि राज्य सरकार बार-बार उनकी इस मांग को नकार ती रही है। इसी बीच किराया बढ़ाने के लिए बस मालिकों ने सीधे यात्रियों से राय ली है। गौरतलब हो कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। लेकिन राज्य सरकार बस का किराया बढ़ाने को राजी नहीं है। आम आदमी की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए राज्य ने कड़ा रुख अख्तियार किया।

बस मालिकों के संगठनों ने यात्रियों की राय जानने के लिए एक सामूहिक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है। बस मालिक संघ की ओर से गुरुवार को कई हजार आम लोगों और यात्रियों के हस्ताक्षर वाला पत्र पेश किया गया, जिसमें दावा किया गया कि किराए में बढ़ोतरी से आम जनता को कोई आपत्ति नहीं है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह पत्र परिवहन विभाग में जमा किया गया है।

जैसे ही प्रतिबंधों में ढील के साथ बस चलाने की अनुमति दी गई है। लेकिन मांग के मुकाबले चलने वाली बसों की संख्या नाकाफी है। डीजल की कीमत 90 रुपये से ऊपर। नतीजतन, किराया नहीं बढ़ाने पर बस उतरना संभव नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार किराया बढ़ाने की मांग नहीं मानी, इसलिए हस्ताक्षर कर लिया गया। फिर आज यानी गुरुवार को बस मालिक संगठनों ने राज्य परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। तपन बंद्योपाध्याय व अन्य नेताओं ने संयुक्त रूप से राज्य परिवहन सचिव को कई हजार हस्ताक्षरों वाला पत्र सौंपा।

बस किराए में बढ़ोतरी से आम जनता को कोई आपत्ति नहीं है। इसके लिए आम जनता की सहमति से हस्ताक्षर एकत्रित कर पत्र प्रस्तुत किया गया है। तपन बंद्योपाध्याय ने कहा कि न केवल कोलकाता, बल्कि विभिन्न जिलों के लोगों के पत्र भी उनके हस्ताक्षर के साथ राज्य परिवहन विभाग को भेजे जाएंगे।

उधर, सिटी सबअर्बन बस सर्विस के महासचिव ने बस का किराया तय करने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित कमेटी के मुखिया और राज्य परिवहन विभाग के संयुक्त सचिव के साथ बैठक की। अन्य राज्यों में वर्तमान में कितने निजी बस किराए उपलब्ध हैं, इसकी पूरी रिपोर्ट जारी की गई है। यह अनुमान लगाया गया है कि उस रिपोर्ट के आधार पर अगले किराये के बुनियादी ढांचे का निर्धारण किया जा सकता है।

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