कोलकाता। पश्चिम बंगाल का बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने सोमवार को एक बार फिर अपने लिए जमानत की अर्जी लगाई। उन्होंने दावा किया कि नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में मंत्री के रूप में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव की बीमारी का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह से बुद्धदेव बाबू अस्पताल में बीमारी से भुगत रहे हैं ठीक उसी तरह वह भी जेल में भुगत रहे हैं। अलीपुर नगर सेशन कोर्ट में भर्ती भ्रष्टाचार मामले की सुनवाई में अपने वकील के माध्यम से पार्थ ने दावा किया कि वह निर्दोष हैं। साथ ही उन्होंने किसी भी कीमत पर जमानत की गुहार लगाई।
पार्थ को पिछले साल 23 जुलाई को ईडी ने गिरफ्तार किया था। तब से एक साल बीत चुका है। सोमवार को पार्थ ने अपने वकील के जरिए कहा, ”सीबीआई एक साल से ज्यादा समय से मेरे खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं कर पाई है। 26 साल से लोगों के लिए काम कर रहा हूं। एक मंत्री के तौर पर भ्रष्टाचार में मेरी कोई भूमिका नहीं है।” पार्थ ने अपने वकील के जरिए यह भी बताया कि स्कूल सर्विस कमीशन कैसे काम करता है। उन्होंने कहा कि एसएससी एक्ट में कई संशोधन किये गये हैं। एक व्यक्ति नीति बनाता है। दूसरा हिस्सा भर्ती का काम करता है।
एसएससी बोर्ड के माध्यम से चलता है। इसमें मंत्री की कोई भूमिका नहीं है। मंत्री नियुक्ति नहीं कर सकते। कैबिनेट सचिव प्रधान सचिव को रिपोर्ट करता है। शिक्षा सचिव मुख्य सचिव को रिपोर्ट देते हैं जहां से मुख्यमंत्री को रिपोर्ट जाती है। पार्थ ने वकील के जरिए साफ किया, ”मुझे नहीं पता कि नौकरी किसे मिली।” इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा, ”मेरा ऑफिस कई बार बदला है। मैं पाँच कार्यालयों में था। डेटा एंट्री ऑपरेटर ने जो किया उसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं।”
इसके बाद जमानत अर्जी पर अड़े पार्थ ने कहा, ”मुझे हर हाल में जमानत दीजिए। मैं इसके लिए जिम्मेदार नहीं हूं।” उन्होंने आगे कहा, ”पूजा आने वाली है। मैं (जमानत के लिए) प्रार्थना करता हूं। परिवार है मैं 25 साल से विधायक हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई भ्रष्टाचार साबित होगा तो सजा भुगतने के लिए तैयार हैं। हालांकि कोर्ट ने फिलहाल उनकी जमानत पर फैसला नहीं सुनाया है।