कहते हैं कि पैरेंटिंग का मतलब सिर्फ बच्चे को जन्म देकर उसे पालना ही नहीं बल्कि पैरेंटिंग से समाज के लिए एक जिम्मेदारी भी जुड़ी हुई है। बच्चों की अच्छी परवरिश अच्छे समाज की नींव भी है। बचपन में आप बच्चों को जो भी सिखाते हैं, वे बातें उनके मन पर छप जाती है।
बड़े होने पर उनकी पर्सनैलिटी के लिए बचपन के अनुभव और परवरिश भी जिम्मेदार होती हैं। आपने कुछ लोगों को देखा होगा कि उनमें प्रतिभा होने के बाद भी आत्मविश्वास की कमी होती है। इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन बचपन में कुछ बातें भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे में हर माता-पिता को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए-
बच्चों का मजाक न उड़ाएं : कोई भी बात कितनी बड़ी है या छोटी, यह नजरिए के साथ उम्र पर भी निर्भर करती है। जैसे, आपके लिए बेड से जम्प करके नीचे कूदना, फुटबॉल पर किक करना छोटी बात हो सकती हैं, लेकिन किसी बच्चे के लिए ये बातें बहुत मैटर करती हैं। आपको कभी भी बच्चे की छोटी से छोटी बातों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।
छोटी-छोटी बातों को डांटना या पीटना : बच्चे बेहद ही मासूम होते हैं। ऐसे में उनके द्वारा कोई गलती करने पर उन्हें डांटने या पीटने की जगह पर उन्हें प्यार से समझाएं। असल में, बच्चे का मन बेहद ही कोमल होता है। ऐसे में वे गुस्से की जगह प्यार से जल्दी बात को समझते हैं। इसके अलावा बच्चे को मारने से वे मां-बाप से डरने लगते हैं। कई बच्चे तो पेरेंट्स को लेकर असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। ऐसे में इन सब चीजों से बचें।
बच्चों की तुलना करने से बचें : हर बच्चा प्यारा होता है। सभी की अलग आदतें होती हैं लेकिन बचपन में एक आदत कॉमन होती है, वे है दूसरे बच्चों को अच्छा बताने पर बच्चे इसे मन पर ले लेते हैं। ऐसे में सम्भावना रहती है कि बच्चे दूसरे बच्चों से चिढ़ने लगते हैं या खुद को कमतर समझने लगते हैं इसलिए बच्चों की तुलना करने से बचें।
दूसरों के सामने बच्चों को गलत कहना : अक्सर पेरेंट्स पड़ौसियों व रिश्तेदारों के आगे अपने बच्चों में कमी निकालने लगते हैं। मगर इससे बच्चे का हौंसला कम होता है। वहीं ऐसी बातें कई बार बच्चे के मन में बैठ जाती है। इसलिए ऐसा करने से बचें।
हर काम में कमी निकालना : बचपन में किसी काम में परफेक्ट होने में समय लगता है। ऐसे में उसके काम में गलती निकालने की भूल ना करें। इसके विपरित बच्चे की कोशिश अच्छी ना होने पर भी उसकी तारीफ करें। आप बच्चों को अलग-अलग एक्टिविटी में डाल भी सकती है। इससे आपको भी पता चलेगा कि आपके बच्चे की किस काम में रूचि है। साथ ही बच्चा सही दिशा में ध्यान लगाएं।