नई दिल्ली। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने लैटरल एंट्री स्कीम के तहत संयुक्त सचिव (ज्वाइंट सेक्रेटरी) और निदेशक (डायरेक्टर) के पदों के लिए वैकेंसी की घोषणा की है।
इस वैकेंसी में सीधी भर्ती के तहत नियुक्ति की जाएगी। हालांकि इस फ़ैसले पर विपक्ष आरोप लगा रहा है कि इस भर्ती में आरक्षण के अधिकार का हनन होगा।
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने एक एक्स पोस्ट में लिखा, “बीजेपी ने एक बार फिर से आरक्षण पर वार किया है। मोदी सरकार ने केंद्र में जॉइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर, डिप्टी सेक्रेटरी के क़रीब 45 पद भरने के लिए लैटरल एंट्री का विज्ञापन निकाला है।”
कांग्रेस के मुताबिक़, “इसमें ओबीसी, एससी, एसटी और ईडब्ल्यूएस का आरक्षण नहीं है। ऐसा इसलिए है कि मोदी और बीजेपी सरकार जानबूझकर ऐसा कर रही है ताकि इन वर्गों को नौकरियों से दूर रखा जा सके.” कांग्रेस ने लिखा कि यह क़दम संविधन पर हमला है।
वहीं तेजस्वी यादव ने लिखा, “केंद्र की मोदी सरकार बाबा साहेब के लिखे संविधान और आरक्षण के साथ कैसा घिनौना मज़ाक एवं खिलवाड़ कर रही है, यह विज्ञापन उसकी एक छोटी सी बानगी है।”
यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी इसका विरोध करते हुए लिखा, “केंद्र में संयुक्त सचिव, निदेशक एवं उप सचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती का निर्णय सही नहीं है, क्योंकि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा।”
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