On the path of duty, the world saw a glimpse of India's military valor and cultural heritage.

कर्तव्य पथ पर दुनिया ने देखा भारत का सैन्य शौर्य और सांस्कृतिक विरासत की झलक

Republic Day Celebration, नयी दिल्ली। देश आज 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है और इस मौके पर कर्तव्य पथ पर आयोजित मुख्य समारोह का दौरान दुनिया ने भारतीय सैन्य शौर्य तथा समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को देखा।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों इस वर्ष परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। इस परेड के भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता, एकता तथा प्रगति;बढ़ती स्वदेशी क्षमताओं के दम पर सैन्य शौर्य और देश में बढ़ती नारी शक्ति को प्रदर्शित का अनोखा संगम देखने को मिला।

विकसित भारत’ और ‘भारत-लोकतंत्र की मातृका’- विषयों पर आधारित इस वर्ष की परेड में लगभग 13,000 विशेष अतिथि शामिल हुए। इस पहल के तहत समाज के सभी वर्ग के लोगों को इस राष्ट्रीय त्योहार में शामिल होने, उत्सव मनाने और जन भागीदारी को प्रोत्साहित करने का अवसर दिया गया।

On the path of duty, the world saw a glimpse of India's military valor and cultural heritage.पहली बार, परेड की शुरुआत 100 से अधिक महिला कलाकारों ने भारतीय संगीत वाद्ययंत्र बजा कर किया। परेड की शुरुआत इन महिला कलाकारों ने शंख, नादस्वरम, नगाड़ा आदि बजाते हुए मधुर संगीत के साथ किया। यह कर्तव्य पथ पर मार्च करते हुए सभी महिलाओं की त्रि-सेवा टुकड़ी की पहली भागीदारी का भी गवाह बना।

सलामी उड़ान (फ्लाई-पास्ट) के माध्यम से महिला पायलट भी नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हुए दर्शकों का मनोरंजन किया। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की टुकड़ियों में भी केवल महिला कर्मी शामिल रही। इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड सुबह 10.30 बजे शुरू हुई और लगभग 90 मिनट की अवधि तक चली।

गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पहुंचने के साथ हुयी, जहां ऊन्होंने देश के खातिर जान न्योछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद, प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति परेड देखने के लिए कर्तव्य पथ पर सलामी मंच पर आए।

On the path of duty, the world saw a glimpse of India's military valor and cultural heritage.समारोह स्थल पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का आगमन ‘राष्ट्रपति के अंगरक्षक’ की निगरानी में हुआ। गौरतलब है कि राष्ट्रपति का अंगरक्षक भारतीय सेना की सबसे वरिष्ठ रेजिमेंट है। यह गणतंत्र दिवस इस विशिष्ट रेजिमेंट के लिए विशेष रहा।

‘अंगरक्षक’ ने 1773 में अपनी स्थापना के बाद से सेवा के 250 वर्ष पूरे कर लिए हैं। श्रीमती मुर्मु तथा श्री मैक्रों पारंपरिक बग्गी’ में सवार होकर कर्तव्य पथ पर पहुंचे। यह प्रथा 40 वर्षों के अंतराल के बाद इस साल फिर शुरू की जा रही है।

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