काठमांडू। नेपाल की राजनीति इस वक्त काफ़ी उलटफेर के दौर से गुज़र रही है। मौजूदा पुष्प कमल दहाल प्रचंड सरकार से केपी शर्मा ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। इसके साथ ही प्रचंड सरकार अल्पमत में आ गई है। सीपीएन-यूएमएल प्रचंड सरकार की सबसे बड़े सहयोगी पार्टी थी। ये समर्थन नेपाल में बने नए गठबंधन का नतीजा है।
शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस और ओली की सीपीएन-यूएमएल पार्टी ने नया गठबंधन बनाया है। दोनों पार्टियों के बीच हुए समझौते के तहत पहले कुछ समय केपी शर्मा ओली सरकार का नेतृत्व करेंगे फिर शेर बहादुर देउबा सरकार का नेतृत्व करेंगे।
इस साल 20 मई को जब जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल ने प्रचंड सरकार से समर्थन वापस लिया था तो उस वक्त फ्लोर टेस्ट में उन्हें 275 सदस्यों वाली प्रतिनिधि सभा में से 157 वोट मिले थे। यूएमएल के पास 77 सीटें हैं और उनके जाने से सरकार का बहुमत ख़त्म हो गया है।
अब प्रधानमंत्री को एक बार फिर फ्लोर टेस्ट देना होगा और उनके विश्वासमत हासिल करने के लिए 30 दिन का समय है। देश के नए राजनीतिक माहौल को देखते हुए प्रचंड के लिए समर्थन जुटा पाना लगभग असंभव लग रहा है।
काठमांडू पोस्ट के अनुसार, कानून,न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री पद्म गिरी ने समर्थन वापसी का पत्र सौंपने के बाद कहा, “ये सरकार कुछ विशेष उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाई गई थी,जैसे कि नौकरियां पैदा करना और जनता की निराशा को दूर करना, लेकिन बीते चार महीने को देखें तो हम वो नहीं हासिल कर सके हैं, जिसके लिए हमने इस सरकार को समर्थन दिया था।”
ओली और देउबा की पार्टियों का कहना है किये फ़ैसला देश में राजनीतिक स्थिरता लाने के लिए किया गया है. हालांकि राजनीतिक विश्लेषक नए गठबंधन को राजनीति में’अत्यंत अवसरवादिता’का नाम दे रहे हैं।
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