Nusrat Fateh Ali Khan. When a Sufi saint gave advice to his father, the world got 'Jagat Ustaad'

नुसरत फ़तेह अली ख़ान ।। एक सूफी संत ने दी पिता को सलाह तो दुनिया को मिले ‘जगत उस्ताद’

Ustad Nusrat Fateh Ali Khan Story : ‘ये जो हल्का-हल्का सुरूर है’… जब ‘जगत उस्ताद’ नुसरत फ़तेह अली ख़ान ने इस कव्वाली को अपनी आवाज़ दी तो सुनने वाले रूहानी अहसास से सराबोर हो गए। आज भी नुसरत फ़तेह अली ख़ान की आवाज़ में इस कव्वाली को सुनने वाले कम नहीं हैं।
16 अगस्त 1997 को इस दुनिया को अलविदा कहने वाले नुसरत फ़तेह अली ख़ान के निधन के करीब 27 साल बाद 20 सितंबर को उनका नया एल्बम लॉन्च होने वाला है। इस एल्बम का नाम है, ‘लॉस्ट’।

इस एल्बम को चेन ऑफ लाइट पीटर गेब्रियल के रियल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स से निकाला गया है। भले ही नुसरत फ़तेह अली ख़ान पाकिस्तान में रहे, उनके चाहने वालों ने ज़मीन पर खिंची मुल्क की लकीरों को नहीं माना। उनकी आवाज़ देश-दुनिया के हर कोने में पहुंची। आज उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िए नुसरत फ़तेह अली ख़ान के बारे में।

नुसरत फ़तेह अली ख़ान का जन्म 13 अक्टूबर 1948 को लायलपुर (फैसलाबाद, पाकिस्तान) में हुआ था। उनकी गायिकी में ‘सूफीज़्म’ का असर था। जब नुसरत फ़तेह अली ख़ान सुर साधते थे तो मानो मौजूद श्रोता उनके साथ किसी मुराक़्बा (समाधि) में पहुंच जाते थे। ‘नुसरत फ़तेह अली ख़ान’ नाम का मतलब है- सफलता का मार्ग।

‘नुसरत : द वॉयस ऑफ फेथ’ किताब में नुसरत फ़तेह अली ख़ान के नाम रखे जाने का ज़िक्र है। उनके पिता फ़तेह अली ख़ान मशहूर कव्वाल थे। पहले उनका नाम परवेज़ फ़तेह अली ख़ान रखा गया। संगीत से जुड़ी कई मशहूर शख्सियतों ने परवेज़ की पैदाइश की खुशी में आयोजित समारोह में शिरकत की।

Nusrat Fateh Ali Khan. When a Sufi saint gave advice to his father, the world got 'Jagat Ustaad'

ज़िक्र है कि एक दफा एक सूफी संत पीर गुलाम गौस समदानी ने बच्चे का नाम पूछा तो फ़तेह अली ख़ान ने बताया ‘परवेज़’। फिर क्या था, सूफी संत ने नाम तुरंत बदलने की सलाह दी और एक सुझाव दिया – नुसरत फ़तेह अली ख़ान। बस, यहीं से ‘परवेज़’ का नाम नुसरत फ़तेह अली ख़ान हो गया।

कई मीडिया रिपोर्ट्स में जिक्र है कि नुसरत फ़तेह अली ख़ान के पूर्वज अफ़गानिस्तान से जालंधर (भारत) आए थे। जब देश का बंटवारा हुआ तो परिवार ने फैसलाबाद जाना चुना। संगीत घराने से जुड़े नुसरत फ़तेह अली को बचपन से ही गाने की ट्रेनिंग मिली। उनके परिवार का संगीत से नाता करीब-करीब 600 साल पुराना था। पिता ने बचपन में सुर की बारीकी से परिचित कराया।

नुसरत फ़तेह अली रियाज़ करते रहे। चाचा सलामत अली खान ने कव्वाली की ट्रेनिंग दी। वह धीरे-धीरे अपने फ़न में माहिर होते चले गए।

‘ब्रिटानिका’ वेबसाइट के मुताबिक, 1964 में नुसरत फ़तेह अली ख़ान के पिता गुज़र गए। फिर, नुसरत फ़तेह अली ने चाचा मुबारक अली ख़ान के साथ कार्यक्रमों में शिरकत करनी शुरू की। यह सिलसिला कुछ सालों तक बदस्तूर जारी रहा। वो साल 1971 था, जब नुसरत फ़तेह अली ख़ान हजरत दादागंज बख्श के उर्स में गा रहे थे। यहां से नुसरत फ़तेह अली ख़ान को ऐसी प्रसिद्धि मिली कि समूची दुनिया उनकी मुरीद हुए बिना नहीं रह सकी।

1985 में उन्होंने यूनाइटेड किंगडम में एक संगीत कार्यक्रम की प्रस्तुति दी। जल्द ही यूरोप में भी कार्यक्रम आयोजित होने लगे। नुसरत फ़तेह अली ख़ान ने पहली बार 1989 में संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा किया। उन्होंने 90 के दशक में कई फिल्मों में योगदान दिया। लोकप्रिय संगीतकार पीटर गेब्रियल ने अपने वर्ल्ड ऑफ म्यूजिक आर्ट्स एंड डांस फेस्टिवल और रियल वर्ल्ड रिकॉर्ड्स लेबल पर रिकॉर्डिंग के जरिए नुसरत फ़तेह अली ख़ान को वर्ल्ड म्यूजिक का सुपरस्टार बनने में मदद की।

Nusrat Fateh Ali Khan. When a Sufi saint gave advice to his father, the world got 'Jagat Ustaad'
नुसरत फ़तेह अली ख़ान का बॉलीवुड से भी खासा लगाव रहा। 1997 में आई फिल्म ‘और प्यार हो गया’ में नुसरत फ़तेह की आवाज़ में ‘कोई जाने कोई न जाने’ गाना आया, जो तुरंत चार्ट-बस्टर बन गया। इसके बाद साल 2000 में फिल्म ‘धड़कन’ आई, इसके गाने ‘दूल्हे का सेहरा सुहाना लगता है’ आज भी शादियों में खूब बजाए जाते हैं। 1999 की फिल्म ‘कच्चे धागे’ में नुसरत साहब की आवाज़ में आया गाना ‘खाली दिल नहीं’ ने भी खूब सुर्खियां बटोरी।

महान गायक नुसरत फ़तेह अली ख़ान का निधन 16 अगस्त 1997 को लंदन में हुआ। उनकी कई कव्वाली ‘दिल गलती कर बैठा है’, ‘मेरे रश्क़े क़मर’, ‘सोचता हूं’, ‘तुम्हें दिल्लगी भूल जानी पड़ेगी’, ‘ये जो हल्का-हल्का सुरूर है’, ‘काली-काली जुल्फों के फंदे न डालो’, ‘तुम इक गोरखधंधा हो’, ‘छाप तिलक सब छीनी रे’, ‘हुस्ने जाना की तारीफ मुमकिन नहीं’, ‘सांसों की माला पे’ आज भी संगीत प्रेमियों को बेहद पसंद है। इसके अलावा भी नुसरत फ़तेह अली ख़ान ने कई कव्वाली और गाने गाए, जिसके दुनियाभर में कद्रदान हैं।

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