मेक्सिको में अब सुप्रीम कोर्ट, अन्य उच्च स्तरीय जजों व स्थानीय जजों को जनता के वोट से चुना जाएगा!

मेक्सिको में न्यायिक सुधार बिल दोनों सदनों में पारित- जनता वोट डालकर हर स्तर के जजों को चुनेगी!
वैश्विक स्तर पर न्यायिक प्रणाली को स्वतंत्र रखना ज़रूरी- जजों को जनता द्वारा चुननें से न्यायपालिका का राजनीतिकरण होने की पूरी संभावना- एड. के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां के कई देशों में न्यायिक सुधार बिलों को अपने-अपने स्तर पर निचले व ऊपरी सदनों में पारित करने की होड़ लगी हुई है, जो हम प्रिंट इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया में पढ़ देख व सुन रहे हैं। अभी हमने देखा कि इजराइल में भी 24 जुलाई 2023 को नेसेट ने तर्कसंगतता की न्यायिक समीक्षा पर अंकुश लगाने के लिए न्यायिक सुधार बिल 2023 पारित किया था। जिससे विपक्ष सहित वहां की जनता ने भी भारी विरोध किया था, जिसे 2 जनवरी 2024 को इजरायल की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक सुधार बिल के महत्वपूर्ण हिस्से को खारिज कर दिया था। जिससे युद्ध के चलते मतभेद फिर से भड़क उठे थे। भारत भी राष्ट्रीय न्यायिक आयोग विधेयक 2022 जो जजों की नियुक्ति को विनियमित करता है और इसमें कॉलेजियम प्रणाली समाप्त हो सकती है और न्यायाधीशों की नियुक्ति पर कार्यकारी नियंत्रण लागू हो सकता है जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है, सदन में प्रस्तुत कर चुका है।

आज हम न्यायपालिका की स्वतंत्रता की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि दिनांक 11 सितंबर 2024 को मैक्सिको में ऊपरी सदन ने न्यायिक सुधार बिल 41 के मुकाबले 86 वोटो से पारित कर दिया है व निचली सदन ने पिछले दिनों पहले ही इसे मंजूरी दे दी थी। बता दें, मेक्सिको बुधवार को दुनियां का पहला ऐसा देश बन गया है जिसने वोटर्स को सभी स्तरों पर जजों को चुनने की इजाजत दे दी है। सत्तारूढ़ मोरेना पार्टी और उसके सहयोगियों के वर्चस्व वाले ऊपरी सदन में इस सुधार के पक्ष में 86 वोट और विरोध में 41 वोट पड़े। इसके बाद यह प्रस्ताव पास कर दिया गया। इस प्रस्ताव को संविधान में संशोधन के लिए जरूरी दो-तिहाई बहुमत प्राप्त हुआ। इस नए नियमों के विरोध में कोर्ट के कर्मचारियों, कानून के छात्रों सहित कई समूहों ने कई विरोध प्रदर्शन किए हैं। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट और अन्य उच्च-स्तरीय जज के साथ-साथ स्थानीय स्तर के जजों को भी जनता के वोट से चुना जाएगा। 2025 या 2027 में लगभग 1,600 जजों को चुनाव लड़ना होगा। चूंकि मैक्सिको में न्यायिक सुधार बिल दोनों सदनों में पारित हो चुका है, अब जनता वोट डालकर हर स्तर के जजों को चुनेगी जिसमें अब सुप्रीम कोर्ट, अन्य उच्च स्तरीय जजों व स्थानीय जजों को भी जनता के वोट से चुना जाएगा, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, वैश्विक स्तर पर न्यायिक प्रणाली को स्वतंत्र रखना जरूरी है, जजों को जनता द्वारा चुनने से न्यायपालिका का राजनीतिकरण होने की पूरी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

साथियों बात अगर हम मैक्सिको में न्यायिक सुधार बिल 2024 की करें तो, एएमएलओ का प्रस्ताव, जिसे पिछले सप्ताह निचले सदन ने आसानी से मंजूरी दे दी थी, 2025 में मेक्सिको के संघीय न्यायाधीशों में से लगभग आधे को लोकप्रिय वोट से चुनने का प्रयास करता है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश शामिल हैं। शेष आधे को 2027 में बदल दिया जाएगा, जब चुनावी अदालत के न्यायाधीशों के चुने जाने की उम्मीद है। यह योजना निवर्तमान राष्ट्रपति के लिए प्राथमिकता है, जो कहते हैं कि इससे न्यायिक भ्रष्टाचार जड़ से खत्म हो जाएगा। लेकिन इस योजना के खिलाफ जजों ने हड़ताल कर दी है, साथ ही मैक्सिकन विपक्ष, निवेशकों और अमेरिका ने भी इसका कड़ा विरोध किया है। जिनका कहना है कि इससे सत्तारूढ़ पार्टी को न्यायपालिका पर नियंत्रण मिल जाएगा, जिससे उसकी शक्ति पर नियंत्रण और संतुलन खत्म हो जाएगा। अब इसे सीनेट में मंजूरी मिल गई है, अब योजना को राज्य विधानसभाओं का समर्थन प्राप्त करना होगा जिनमें से अधिकांश मोरेना द्वारा नियंत्रित हैं।

पिछले एक साल से मैक्सिकन राष्ट्रपति आंद्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर न्यायपालिका में आमूलचूल परिवर्तन के लिए संवैधानिक सुधारों पर जोर दे रहे हैं, जिस पर वे भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं। 2 जून को हुए चुनावों में उनकी मोरेना पार्टी द्वारा संसद में भारी बहुमत हासिल करने के बाद से उनका यह कदम और अधिक जोर पकड़ रहा है। इससे विश्लेषकों की चिंताएं बढ़ गई हैं, जो इसे सत्तारूढ़ पार्टी के प्रभाव को और मजबूत करने के लिए एक सत्तावादी कदम के रूप में देखते हैं। लोपेज ओब्रेडोर, जो 2018 में सत्ता में आए थे और अक्टूबर में उनकी सहयोगी क्लाउडिया शिनबाम उनकी जगह लेंगी, ने इन सुधारों को उचित ठहराते हुए कहा है कि न्यायाधीशों ने अपराधियों को रिहा कर दिया और अपने राजनीतिक सहयोगियों का पक्ष लिया। इस योजना ने निवेशकों को भी परेशान कर दिया है, जिसके कारण वित्तीय बाजारों में गिरावट आई है और पेसो कमजोर हुआ है। लेकिन राष्ट्रपति इस बात पर जोर देते हैं कि वह सड़े हुए, भ्रष्टाचार से ग्रस्त न्यायपालिका में सुधार करने से पीछे नहीं हटेंगे। मेक्सिको के स्वायत्त विश्वविद्यालय के कानूनी शोधकर्ता नें कहा, यह योजना राजनीतिक उद्देश्यों और प्रेरणाओं वाली है। सबसे विवादास्पद परिवर्तनों में से एक यह होगा कि न्यायाधीशों का चुनाव लोकप्रिय वोट से होगा। उम्मीदवारों का चयन राष्ट्रपति, कांग्रेस और सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया जाएगा, लेकिन अंतिम निर्णय मतदाताओं का होगा।

उन्होने चेतावनी दी कि इससे न्यायाधीशों के लिए वैचारिक या राजनीतिक पूर्वाग्रह का द्वार खुल जाएगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति की पार्टी वर्तमान में कांग्रेस के दोनों सदनों में बहुमत रखती है और देश के 32 राज्यों में से 24 पर शासन करती है, जिससे यह एक आधिपत्य वाली ताकत बन जाती है। उन्होंने कहा, स्पष्ट रूप से, लोकप्रिय चुनाव की प्रणाली सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में होगी। केवल मुरैना के करीबी लोग ही न्यायपालिका तक पहुंच पाएंगे और वे निष्पक्ष नहीं होंगे जैसा कि उन्हें होना चाहिए। प्रस्तावित परिवर्तन विभिन्न स्तरों पर लगभग 7 हज़ार न्यायाधीशों को कवर करेंगे और न्यायाधीशों के लिए कई मामलों पर फैसला सुनाने के लिए समय सीमा पेश करेंगे ताकि कुछ मुकदमों के दशकों तक खिंचने की प्रवृत्ति से निपटा जा सके। अधिक विवादास्पद रूप से, सुधारों में संगठित अपराध के मामलों की अध्यक्षता करने के लिए हुडेड जज भी पेश किए जाएंगे; प्रतिशोध को रोकने के लिए उनकी पहचान गुप्त रखी जाएगी और नागरिकों की अपील के आधार पर सरकारी परियोजनाओं या कानूनों को रोकने की शक्ति से न्यायालयों को काफी हद तक वंचित कर दिया जाएगा। यह लगभग निश्चित रूप से यह भी सुनिश्चित करेगा कि इस महीने के अंत में लोपेज ओब्रेडोर के पद छोड़ने के बाद भी राष्ट्रपति की पार्टी के पास महत्वपूर्ण राजनीतिक शक्ति बनी रहे।

बता दें मेक्सिको सिटी, 5 सितम्बर मेक्सिको के चैंबर ऑफ डेप्युटीज या निचले सदन ने राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर के नेतृत्व में एक न्यायिक सुधार पैकेज को मंजूरी दे दी, जिससे न्यायाधीशों को नियुक्त करने के बजाय निर्वाचित किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पैकेज को सत्तारूढ़ राष्ट्रीय उत्थान आंदोलन (मुरैना) और उसके सहयोगियों, लेबर पार्टी (पीटी) और ग्रीन पार्टी (पीवीईएम) के सांसदों के पक्ष में 359 वोटों और विपक्ष में 135 वोटों के साथ पारित किया गया था। सुधारों में राजनीतिक नियुक्तियों के बजाय लोकप्रिय वोट से न्यायाधीशों का चुनाव करने और देश के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 11 से घटाकर नौ करने, साथ ही पीठ पर उनके कार्यकाल को 15 से घटाकर 12 वर्ष करने का आह्वान किया गया है। वे सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान और भावी न्यायाधीशों को मिलने वाली आजीवन पेंशन को ख़त्म करने का भी आह्वान करते हैं।

मुरैना के विधायी ब्लॉक के समन्वयक ने कहा, हमने न्यायिक सुधार के लिए एक योग्य बहुमत हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने चुनावों में लोगों को जो प्रस्ताव दिया था, उसे पूरा किया। लोग टोपी-गाउन तानाशाही, न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद से तंग आ चुके हैं और यही कारण है कि हम संकोच नहीं करेंगे। हम इसे और सभी 20 संवैधानिक सुधारों के साथ आगे बढ़ने जा रहे हैं। 5 फरवरी को लोपेज़ ओब्रेडोर द्वारा प्रस्तावित) मोन्रियल ने कहा। सांसदों को मेक्सिको सिटी में विधायी मुख्यालय के वैकल्पिक स्थान पर सुधार पैकेज पर बहस करनी पड़ी क्योंकि विरोध में न्यायिक शाखा के कर्मचारियों ने मतदान को आगे बढ़ने से रोकने के लिए मंगलवार तड़के इमारत तक पहुंच को अवरुद्ध कर दिया था। इसके बजाय सांसदों ने मैक्सिकन राजधानी में मैग्डेलेना मिक्सहुका स्पोर्ट्स सिटी में सत्र आयोजित किया।

साथियों बात अगर हम मैक्सिको के न्यायिक सुधार बिल के विरोध की करें तो, बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन इससे पहले सुधार के मुद्दे पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों के ऊपरी सदन में घुसने और न्यायपालिका नहीं गिरेगी जैसे नारे लगाने के बाद सीनेट के नेता ने सदन को स्थगित कर दिया था। बहस के लिए सांसदों को एक पूर्व सीनेट भवन में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, चुने हुए जज अपराधियों के दबाव में आ सकते हैं। नए नियमों पर प्रतिक्रिया देते हुए एक सार्वजनिक चेतावनी में सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा देश जहां शक्तिशाली ड्रग का धंधा करने वाले समूह नियमित रूप से अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए रिश्वत और धमकी का इस्तेमाल करते हैं, चुने हुए जज अपराधियों के दबाव में आ सकते हैं।

रविवार को जारी एक वीडियो में उन्होंने कहा, न्यायपालिका को ध्वस्त करना आगे का रास्ता नहीं है। पिना ने पिछले सप्ताह कहा था कि शीर्ष न्यायालय इस बात पर चर्चा करेगा कि क्या उसके पास इन नियमों को लागू होने का अधिकार है। हालांकि लोपेज ओब्रेडोर ने कहा है कि ऐसा करने का कोई कानूनी आधार नहीं है। इस बीच अमेरिका ने चेतावनी दी है कि यह नियम ऐसे रिश्ते को खतरे में डालेंगे जो मैक्सिकन कानूनी ढांचे में निवेशकों के विश्वास पर निर्भर करता है। अमेरिकी राजदूत ने पिछले महीने कहा था कि ये परिवर्तन मैक्सिकन लोकतंत्र के लिए एक बड़ा जोखिम पैदा कर सकते हैं और अपराधियों को राजनीति से प्रेरित और अनुभवहीन जजों का शोषण करने में सक्षम बना सकते हैं। इसके अलावा ह्यूमन राइट्स वॉच ने सांसदों से खतरनाक प्रस्तावों के खिलाफ वोट करने का अनुरोध किया था। उनका कहना है कि वे न्यायिक आजादी को कमजोर करेंगे और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का भी उल्लंघन करेंगे।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मेक्सिको में अब सुप्रीम कोर्ट अन्य उच्च स्तरीय जजों व स्थानीय जजों को जनता के वोट से चुना जाएगा! मेक्सिको में न्यायिक सुधार बिल दोनों सदनों में पारित- जनता वोट डालकर हर स्तर के जजों को चुनेगी! वैश्विक स्तर पर न्यायिक प्रणाली को स्वतंत्र रखना जरूरी- जजों को जनता द्वारा चुननें से न्यायपालिका का राजनीतिकरण होने की पूरी संभावना है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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