युवाओं में प्रेम और सेक्स के प्रति नया नजरिया

राजीव कुमार झा : आधुनिक जीवन शैली में अब विवाह पूर्व – विवाहेतर प्रेम और सेक्स को जीवन में स्वीकार करने वाले युवाओं या अन्य लोगों की कई समस्याएँ भी सामने आ रही हैं और इनमें इन संबंधों में अक्सर अलगाव या टूटन के प्रसंगों के साथ भावनात्मक विचलन का समावेश कई प्रकार की पारिवारिक – सामाजिक समस्याओं के अलावा प्रेम और सेक्स के प्रति व्यक्तिगत कुंठाओं को भी जन्म देता है। समाज में प्रेम – सेक्स और नयी – पुरानी उम्र के लोगों के जीवन के आसपास इन समस्याओं के मद्देनजर अक्सर कोई खास मुश्किल खड़ी होती दिखायी नहीं देती और प्रेम में इन त्रासदियों के बीच नये पनपते रिश्तों के फूल जीवन में खुशी के नये रंगों को लेकर चले आते हैं।

प्रेम और सेक्स की मर्यादा में इसकी पवित्रता को प्रमुख तत्व माना जाता है और आधुनिक जीवन शैली में प्रेम के आत्मिक – दैहिक पक्ष की मर्यादा इस प्रक्रिया में अक्सर नया रूप धारण करती प्रतीत होती है। यहाँ सचमुच प्रेम में सच्चे लगाव या अलगाव का अपना कोई खास अर्थ भी प्रकट नहीं होता और वर्तमान जीवन संस्कृति में गड्डमड्ड होते प्रसंगों में प्रेम भी एक देखा अनदेखा विषय बनता अब सामने आता है।

प्रेम और विवाह के अंतर संबंधों को इस प्रक्रिया में करीब – करीब खारिज किया जा चुका है और लिव इन रिलेशनशिप में आधुनिक जीवन शैली के शहरों में सेफ सेक्स के साथ परिवार से अलग अपने फ्लैट में अभिरुचि और इच्छा के अनुरूप आनंदपूर्ण यौन जीवन को जीना कामकाजी अविवाहित युवक – युवतियों की प्राथमिकता बनती जा रही है।

महानगरों में नये ढँग के सेक्स परामर्श केंद्र भी काफी खुल रहे हैं। इससे बाहर ऐसे युवाओं की भी यहाँ कमी नहीं है जिन्हें यौन विषयक मामलों में परंपरागत जीवन संस्कृति से प्रेम है।यह समाज में सेक्स की नयी प्रवृत्तियाँ है जिसके गर्त से कॉलगर्ल से लेकर पार्न फिल्मों के साथ बारगर्ल और नाइट डांस का प्रचलन भी बढ़ता जा रहा है।

प्रेम सेक्स और विवाह को एकमेक माना जाना चाहिए और पश्चिम की भोगवादी यौन संस्कृति से समाज को बचाना एक चुनौती है। आज समाज में हर तबका यौन भटकाव से गुजरता दिखायी देता है। यौन पवित्रता के नैतिक बंधन शिथिल होने से अच्छे भले घरों के युवक और युवतियों में होटल, गेस्ट हाउस और फ्लैटस देह व्यापार के केंद्र बन रहे हैं और मसाज के नाम पर कुछ  महिलाओं के बीच पुरुष वेश्यावृत्ति का भी प्रचलन हो रहा है।

राज कुंद्रा जैसों की गिरफ्तारी से पहले भी तथाकथित कुछ संत महात्माओं की गिरफ्तारी से कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आये थे। कामसूत्र में वात्स्यायन ने सेक्स के लिए संयम को जरूरी कहा है। कामसूत्र की भी भ्रामक व्याख्या की जा रही है और इस महान ग्रंथ के नाम पर कंडोम और फिल्मों के टाइटल रखे जा रहे हैं। भारत में प्राचीन काल से वेश्यावृत्ति का प्रचलन रहा है और आजादी के बाद इसे मिटाने पर ध्यान दिया गया। इस धंधे और पेशे के नये पुराने पहलुओं का उन्मूलन जरूरी है।

मीडिया खासकर टेलिविजन और सोशल मीडिया ने महिलाओं की छवि को धूमिल किया है। नारी की नग्नता इस मीडिया के कारोबार का एक प्रमुख पहलू है और इससे जनसामान्य की यौन अभिरुचियों में विकृति आयी है। बलात्कार की वारदातों में वृद्धि का एक कारण यह भी है। समाज में पुरुषों की तरह नारियों की स्वतंत्रता भी महत्वपूर्ण है लेकिन इसका दुरूपयोग नहीं हो और युवक-युवतियाँ पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण से जीवन में खुद को दूर रखें यह श्रेयस्कर होगा। प्रेम विवाह के प्रसंगों के साथ यौन भटकाव का सिलसिला थम नहीं जाता है। इस तरह के वाकये फिर विवाह विच्छेद के रूप में उजागर होते हैं। घर परिवार बाल बच्चों से भरा पूरा परिवार ही जीवन की सच्ची खुशी है।

(नोट : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत है। इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)

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