प्रौद्योगिकी के नए युग में बच्चों पर पढ़ने वाले मानसिक शारीरिक व भावनात्मक प्रभावों को रेखांकित करना जरूरी
शिक्षा मंत्रालय द्वारा ऑनलाइन गेमिंग पर शिक्षकों व अभिभावकों के लिए जारी एडवाइजरी 2021 व सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 को सख्ती से क्रियान्वयन करना समय की मांग- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में संसद के शीतकालीन सत्र 2024 की शुरुआत 25 नवंबर 2024 से हुई जिसमें उद्योगपति मामले में हंगामें के चलते 29 नवंबर 2024 तक यानी चार दिन में मात्र 40 मिनट ही कार्रवाई चली औसतन प्रतिदिन 10 मिनट तक कार्यवाही चली, अब दोनों सदनों की कार्यवाही सोमवार 2 दिसंबर 2024 तक स्थगित कर दी गई है। इस बीच राज्यसभा में सभापति ने कहा, यह करनी लोकहित केंद्रित नहीं है। ये लोगों की पसंद के बिल्कुल प्रतिकूल है, हम अप्रासंगिक होते जा रहे हैं और लोग हमारा उपहास कर रहे हैं। हम वस्तुतः हंसी का पात्र बन गए हैं, इसलिए वे राज्यसभा सांसदो से कृपा कर सदन के कामकाज में सुचारू रुप से भाग लेने की अपील करते हैं। सदन के सामान्य कामकाज में व्यावधान उत्पन्न किए जाने से उन्हें गहरी पीड़ा और दुख हुआ है। हम बहुत खराब मिसाल कायम कर रहे हैं। हम देश के लोगों का अपमान कर रहे हैं और उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। क्योंकि जनता से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे बिल व सवाल बाधित हो रहे हैं। आज यह विषय हम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि 29 नवंबर 2024 को राज्यसभा में ऑनलाइन गेमिंग से बच्चों पर पढ़ने वाले दुष्प्रभाव से जुड़े एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की लिखित जानकारी दी।
बता दें वर्तमान प्रौद्योगिकी और डिजिटल युग में अत्यंत तीव्रता से हम एक नए भारत की ओर बढ़ रहे, हमारे देश पर हमें गर्व है लगभग हर क्षेत्र में मानवीय शारीरिक श्रम को आधुनिक प्रौद्योगिकी की सहायता से कंप्यूटर, रोबोट, विभिन्न एप्स की भाषा में तब्दील कर घंटों का काम सेकंडों में करने की राह तेजी पकड़ती जा रही है और हम तेजी से एक नए भारत की ओर बढ़ रहे हैं इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि हम विज़न 2047 को अपने टारगेट के कई साल पहले ही प्राप्त कर लेंगे। परंतु इससे हमारे भविष्य के नेतृत्व बच्चों पर काफी दुष्प्रभाव पढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
साथियों बात अगर हम तीव्र गति से प्रौद्योगिकी विकास की करें तो बड़े बुजुर्गों का कहना है रजाई जितनी पानी में भीगेंगी उतनी ही भारी होती जाएगी बिल्कुल ठीक, हमें बड़े बुजुर्गों द्वारा कहे एक-एक शब्द सत्य साबित होते हैं यही बात, हमें इस आधुनिक प्रौद्योगिकी में भी देखनी होगी कि जितनी हम सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं उनके कुछ साइड इफेक्टस भी होते हैं, जिनकी अत्यंत सूक्ष्मता से हमें सावधानी भी बरतनी होगी।
साथियों बात अगर हम इस नई प्रौद्योगिकी के बच्चों पर प्रभाव की करें तो आज के युग में हम देख रहे हैं कि बच्चों के हाथ में मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर की आदत तीव्रता से बढ़ गई है। क्योंकि महामारी के प्रकोप से लॉकडाउन और स्कूल बंद के कारण उसे समय की आदतों से ऑनलाइन क्लासेस से इसकी जरूरत और आदतें दोनों बढ़ गई है। जिसका खाली समय में प्रयोग में अक्सर ऑनलाइन गेमिंग, अन्य गेम, अश्लीलता के कुछ अंश इत्यादि का क्रेज बढ़ गया है जिसकी ओर हम सभी अभिभावकों माता-पिता, शिक्षकों को इस दिशा में तेज़ी से ध्यान देखकर अतिकठोर सावधानी बरतना होगा ताकि हमारे कल के भविष्य बच्चों को आत्म संयमता का मंत्र देकर हम उनका भविष्य सुरक्षित कर सकें।
साथियों बात अगर हम ऑनलाइन गेमिंग में सुरक्षा के लिए संसदीय शीतकालीन सत्र में भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का लिखित उत्तर पेश करने की करें तो सरकार ऑनलाइन गेमिंग से होने वाले खतरों और लत जैसे संभावित नुकसानों से अवगत है। भारत सरकार की नीतियों का उद्देश्य अपने उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित, विश्वसनीय और जवाबदेह इंटरनेट सुनिश्चित करना है। ऑनलाइन गेम की लत जैसी विभिन्न सामाजिक आर्थिक चिंताओं को दूर करने के लिए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने संबंधित हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद,आईटी अधिनियम के तहत दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम, 2021) को अधिसूचित किया है।
आईटी नियम, 2021 ने सोशल मीडिया मध्यस्थों सहित विभिन्न मध्यस्थों पर उस सूचना के संबंध में विशिष्ट सावधानी बरतने के दायित्व डाले हैं, जिसे प्लेटफ़ॉर्म पर होस्ट, प्रदर्शित, अपलोड, प्रकाशित, प्रसारित, संग्रहीत या साझा नहीं किया जाना है। मध्यस्थों से अपेक्षा की जाती है कि वे किसी भी ऐसी सूचना को होस्ट, संग्रहीत या प्रकाशित न करें जो वर्तमान में लागू किसी भी कानून का उल्लंघन करती हो। मध्यस्थों को अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है, जिसमें आईटी नियम, 2021 के तहत वर्गीकृत गैरकानूनी सूचना को हटाने की दिशा में उनकी त्वरित कार्रवाई या किसी भी ऐसी सूचना के खिलाफ प्राप्त शिकायतों के आधार पर कार्रवाई शामिल है, जो अन्य बातों के अलावा, बच्चों के लिए हानिकारक है या जो मनी लॉन्ड्रिंग या जुए से संबंधित या प्रोत्साहित करती है।
इसके अलावा, शिक्षा मंत्रालय ने 27 सितंबर, 2021 को ऑनलाइन गेमिंग के नुकसानों पर काबू पाने के लिए अभिभावकों और शिक्षकों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इसके बाद, शिक्षा मंत्रालय ने 10 दिसंबर, 2021 को बच्चों के सुरक्षित ऑनलाइन गेमिंग पर अभिभावकों और शिक्षकों को एक एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में संकेत दिया गया है कि ऑनलाइन गेम खेलने से गंभीर गेमिंग की लत लग जाती है जिसे गेमिंग डिसऑर्डर माना जाता है। इसने आगे चेतावनी दी है कि बिना किसी प्रतिबंध और आत्म-सीमा के ऑनलाइन गेम खेलने से कई खिलाड़ी आदी हो जाते हैं और अंततः गेमिंग डिसऑर्डर का निदान किया जाता है अभिभावकों और शिक्षकों को एडवाइजरी को व्यापक रूप से प्रसारित करने और बच्चों को मानसिक और शारीरिक तनाव से जुड़े सभी ऑनलाइन गेमिंग नुकसानों पर काबू पाने में प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई के लिए उन्हें शिक्षित करने की सिफारिश की गई है।
इसके अतिरिक्त, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 4 दिसंबर, 2020 को सभी निजी सैटेलाइट टेलीविजन चैनलों को ऑनलाइन गेम्स, फैंटेसी स्पोर्ट्स आदि पर विज्ञापन के बारे में एक एडवाइजरी भी जारी की है, जिसमें सभी प्रसारकों को सलाह दी गई है कि भारतीय विज्ञापन मानक परिषद द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए और टेलीविजन पर प्रसारित विज्ञापनों में भी उन्हीं का पालन किया जाए। दिशा- निर्देशों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है।
(1) किसी भी गेमिंग विज्ञापन में 18 वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को नहीं दिखाया जाना चाहिए।
(2) ऐसे प्रत्येक गेमिंग विज्ञापन में प्रिंट/स्टेटिक तथा ऑडियो/वीडियो फॉर्म में एएससीआई कोड के अनुरूप डिस्कलेमर होना चाहिए, जिसमें यह दर्शाया गया हो कि इस गेम में वित्तीय जोखिम शामिल है तथा यह व्यसनकारी हो सकता है।
(3) विज्ञापनों में गेम को वैकल्पिक रोजगार के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए।
(4) उन्हें यह भी नहीं दर्शाना चाहिए कि गेमिंग गतिविधि करने वाला व्यक्ति किसी भी तरह से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 21 मार्च, 2024 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित मीडिया को एक एडवाइजरी भी जारी की है, जिसमें ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म और/या इन प्लेटफॉर्म को छद्म तरीके से दर्शाने वाले किसी भी ऐसे उत्पाद/सेवा के विज्ञापनों को प्रकाशित या प्रसारित करने से परहेज करने को कहा गया है।
ऑनलाइन विज्ञापन बिचौलियों को भी सलाह दी गई है कि वे ऐसे विज्ञापनों को भारतीय दर्शकों को ध्यान में रखकर न दिखाएं। गृह मंत्रालय ने साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक ढांचा और पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की स्थापना की है। एमएचए ने सभी प्रकार के साइबर अपराधों की रिपोर्ट करने में जनता को सक्षम बनाने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल भी लॉन्च किया है। इस पोर्टल पर रिपोर्ट की गई साइबर अपराध की घटनाओं को कानून के प्रावधानों के अनुसार आगे की कार्यवाही के लिए संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की कानून प्रवर्तन एजेंसी को भेजा जाता है। पोर्टल में महिलाओं/बच्चों से संबंधित अपराधों और वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए अलग-अलग तंत्र हैं।ऑनलाइन साइबर शिकायत दर्ज करने में सहायता प्राप्त करने के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1930 चालू किया गया है। यह जानकारी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ऑनलाइन गेमिंग से बच्चों पर दुष्प्रभाव-मामले की संसदीय शीतकालीन सत्र में गूंज- भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का लिखित उत्तर पेश प्रौद्योगिकी के नए युग में बच्चों पर पढ़ने वाले मानसिक शारीरिक व भावनात्मक प्रभावों को रेखांकित करना जरूरी। शिक्षा मंत्रालय द्वारा ऑनलाइन गेमिंग पर शिक्षकों व अभिभावकों के लिए जारी एडवाइजरी 2021व सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 को सख़्ती से क्रियान्वयन करना समय की मांग है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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