श्रीराम पुकार शर्मा, हावड़ा । ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मूलतः आजाद भारत के विविध क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और निरंतर प्रगतिशीलता की अनुभूति के 75वें वर्ष की प्रसन्नता को उद्घाटित करने तथा देश की आजादी में भागीदारी करने वाले अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के लिए मनाए जाने वाला एक सर्वोत्तम राष्ट्रीय त्योहार है। इसके साथ ही साथ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ हमें अपने सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, आर्थिक आदि संबंधित उपलब्धियों को स्मरण करा कर उन्हें और अधिक बेहतर बनाने की कोशिश करने के लिए संकल्प लेने का एक विशेष अवसर भी है। हमारे द्वारा आयोजित ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का अर्थ ही है, आजादी की क्रियाशील ऊर्जाओं का विराट अमृत स्वरूप, अर्थात नई आत्मनिर्भरता का अमृत, नए विकास का अमृत, नए विचारों का अमृत, नए संकल्पों का अमृत और नए उड़ानों का अमृत है।
“आजादी का अमृत महोत्सव” का सरकारी तौर पर शुभारंभ विगत 12 मार्च, 2021 को ही “दांडी यात्रा” की 91वीं जयंती के अवसर पर गुजरात के साबरमती आश्रम से हमारे माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र जी मोदी हरी झंडी दिखा कर चुके हैं। तत्कालीन अंग्रेजी सरकार की दुर्नीतियों के विरूद्ध उसपर आर्थिक प्रहार करने तथा भारतवासियों को आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी बनाने के उद्देश्य से ही महात्मा गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से अपने 72 विशेष अनुयायिओं के साथ ‘दांडी यात्रा’ शुरू की थी और ‘नमक कानून’ को तोड़ा था। यह ‘दांडी यात्रा’ और उससे संबंधित आंदोलन ने अंग्रेजी सरकार की व्यापारिक अर्थगत नीतियों पर करारी चोट पहुँचाई थी। यह ‘दांडी यात्रा’ एक तरह से भारत में अंग्रेजी शासन की उल्टी गिनती प्रारंभ कर दी थी। अतः इसी दिन (12 मार्च) को ही भारत की आजादी के गौरवमय 75 वर्ष के उपलक्ष्य में 75 सप्ताह तक चलने वाला ‘आजादी का अमृत उत्सव’ को प्रारंभ किया गया है, जो निर्बाध रूप से आगामी 15 अगस्त 2023 तक चलेगा।
हमारा यह ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ देश भर के उन सभी सच्चे देशभक्तों को समर्पित है, जिन्होंने न केवल भारत के चतुर्दिक विकास यात्रा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है, बल्कि जिन्होंने भारत को आत्मनिर्भर, स्वाभिमान और प्रगतिशील बनाने के लिए वृहद स्वप्नों को देखा और उनको यथार्थ स्वरूप देने की भरपूर कोशिश भी की है। भारत अपने सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और वैश्विक नीतियों में सुधार कर निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है। महान ऋषि-मुनियों और वेदों की अमर ऋचाओं से सिंचित हमारी पावन भारत-भूमि आज विश्व के मार्गदर्शन करने के लिए पुनः उद्धत है। विश्व को मानवता का मार्ग प्रदर्शित करते हुए हमारा भारत फिर से ‘विश्व गुरु’ बनने की ओर अग्रसर है। आज विश्व के अधिकांश राष्ट्र ही अपनी उन्नति के लिए भारत की ओर साग्रह उन्मुख हैं।
‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत मूलतः पाँच प्रमुख बिंदुओं पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा है, – आजादी की लड़ाई के 75वें वर्ष, देश की आत्मनिर्भरता का 75वें वर्ष, देश की उपलब्धियों के 75वें वर्ष, देश की प्रगतिशील क्रियाओं के 75वें वर्ष और समस्याओं के समाधान के 75वें वर्ष। ये सभी विचारणीय बिन्दु आजाद भारत में हमारे कर्तव्यों को सुदृढ़ और विकासशील सपनों को पूर्ण करने की ओर हमें निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देती रहेंगी।
बहुत ही गर्व की बात है कि इस वर्ष ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ है और यह विराट राष्ट्रीय महोत्सव आजाद भारत में ही जन्में देश के प्रमुख व्यक्तित्व समादृत राष्ट्रपति माननीय श्रीमती द्रोपदी मुर्मू, प्रधान मंत्री नरेंद्र जी मोदी, गृह मंत्री अमित जी शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ जी सिंह, वित्त मंत्री निर्मला जी सीतारमण तथा अन्य विशेष मंत्रियों की सानिध्यता में सम्पन्न होने जा रहा है।
15 अगस्त, 2022 को हमारे देश की आजादी का गौरवशाली 75 वाँ वर्ष पूर्ण होने जा रहा है। अतः ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत 13 से 15 अगस्त तक देश भर में ‘घर-घर तिरंगा रैली कार्यक्रम’ का आयोजन किया जाएगा। जिसके अंतर्गत देश भर में हर घर, हर विद्यालय, हर दफ्तर पर ही तिरंगा झण्डा फहराया जाएगा। विभिन्न सांस्कृतिक मंचों से देश की आत्मनिर्भरता, विकसशीलता और निरंतर प्रगतिशीलता की अदम्य भावना जनित उत्सवों को प्रदर्शित करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। अर्थात 13 से 15 अगस्त तक सम्पूर्ण भारत देश ही ‘तिरंगा’ के रंग में रंगा अपनी गौरवशाली क्रिया-कलापों की मनोहर झाँकी को प्रदर्शित करेगा। भारत का यह मनोहारी महोत्सव अगले 15 अगस्त 2023 तक निर्बाध जारी रहेगा। 15 अगस्त 1947 को आजादी प्राप्ति के उपरांत से देखते ही देखते 75 वर्ष हो चले। इन 75 वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर भारत में बहुत कुछ परिवर्तन हुआ है। आइए उस ओर अपनी नजर दौड़ते हैं।
आजादी और शिक्षा के 75 वर्ष – स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत भारत में शिक्षा के क्षेत्र में लगातार उन्नति हुई है। स्वतंत्रता के समय भारत में साक्षरता का दर मात्र 12% थी, जो अब देश में वर्तमान साक्षरता की दर 74.04% है। पुरुषों में साक्षरता की दर 82.14% और महिलाओं में साक्षरता की दर 65.46% पहुँच गई है। शिक्षा की नियमित उन्नति से हमारे देशवासियों की कार्य-कुशलता में बढ़ोतरी हुई है। साथ ही साथ देश भर में शिक्षा को डिजिटलीकरण का कार्य भी किया गया है, जिससे उच्च शिक्षाएँ आज देश के कोने-कोने में पहुँच गई है।
‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ (एनईपी) – 2020 और ‘डिजिटल इंडिया मिशन’ के दृष्टिकोण को ग्रहण करते हुए ‘आनलाइन शिक्षा पद्धति’ को बहुत समृद्ध किया गया है, जिसके द्वारा पूरे देश में गुणवत्तापूर्ण सबके शिक्षा की पहुँच सबके लिए सुनिश्चित हुई है। फलतः वर्तमान में युवा रोजगार सृजन और विभिन्न उत्पादनों में लगभग चार गुना से भी अधिक की बढ़ोतरी हुई है। इसी विकसित शिक्षा के आधार पर हमारा देश आज अंतरिक्ष कार्यक्रमों से लेकर तकनीक, चिकित्सा, आईटी, कृषि, यातायात आदि क्षेत्रों में आशातीत सफलता अर्जित की है। महामरियों का भी लगातार उन्मूलन किया गया है।
आजादी और महिला सशक्तिकरण के 75 वर्ष – भारतीय संविधान अपनी महिलाओं को समानता की गारंटी देता है। जिस कारण उचित शिक्षा को प्राप्त कर आज किसी भी कार्य क्षेत्र में महिलायें पिछड़ी हुई नहीं हैं, बल्कि कुछेक क्षेत्र में तो महिलाएँ अपना वर्चस्व ही स्थापित कर ली हैं । देश की महिलाएँ शिक्षा, राजनीति, मीडिया, कला व संस्कृति, सेवा, विज्ञान, उद्योग, रक्षा, प्रशासन, खेल-कूद आदि सभी क्षेत्रों में बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी निभा रही हैं। महिला राजनीतिज्ञों की सबसे अधिक संख्या भारत में ही हैं । हमारा भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है, जहाँ राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यपाल, मुखमंत्री, नेता विपक्ष संबंधित कई उच्च प्रशासनिक पदों पर अपनी शोभा बढ़ा चुकी हैं और आज भी महिलाएँ विविध क्षेत्रों में बेहतर काम कर भी रही हैं।
प्रधान मंत्री के रूप में इंदिरा गाँधी, राष्ट्रपति के रूप में श्रीमती प्रतिभा पाटील और श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, लोकसभा अध्यक्ष के रूप में मीरा कुमार, सुमित्रा महाजन, राज्यपाल के रूप में सरोजिनी नायडू, किरण वेदी, आनंदी बेन पटेल, मुख्य मंत्री के रूप में सुचेता कृपलानी, जयललिता, शीला दीक्षित, मायावती, उमा भारती, वसुंधरा राजे सिंधिया, राबड़ी देवी, महबूबा मुफ्ती, ममता बनर्जी आदि महिलाएँ सदैव स्मरणीय रहेंगी। हमारी पंचायतों में सबसे अधिक महिलाएँ ही निर्वाचित हो रही हैं। भारतीय महिलाएँ अब घर की चौका- बर्तन तक ही सीमित न रहकर देश के सभी क्षेत्रों में अपनी योग्यता को सिद्ध कर रही हैं। यह आजाद भारत की ही उपलब्धि है। महिलाओं के उत्थान पर हम आजाद भारतवासी को सदैव गर्व रहेगा।
आजादी और अर्थव्यवस्था के 75 वर्ष – आजादी के समय भारत की अर्थव्यस्था मात्र 2.7 लाख करोड़ रुपयों की थी, जो आज वह बढ़कर 57 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गई है। इसी तरह से देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी आज 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का हो गया है। सड़कों, रेलमार्गों, बंदरगाहों के निर्माण और वायु सेवाओं में निरंतर विकास तथा कृषि संबंधित खाद्यान्न के उत्पादन में आत्मनिर्भर बन कर हमारा देश अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बन गया है। आज भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर अपने सामाजिक तथा आर्थिक परिदृश्य में बहुत बदलाव किया है। आज अधिकांश समृद्ध देश भारत के साथ अपना वाणिज्य संबंध बनाने के लिए आग्रही हैं।
आजादी और मताधिकार के 75 वर्ष – भारत आजादी प्राप्ति के तुरंत बाद ही विश्व का एक विशाल प्रजातान्त्रिक देश बन गया है। तत्पश्चात जाति, धर्म, प्रांत, भाषा आदि से ऊपर उठकर अपने प्रत्येक वयस्क नागरिक को मताधिकार प्रदान करने वाला भारत विश्व का प्रथम देश भी बन गया है। आपको विदित होगा कि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लोकतंत्र–अमेरिका, अपनी आजादी के 150 वर्षों से अधिक के बाद भी अपने नागरिकों को निर्धारित मानदंडों के आधार पर ही मतदान का अधिकार देता है।
आजादी और प्रौद्योगिकी के 75 वर्ष – आजादी के समय हमारा देश भारत प्रोद्योगिक और अंतरिक्ष तकनीक क्षेत्र में आत्मनिर्भर न था, पर आजादी के उपरांत इन 75 वर्षों में हमारा देश प्रोद्योगिक तथा अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में सबसे उन्नत राष्ट्रों में गिना जा रहा है। वर्ष 1975 में ही भारत ने अपना पहला अंतरिक्ष उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ का निर्माण कर उसका परीक्षण कर चुका है। फिर अपने प्रथम प्रयास में ही ‘चंद्रयान’ को लॉन्च कर चंद्रमा की मिट्टी में पानी के कणों की मौजूदगी की खोज भी कर दी है ।
इसी तरह हमारा भारत अपने प्रथम प्रयास में ही ‘मंगलयान’ को ‘मंगल ग्रह’ की कक्षा में पहुँचने वाला दुनिया का प्रमुख देश भी बन चुका है। भारत घरेलू संचार के लिए उपग्रह विकसित करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। दुनिया का सबसे कम लागत पर ‘सुपरकंप्यूटर’ भारत ने ही तैयार किया है। सबसे कम कीमत वाली कार (नैनो), विश्व का सबसे बड़ा दुपहिया वाहनों का उत्पादक और दुनिया का सबसे बड़ा दूध तथा मक्खन का उत्पादक भी भारत ही है। इन सबका मूल श्रेय अपने देश की आजादी और उन्नत शिक्षा सहित कार्य-कुशल देशवासियों को जाता है।
आजादी और यातायात के 75 वर्ष – आजादी प्राप्ति के समय भारत को पुरानी जर्जर सीमित सड़कें, सीमित रेल-नेटवर्क और इसी तरह से सीमित जलमार्ग विरासत में प्राप्त हुए थे। उस समय देश भर में अलग-अलग रियासतों के अनुसार सड़क, रेलमार्ग और जलमार्ग की विविध प्रणालियाँ प्रचलित थीं, जिसके मालिक विभिन्न रियासतों के प्रमुख हुआ करते थे। वर्ष 1951 में इनका राष्ट्रीयकरण किया गया और फिर इनका समुचित विकास करने का प्रयास हुआ। अब इस समय भारतीय रेलवे के पास 115,000 किमी का ट्रैक और 7,112 स्टेशन हैं, जहाँ से रोजाना कई करोड़ यात्री सफर करते हैं। मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और भारत के पहाड़ी रेलों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में स्थान दिया है।
उच्च कोटि की बेहतरीन चौड़ी सड़कें आज देश के विभिन्न भागों को परस्पर जोड़ी हुई हैं। कोलकाता नगर में जो मेट्रो रेल सेवा प्रारंभ हुई थी, वह अब दिल्ली से होती हुई देश के अधिकांश बड़े शहरों में तैयार होकर वहाँ के लोगों को सस्ता और सुगम सेवा देने लगी है। आज भारत के सभी गाँव सड़कों से जुड़ गए हैं, जिससे लोगों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्तर पर बहुत विकास हुआ है।
आजादी और सशस्त्र बल के 75 वर्ष – आजादी के समय भारत के पास रॉयल सैनिक के अतिरिक्त कुछ विशेष देशी रियासत प्रमुखों के पास कुछ सैन्य बल थे। आजादी के उपरांत इनका राष्ट्रीयकरण करते हुए देश और नागरिकों की रक्षा हेतु विशाल मिलिट्री सेना, नौ सेना और वायु सेना के अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बल, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, रेलवे सुरक्षा बल, अपातकालीन सेवा व सुरक्षा बल, राजकीय पुलिस बल आदि के रूप में संगठित किया गया है। इसमें अब पुरुष और महिला दोनों वर्गों की भागिरदारी सुनिश्चित की गई है।
संख्या की दृष्टि से आज भारत दुनिया में चार बड़ी सैन्य शक्तियों में से एक है। अपने सैनिकों को अत्याधुनिक सैन्य सामग्री प्रदान करने के लिए विकसित आयुध निर्माण संगठन ‘डी.आर.डी.ओ’ भी है। आज भारतीय सेना के पास दुनिया के अत्याधुनिक मिसाइलें और लड़ाकू विमान हैं। वर्तमान विराट सैन्य शक्ति के कारण ही आज पड़ोसी देश या फिर अन्य कोई भी देश भारतीय सीमा की ओर नजर उठाकर देखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
भारतीय आजादी के उपरांत के 75 वर्षों की उपलब्धियों से हमारा सम्पूर्ण भारतीय वातावरण ही परिपूर्ण है। जिसे चाह कर भी शब्दों की सीमा में बाँध पाना नामुमकिन है। उपरोक्त कुछ अंशों की झलक के माध्यम से हमने अपने देश की आजादी के 75वें वर्ष को हमने नमन मात्र ही किया है।
यह बात सही भी है कि आजादी के बाद 75 वर्षों तक हमने अपने विविध क्षेत्रों में आशातीत विकास किया है, जिसके उल्लास में इस वर्ष हम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं, परंतु हमें यह भी न भूलना चाहिए कि आज भी हमारे आजाद देश में बाढ़, सूखा, भू-कंप, महामारी, कुपोषण से प्रतिवर्ष अनेक लोग मर रहे हैं। आज भी हमारे समाज में नारी-प्रताड़ना, दहेज-प्रथा, बाल-विवाह, कु-संस्कार, सांप्रदायिक हिंसा, सरकारी सम्पति का विनाश, सुदूर प्रदेशों में अशिक्षा आदि असामाजिक और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियाँ पूर्वरत ही हैं। आज भी सरकारी सहायता राशि गरीब से गरीब तक न पहुँच पा रही है, बल्कि उसे बीच में ही दबा दिया जा रहा है। आज भी भ्रष्ट नेतागण अपने स्वार्थ के लिए देशहित को तिलांजलि देने का सौदा कर रहे हैं।
जब तक उपरोक्त सामाजिक व राष्ट्रीय कुरीतियों को देश से पूर्णरूपेण दूर न कर लिया जाए, तब तक हमारा यह “आजादी का अमृत महोत्सव” एक दिखावा और छलवा मात्र ही बना रहेगा। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ तभी सफल माना जा सकता है, जब ऊपर स्तर के मंत्रियों व पदासीन नौकरशाहों से लेकर नीचे स्तर के पंचायत सदस्यों और दफ्तर के लिपिकों तक के सभी लोगों की दिनचर्या देशहित के लायक हो जाए।
भारत माता की जय। वन्देमातरम। भारत की आजादी जिन्दाबाद।
श्रीराम पुकार शर्मा
अध्यापक, श्री जैन विद्यालय, (हावड़ा)
ई-मेल सूत्र – rampukar17@gmail.com