कोलकाता। नवरात्र के तीसरे दिन मां चन्द्रघंटा की पूजा की जाती है। यह मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में से तीसरा स्वरूप है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। हम सभी मां चन्द्रघंटा की कृपा से सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं…
इसलिए मां के इस स्वरूप का नाम है चन्द्रघंटा :
मां के सिर पर रत्नजड़ित मुकुट में घंटे के आकार का चंद्रमा सुशोभित है, इसीलिए इन्हें चन्द्रघंटा के नाम से पुकारा जाता है।
इस रूप में अस्त्र-शस्त्र लिए नजर आती हैं मां :
चन्द्रघंटा रूप में माता पहली बार आदिशक्ति की भांति दस हाथों में अस्त्र-शस्त्र लिए नजर आती हैं। माता के हाथों में कमल, शंख, धनुष-बाण, कमंडल, तलवार, त्रिशूल, गदा है। मां चन्द्रघंटा के गले में सफेद फूलों की माला रहती है।
इन मंत्रों से करें मां चन्द्रघंटा को प्रसन्न
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढाचन्द्रघंटायशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥
जानिए तीसरे दिन क्यों होती है मां चन्द्रघंटा की पूजा :
मां चन्द्रघंटा की पूजा के पीछे कारण यह है कि माता का पहला और दूसरा रूप तो भगवान शिव को पाने के लिए है, जब माता भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त कर लेती हैं तो आदिशक्ति रूप में आ जाती हैं। देवी पार्वती के जीवन की तीसरी बड़ी घटना के रूप में उन्हें अपना प्रिय वाहन बाघ प्राप्त होता है। यही वजह है कि माता बाघ पर सवार हैं और अपने आदिशक्ति रूप में भक्तों को दर्शन देकर अभय प्रदान करती हैं।
कैसे रंग के कपड़े पहनें और क्या चढ़ाएं :
देवी चन्द्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मां चन्द्रघंटा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसीलिए सुनहरे रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है। मां को सफेद चीज जैसै, दूध या खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा माता चन्द्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।