राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के 22वे स्थापना दिवस पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर आभासी संगोष्ठी सम्पन्न

उज्जैन। भगवान परशुराम ने वर्षो तक कठिन तपस्या की, उन्होने शास्त्र का अपार ज्ञान प्राप्त किया तथा अन्याय के खिलाफ शस्त्र भी उपयोग किया। संत रामानंद गुरू के विचार संत रविदास कबीर पीपाजी के ज्ञान को उद्गार किया। विशिष्ट उद्बोधन मुख्य अतिथि डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने सप्तऋषि एवं मनीषीयों को स्मरण किया। विशेष अतिथि डॉ. दीपिका सुतोदिया ने भी सम्बोधित किया। समारोह का शुभारम्भ प्रवक्ता डॉ. कृष्णा जोशी ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत भाषण डॉ. शहेनाज शेख ने तथा संगोष्ठी प्रस्तावना राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने दिया। उद्बोधन राष्ट्रीय संयुक्त सचिव शैली भागवत ने कहां कि जनकल्याण एवं विश्व में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से भारत के संतो ने कार्य किया। साधु संतो ने समाज को प्रेरणा दी। अपने महान ग्रंथो से श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त करते है। योग, तप, साधना अपनाने से हम आगे बढ़ सकते है।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता ब्रजकिशोर शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष शिक्षक संचेतना ने बताया कि शिक्षक संचेतना अपने ज्ञानवर्द्धक संगोष्ठी जो विविध क्षेत्रो में वरेण्य कार्य कर रहा है। गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित र्श्रीराम शर्माजी आचार्य ने लेखन के माध्यम से अनेक पुस्तके प्रकाशित की। आपने दादाजी धुनीवाले, शिरडी बाबा, रमण महर्षि, आचार्य श्री तरूणसागर, श्री श्री रविशंकर, सत्यमित्रानंदजी, स्वामी विवेकानंद आदि ने विश्व में धर्म अध्यात्म का प्रचार किया। विशेष वक्ता डॉ. भावना सावलिया राजकोट ने कहा कि हिन्दी साहित्य के 4 काल के साहित्यकारो के बारे में बताया। विशिष्ट अतिथि मेजर संजय कुमार मिश्र ने बताया कि संतो की लम्बी श्रृंखला रही है। सम्राट चन्द्रगुप्त एवं चाणक्य का वर्णन सिख परम्परा एवं मातृशक्ति का ज्ञान शिक्षा में अग्रणी रही।

संगोष्ठी की अध्यक्षता सुवर्णा जाधव राष्ट्रीय मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष पुणे ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि संतो के ज्ञान एवं मार्गदर्शन से सम्पूर्ण विश्व को ज्ञानार्जन करवाया। संगोष्ठी का संचालन श्वेता मिश्र राष्ट्रीय सचिव ने किया एवं आभार डॉ. शहेनाज शेख राष्ट्रीय उप महासचिव ने किया। समारोह में उपस्थित डॉ अरुणा शराफ इन्दौर किरण विजय पोरवाल उज्जैन संगीता केसवानी इन्दौर डॉ. संगीता मंडल कोलकाता, राकेश छोकर सहरानपुर, डॉ. शिवा लोहारिया जयपुर आदि उपस्थित रहे। आगामी समारोह 7 मई 2023 को नारद जयंती पर संगोष्ठी एवं संत कबीर दास जयंती समारोह पुणे महाराष्ट्र आयोजन समिति बैठक होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

sixteen − 13 =