गुरू पूर्णिमा पर हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी

उज्जैन। संसार के भव सागर से पार होना गुरू ही सिखाते है। विपत्ति के समय जब कोई संपत्ति काम नहीं आती है, उस समय गुरू द्वारा प्राप्त आशीर्वाद विपत्ति को पल भर में समाप्त कर देता है। हमारे गुरूदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने कहा है कि सूक्ष्मरूप से गायत्री परिवार एवं समाज के साथ हमेशा मूर्तियों में नहीं पुस्तको (साहित्य) में विद्यमान रहूंगा। हमेशा स्वाध्याय करते रहे, हमारे जीवन में गुरू का होना महत्वपूर्ण है जो हमें मुक्ति का मार्ग दिखाते है। उपरोक्त विचार गायत्री परिवार एवं राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की आभासी संगोष्ठी में मुख्य वक्ता डॉ. प्रभु चौधरी ने व्यक्त किये।

समारोह के शुभारम्भ में गुरू वन्दना डॉ. अरूणा सराफ ने की एवं स्वागत भाषण डॉ. रश्मि चौबे ने दिया। प्रस्तावना में डॉ. अरूणा शुक्ला नांदेड ने कहा कि गुरू हमारे त्रिदेव से पूर्व पुजे जाते है। गुरू ही हमें सही राह दिखाते है। कृष्णा मणि श्री ने बताया कि गुरू अपने शिष्य को अंधकार रूपी अज्ञान से प्रकाशरूपी ज्ञान प्रदान करते है। डॉ. शशि त्यागी ने काव्यमय उद्बोधन दिया। डॉ. दीपा संजय अग्रवाल बरेली ने अपने स्वरचित कुंडलिया-
गुरुवर सम दूजा कहां, चरण गुरू के धाम। बोल गुरू के सोम रस,गुरू मिलाए राम।।
गुरू मिलाए राम,जगत यह महिमा गाए। शरण गुरु सम ईश,सफल जीवन कहलाए।।
जीवन सफल सुजान, फलों से पूरित तरुवर। शरण गुरू की श्रेष्ठ,भरें नित ज्ञानी गागर।।

एवं दोहे –
गुरू कृपा से ज्ञान बढ़े, गुरू कृपा  से  मान। गुरू कृपा से यश बढ़े, उच्च मिले पहचान।
गुरू कृपा से सब तरें, यश वैभव हो द्वार। गुरू कृपा से नीच भी, हो ले भव  से पार।।
प्रभु कृपा तब ही फले,गुरू जब थामे हाथ। अंतर तम सारा घटे, मिल जाए जो साथ।।
जन्म करो अपना सफल, गुरू के चरण पखार। दीक्षा लेकर गुरू से, जन्म अनंत सुधार।।
व्यर्थ भूमि पर अन्यथा, आना होता देख। पढ़ता सारा विश्व ही, दिव्य पुरुष के लेख।
के माध्यम से गुरू एवं शिष्यो का संबंध बताये।

राष्ट्रीय सचिव डॉ. शहनाज शेख ने गुरू पर कविता प्रस्तुत की। संगोष्ठी की मुख्य अतिथि डॉ. सुनीता मंडल ने सारगभिंत उद्बोधन में गुरू शब्द का अर्थ एवं महत्व बतलाया कि शिष्यो का दायित्व है कि अपने गुरूजनो के मार्गदर्शन में जीवन आगे बढ़ाये। संगोष्ठी में सुवर्णा जाधव, संगीता मुसैनिया, राकेश चोकर, मोहनलाल वर्मा, किरण पोरवाल, श्री भागवत, डॉ. कृष्णा जोशी आदि उपस्थित होकर सहयोग प्रदान किया। संचालन कवितामय राष्ट्रीय सचिव श्वेता मिश्र ने एवं आभार डॉ. शहनाज शेख ने माना।

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