भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के जन्म शताब्दी दिवस पर राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं काव्यगोष्ठी सम्पन्न

उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना एवं हिन्दी परिवार इंदौर इकाई उज्जैन द्वारा 100वाँ जयंती समारोह का भव्य आयोजन मध्य भारत हिन्दी साहित्य समिति इन्दौर में हुआ। विशिष्ट अतिथि डॉ. जी.डी. अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षक संचेतना अंतर्राष्ट्रीय स्तर की संस्था प्रतिभा निखारने का काम करती है। कार्यक्रम की सफल संचालन के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की। त्रिपुरारी लाल शर्मा ने कहा कि इस पावन दिवस पर जब अटलजी का 100वां जन्म दिवस है उस पर संगोष्ठी एक कुशल वक्ता, प्रशासक, कूटनीतिज्ञ अटलजी को आदरांजली है।

पिता कृष्ण बिहारी जी के साथ कानून की डिग्री कानपुर के डीएवी कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की। अटलजी के जीवनी से अनेको उद्धरण बताते हुए एक प्रतिष्ठित रचनाकार, साहित्यकार बनाया। उन जैसे व्यक्तित्व जमाने में पैदा होते रहना चाहिये। सुनील जी मतकर ने अपने मार्गदर्शक उद्बोधन में कहा कि भारत रत्न अटलबिहारी वाजपेई जी इतिहास की पुनरावृत्ति करते हुए पोखरन में पहला परमाणु परीक्षण करवाया और 11 मई को तीन दिन बाद दूसरा विस्फोट करवाकर कार्यकुशलता का परिचय दिया। पहली ग्राम सड़क योजना से गांवो एवं शहरों को जोड़ा।

डॉ. वन्दना अग्निहोत्री ने बताया कि अटल जी के कविताओं को तीन भागों में विभाजित कर सकते है राष्ट्रप्रेम, देशभक्ति, प्रकृति को जीवन और जीवन को दर्शन से जोडने का कल किया। नई उर्जा देने वाली नया चिंतन देने वाली है। मनुष्य की पांच जीवन मूल्यों से होनी चाहिये। इंसानियत से होनी चाहिये। समरथ को नहीं दोष गोसाई। मनुष्य अपने मन से झूठ नहीं बोल सकता है क्योंकि मन उसका दर्पण होता है। वास्तविकता में आईने में प्रतिबिंब नहीं बोलता। सपनो को बुनना नहीं गढ़ना है।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने कहा कि आज का दिन सुशासन दिवस है सबके साथ न्याय, समानता के अवसर देकर उन्होने प्रजा के हितो के संरक्षण का काम किया। सामाजिक सुरक्षा के लिए किए गए कार्यो एवं उनकी नीतियों, योजनाओं का उल्लेख करते हुए अटलजी की नेतृत्व क्षमता की प्रशंसा की। परदर्शिता, संवेदनशीलता के साथ निर्णय लेने की क्षमता के साथ राष्ट्रप्रेम को प्रदर्शित करने वाला रहता है।

उन्होंने कभी पाकिस्तान के आगे भारत का सर झुकने नहीं दिया। कारगिल युद्ध जीता। शहीदो की शहादत के लिये सैनिको की खूब हिफाजत हौसला अफजाई की। विषय परिस्थितियों से लड़ना चाहिये हर हाल में कदम मिलाकर चलना होगा। जूझते सिपाही का संकल्प और जीतने का बोध अपनी कविताओं के माध्यम से कराया। संचेतना समाचार द्विमासिक पत्र एवं श्री भण्डारी की पुस्तक का विमोचन किया गया।

मुख्य अतिथि योगेन्द्र नाथ शुक्ला ने कहा कि अपने जीवन के संस्मरणो को बताते हुए अटलजी के व्यक्तित्व के विषय में बताया कि वे जितने अच्छे वक्ता थे तो उतने ही अच्छे श्रोता थे। अटलजी के पास से सकारात्मक उर्जा का प्रवाह निकलता था। वे अति सम्माननीय थे। एक कदम आगे बढ़ाओं लक्ष्य तुम्हारे नजदीक आ जाएगा। वे जन-जन के नेता कहते थे कि मुझे जाति, धर्म में मत बांधो क्योंकि उनकें मन में गांधी जी विद्यमान थे। उन्हीं की विचारधारा का मूलतः अनुकरण करते हुए उनके दिखाए मार्ग पर चलते थे।

ब्रजकिशोर शर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि सभी वक्ताओं ने अटलजी के संस्मरण प्रभावकारी तरीके से प्रस्तुत किए। कुछ ऐसे प्रेरक प्रसंग भी इस संगोष्ठी में बतलाए गए जो पहली बार सुनने को मिले और अति प्रेरणीय रहे। संगोष्ठी की सफलता इस बात से साबित होती है जिसमें अटलजी के व्यक्तित्व की चुनिंदा खासियत की सदन के समक्ष बखूबी रहा वे कुशल राजनीतिज्ञ से बड़े साहित्यकार के रूप में पहचान स्थापित कर गए। उनके जीवन की गहराई लेखनी के माध्यम से सभी को सीखा गए। संयुक्त राष्ट्र संघ में हमारी मातृभाषा को गुंजायमान किया। संचालन डॉ. प्रभु चौधरी ने एवं अनिल ओझा ने प्रथम सत्र में आयोजित संगोष्ठी के समापन पर आभार व्यक्त किया।

द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी की मुख्य अतिथि डॉ. निशा जोशी योगाचार्य इन्दौर एवं अध्यक्षता यशवंत भंडारी यश प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना झाबुआ ने की। काव्य गोष्ठी में कविता पाठ डॉ. रेनू सिरोया कुमुदिनी उदयपुर संगीता केसवानी, यशवंत भण्डारी यश, डॉ. अरूणा सराफ, डॉ. अशोक कुमार भार्गव, कृष्णा पूजा, शीला बडोदिया, डॉ. मनीष दवे, डॉ. वंदना आचार्या, अनिल ओझा आदि ने किया।

समस्त अतिथियों एवं वक्ताओं तथा कवि-कवयित्री का साहित्य गौरव सम्मान से अभिनंदन पत्र एवं स्मृति चिन्ह शाल, अंगवस्त्र प्रदान करके सम्मानित किया। आभार डॉ. अरूणा सराफ ने माना एवं संचालन संगीता केसवानी ने किया। अंत में संगीता केसवानी का जन्मदिवस मनाया गया।

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