कोलकाता। Local Desk : क्या नारद मामले (Narad Scam) में चारों दिग्गज नेताओं को मिलेगी जमानत, या केस को दूसरे राज्य में शिफ्ट किया जाएगा? हाईकोर्ट में आज दिन भर चले सवाल-जवाब के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला। फिलहाल निलंबन आदेश प्रभावी रहा। फलस्वरूप फिरहाद-सुब्रत को एक रात और प्रेसीडेंसी संशोधनागार में रहना पड़ेगा। शोभन और मदन को भी शारीरिक बीमारी का कारण बताने के बावजूद अंतरिम जमानत नहीं मिली। कल यानि गुरुवार को मामले की फिर सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के कक्ष में होगी।
इस कानूनी लड़ाई में दोनों ही पक्ष वादविवाद करने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहा था। हाईकोर्ट में नारद मामले की वर्चुअल सुनवाई ढाई घंटे तक चली। आरोपियों की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और सिद्धार्थ लूथरा ने पूछताछ की, जबकि तुषार मेहता और वाईजे दस्तूर जैसे नामी वकीलों ने सीबीआई का बचाव किया।
कैसी रही आज की सुनवाई?
सीबीआई के एक वकील ने आज उच्चन्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के सामने आरोप लगाया कि नारदा मामले की जांच में बाधा डाली जा रही है।
जज का जवाबी सवाल था, ‘क्या कोरोना काल के दौरान आरोपियों को जेल में रखने की जरूरत है? क्या ऐसा कोई आरोप है कि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं? जवाब में सीबीआई के वकील तुषार मेहता ने कहा, ‘आरोपी जेल में नहीं हैं, वे अस्पताल में हैं।
उल्लेखनीय है कि एकमात्र फिरहाद हकीम ही सिर्फ प्रेसीडेंसी संसोधनागार में है। जबकि सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और शोभन चटर्जी एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती हैं। दरअसल आज मदन और शोभन को बीमारी का हवाला देकर हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत मांगी गई थी हालांकि वह भी खारिज हो गई।
नारद मामले में गिरफ्तार चारों नेताओं के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आरोपियों को बिना बताए मुकदमा दर्ज किया गया है तथा तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर उन्हें जेल में डालने का प्रयास किया जा रहा है। विपक्ष के वकील तुषार मेहता ने निजाम पैलेस में मुख्यमंत्री की मौजूदगी और विरोध का मुद्दा उठाया और कहा कि “इनकी गिरफ्तारी के बाद जो हुआ वह अभूतपूर्व है,” उन्होंने कहा कि उस दिन की घटना अभूतपूर्व थी। सीबीआई अधिकारी बाहर नहीं निकल सके। कार्यालय के बाहर भारी भीड़ थी। मुख्यमंत्री खुद धरने पर बैठ गई। यहां तक कि कानून मंत्री भी खुद कोर्ट परिसर में उपस्थित थे।
बचाव पक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जवाब दिया, “मुख्यमंत्री के चलते कोई अशांति नहीं हुई बल्कि उन्होंने और अन्य विधायकों ने अशांति का विरोध किया था। उन्होंने बार-बार पार्टी कार्यकर्ताओं से शांत रहने को कहा। कोर्ट जानना चाहती थी, ‘मुख्यमंत्री 5-6 घंटे निजाम पैलेस में क्यों थी? सुनवाई के दौरान निचली अदालत में क्यों गए कानून मंत्री? फिर सुनवाई समाप्त हुई।