कोलकाता। पश्चिम बंगाल में सैकड़ों छात्रों ने मंगलवार को कोलकाता के दो स्थानों से ‘नवान्न अभियान’ मार्च शुरू किया। इसे तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसूगैस के गोले छोड़े। मार्च आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल की एक महिला चिकित्सक से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या के मामले में निकाला गया। छात्र संगठनों की मांग है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। वे घटना के लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी की मांग भी कर रहे हैं। नबन्ना पश्चिम बंगाल सरकार का सचिवालय है।
जानकारी के मुताबिक, प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री बनर्जी को महिलाओं को सुरक्षा नहीं दे पाने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनका दावा है कि सरकार की लापरवाही की वजह से ही आरजी कर अस्पताल की घटना घटी। इसके विरोध में देशभर में प्रदर्शन हुए। छात्र संगठन ‘छात्र समाज’ और राज्य सरकार के कर्मचारियों के ‘संग्रामी जौथा मंच’ ने उत्तर कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर और हावड़ा के संतरागाची से मार्च शुरू किया।
बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती के बीच निकाले जा रहे मार्च में शामिल एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि कुछ भी हो जाए, हम नवान्न तक पहुंचेंगे। हमें मुख्यमंत्री का इस्तीफा चाहिए। हमें राज्य सचिवालय पहुंचना है। उनकी सरकार इस जघन्य अपराध के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है। प्रशासन घटना को दबाने की कोशिश कर रहा है।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए नवान्न की ओर जाने वाले मार्गों पर बैरिकेड्स लगाए थे। पुलिस ने आसपास के इलाकों में भी अवरोधक लगाए हैं, ताकि मार्च को नबन्ना पहुंचने से रोका जा सके। पुलिस ने इलाके में निषेधाज्ञा लागू होने की बात कही है। इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर बैरिकेड्स पार करने का प्रयास किया।
दावा है कि कई लोग इसे तोड़कर आगे बढ़ना चाह रहे थे। इस पर काबू पाने के लिए और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसूगैस के गोले छोड़े।
‘छात्र समाज’ के प्रवक्ता सयान लाहिड़ी ने कहा कि इस रैली का राजनीति से कोई भी लेनादेना नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें उकसाए जाने के बावजूद हम इसे आरजी कर अस्पताल में हमारी बहन के साथ हुए जघन्य अपराध के खिलाफ अपने अभियान को शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक रखना चाहते हैं। हम उसके और उसके परिवार के लिए न्याय की मांग रहे हैं। बंगाल और देश की जनता की न्याय की मांग को ममता बनर्जी सरकार को सुनना चाहिए।
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