अमितेश कुमार ओझा, खड़गपुर : हमारा शहर खड़गपुर जो रेलनगरी और मिनी इंडिया के नाम से प्रसिद्ध है। आखिर इसे रेलनगर बनाने में ब्रिटिश के साथ साथ भारत सरकार की भी अहम भूमिका रही । मेरे जन्म से लेकर मेरे विद्यायल तक मैंने अपने चारो तरफ रेलवे का ही पर्यावरण देखा। में जिस स्कूल में पढ़ता था वह भी रेलवे की ही थी जिसने अधिकतर रेलवे कर्मचारी के बच्चे ही पढ़ा करते थें उसमे से कुछ हिस्सा गैर सरकारी कर्मचारियों के लिए होता था जिसे मेरा विद्यालय में नामाकन्न हुआ था। चारो तरफ सिर्फ रेलवे कर्मचारी ही नजर आते थे लेकिन आज इसका विपरीत देखने को मिलता है।
जिसमे सरकार द्वारा किए गए निजीकरण का दुष्प्रभाव है । आज भारत सरकार को ऐसे क्या मजबूरी है जिसे हर चीज को भारत सरकार द्वारा बेचना ही सरकार को सबसे सरल रूप नजर आरहा है। आखिर सरकार क्यों अपने काम को प्राइवेट कंपनी को देकर करवाना चाहती है ,तो इसका कारण हमारे नेता और उच्च पदो में बैठे सरकारी कर्मचारियों का है । आज भी रेलवे , बीएसएनएल और भी जितने सरकारी विभाग है उसके उत्पाद में तिगुना कार्य हो सकता है । ऊपर में बैठे कर्मचारियों का सही रूप से काम ना करना और सही सुपरवाइजर की कमी आज रेलवे जैसे बड़े सेक्टर को आज बेचने की स्थिति में ले आई है । आखिर जब सरकार अपने कर्मचारियों का काम का ही जायजा सही से नहीं ले सकती है तो देश की जिम्मेदारी बहुत बड़ी बात है। आज बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर है।
आधुनिकता को अपना हिस्सा बनाना हमारा कर्तव्य है लेकिन यह बात जहां की आबादी कम हो वहां के लिए सही है । भारत की आबादी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है । रोजगार का अवसर समाप्त होने की स्थिति में है । १० की जगह ४ श्रमिक मिल कर ही मशीनों की सहायता से कार्य को समाप्त कर दे रहे है।आखिर ये देश चलाने के लिए एक मजबूत सरकार की जरूरत है ना कि अंबानी, अडानी जैसे लोगो की । देश की सरकार का ये फर्ज है कि हर नागरिक के पास एक रोजगार होना चाहिए अगर इस तरह हर चीज को बेचना ही सबसे आसान तरीका है तो देश की मजदूर वर्ग की आत्महत्या जैसे नौबत का सामना देश को हर एक दिन करना पड़ेगा।