मुंबई : कोरोना वायरस संक्रमण के प्रकोप से उबरने के लिए देश में लॉकडाउन किया गया। लॉकडाउन की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने घर के सामने एक लक्ष्मण रेखा खींच लीजिए उसके बाहर नहीं आना है। तभी से लोगों को रामायण की याद आने लगी थी। दो दिन बीते ही थे कि केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रामायण के पुनः प्रसारण की घोषणा कर दी। शायद ऐसी मंशा रही होगी कि लोगों को उनके घरों में रखने में रामायण जैसे धारावाहिक सहायक होगा।
रामायण ने इस बात को साबित भी कर दिया है। जब से रामायण शुरू हुआ है किसी ना किसी प्रसंग या असल जिंदगी की घटनाओं से सोशल मीडिया पटा रहता है। इसी दौरान रामायण में विभीषण का किरदार निभाने वाले मुकेश रावल को लेकर एक कहानी बताई जा रही है।
बताया जा रहा है कि बैंक ऑफ़ बडौदा के वो स्टाफ, जिन्होंने वर्ष 1987-88 के बाद बैंक जॉइन किया है। उनमें से कम लोग जानते होंगे कि धारावाहिक ‘रामायण’ में विभीषण का अभिनय करने वाले मुकेश रावल बैंक ऑफ़ बड़ौदा के लिपिक वर्ग के स्टाफ थे। उस समय गोवलिया टैंक शाखा, मुंबई में कार्यरत थे। रामायण की व्यस्तता के कारण बैंक की ड्यूटी पर कम आ पाते थे। उनकी गैरहाजिरी को लेकर बैंक ने उन्हें नोटिस दिया था। बाद में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए बैंक के उच्च अधिकारियों ने उन्हें स्पेशल लीव प्रदान की थी।
इस बारे में लेखक बृज मोहन कहते हैं कि मुकेश रावल के साथ बैंक की मैरिन ड्राइव, मुंबई शाखा में काम कर चुके मेरे मित्र सुरेश जैन ने बताया कि वह रामायण में काम करने के पहले से ही गुजराती रंगमंच के लोकप्रिय अभिनेता थे। बैंक की 2001 में आई स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना में उन्होंने सेवानिवृत्ति ले ली थी। 2016 में उनकी मृत्यु एक रेल दुर्घटना में हो गई। उन्होंने गुजराती फिल्मों के अलावा बालीवुड की ज़िद, तिरंगा, कोहराम आदि फिल्मों में भी काम किया है।