Monsoon 2024: Record-breaking rains, rising temperatures highlight dangers of climate change

मानसून 2024: रिकॉर्ड तोड़ बारिश, बढ़ते तापमान ने जलवायु परिवर्तन के खतरों को किया उजागर

निशान्त, Climateकहानी, कोलकाता। इस साल का मानसून भारत के लिए कई रिकॉर्ड तोड़ बारिश और असामान्य रूप से बढ़ते तापमान के साथ समाप्त हुआ। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव साफ़ तौर पर दिखे, जिससे देश के अलग-अलग हिस्सों में भारी बारिश और ऊंचे तापमान की घटनाएं दर्ज की गईं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष देशभर में सामान्य से अधिक बारिश हुई।

भारत ने 1 जून से 30 सितंबर तक कुल 934.8 मिमी बारिश दर्ज की, जो मौसमी औसत 868.6 मिमी से अधिक है। मानसून का यह प्रदर्शन, विशेष रूप से जुलाई से सितंबर के महीनों में, अप्रत्याशित रहा, जबकि जून में अल-नीनो के प्रभाव के कारण 11% की बारिश की कमी देखी गई थी।

वर्षा की स्थिति:

  • 729 जिलों में से 340 जिलों में सामान्य वर्षा हुई।
  • 158 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश, जबकि 48 जिलों में अत्यधिक अधिक बारिश दर्ज की गई।
  • दूसरी ओर, 167 जिलों में वर्षा की कमी और 11 जिलों में गंभीर कमी दर्ज की गई।

Monsoon 2024:

IMD के आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त और सितंबर में रिकॉर्ड-तोड़ भारी बारिश हुई। अगस्त में 753 स्टेशनों पर और सितंबर में 525 स्टेशनों पर बहुत भारी बारिश दर्ज की गई, जो पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले सबसे अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश की तीव्रता और अस्थिरता में वृद्धि हो रही है।

जलवायु परिवर्तन और मानसून:

वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन ने मानसून की पारंपरिक धारा को बदल दिया है। पहले जहां मानसून की प्रणाली उत्तर की ओर चलती थी, अब यह दक्षिण और मध्य भारत में अधिक सक्रिय हो रही है। इस बदलाव के कारण लगातार भारी बारिश और अचानक तापमान में वृद्धि देखी जा रही है।

IMD के पूर्व महानिदेशक डॉ. के.जे. रमेश ने कहा, “पिछले 5-6 वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम प्रणालियों की जीवन अवधि बढ़ गई है, जिससे ज़मीन पर गीली मिट्टी वाले इलाकों में बारिश की तीव्रता बनी रहती है। यह वैश्विक तापमान में वृद्धि और लगातार जलवायु परिवर्तन के संकेत हैं।”

रात के तापमान में वृद्धि:

भारी बारिश के बावजूद, 2024 के मानसून के दौरान रात के तापमान में वृद्धि दर्ज की गई। देश के मध्य और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में रात का तापमान सामान्य से अधिक रहा। पूर्वोत्तर भारत में अब तक का सबसे अधिक न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।

विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में यह वृद्धि हुई है, जिससे न केवल दिन में बल्कि रात के समय भी गर्मी का असर बढ़ रहा है। इससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है और खासकर बुजुर्गों और कमजोर स्वास्थ्य वाले लोगों के लिए यह स्थिति और खतरनाक बन रही है।

Monsoon 2024: Record-breaking rains, rising temperatures highlight dangers of climate change

आगे की चुनौतियाँ:

जलवायु विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले वर्षों में मानसून की अनिश्चितता और बढ़ सकती है। देश में भारी बारिश और लंबे सूखे के बीच का अंतर और गहराता जाएगा। विशेषज्ञों ने सरकार से अपील की है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए एक ठोस अनुकूलन रणनीति तैयार की जाए, ताकि जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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