- अपनी मधुर आवाज से लोगों के दिलों पर किया राज
मुंबई। हिंदी सिनेमा में यूं तो कई सुपरस्टार आए। लेकिन, उन्हें सुपरस्टार बनाने वाले एक ही फनकार थे। जिनकी जादुई आवाज की दीवानी पूरी दुनिया थी। बदलते इस जमाने में आज भी जब उनके गीतों का तराना छेड़ा जाता है तो लोग उन्हें याद करते नहीं थकते।
जी हां.. बात हो रही है हिंदी संगीत को देश-विदेश में नई पहचान देने वाले सुरों के जादूगर मोहम्मद रफी की। जिनके न जाने कितने ही हिट गीत आज भी लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं। जैसा कि यह है.. तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे…। आज मोहम्मद रफी की 44वीं पुण्यतिथि है।
मोहम्मद रफी का 31 जुलाई 1980 को दिल का दौरा पड़ने से 55 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। मोहम्मद रफी के बारे में मशहूर संगीतकार नौशाद ने कहा था, “संगीत के सात सुरों में से एक चला गया है। अब केवल छह ही बचे हैं। आगे लिखा कि ‘गूंजती है तेरी आवाज अमीरों के महल में, गरीबों के झोपड़ों में भी है तेरे साज, यूं तो अपने मौसिकी को भी आज तुझ पर नाज है।
मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह गांव में हुआ था। उनका परिवार रोजगार के सिलसिले में लाहौर आ गया। हालांकि, उस दौरान परिवार में किसी को संगीत से लगाव नहीं था। लेकिन, एक दिन दुकान पर एक फकीर से मुलाकात के बाद रफी का संगीत की ओर झुकाव बढ़ा। इसके बाद परिवार ने उन्हें बड़े संगीतकार से गीत सीखने के लिए कहा। करीब 13 साल की उम्र में मोहम्मद रफी ने अपनी पहली प्रस्तुति दी।
उस दौरान श्याम सुन्दर मशहूर संगीतकार के तौर पर जाने जाते थे। रफी को सुनने के बाद उन्होंने उन्हें गाना गाने का अवसर दिया। पंजाबी फिल्म गुल बलोच के लिए उन्होंने अपना पहला गीत गाया। 1946 में मोहम्मद रफी (तब बम्बई) अब मुंबई आए। यहां से उन्होंने जो गाने का सिलसिला शुरू किया, वह कभी रुका नहीं। बड़े-बड़े संगीतकार मोहम्मद रफी को अपनी फिल्म में गाने गाने के लिए जोर देने लगे।
रफी के बारे में कहा जाता था कि वह गीत गाने के लिए पैसों की डिमांड नहीं करते थे। कई बार तो उन्होंने बिना पैसे लिए गीत गा दिए। सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर ने कहा था कि मोहम्मद रफी की आवाज काफी सुरीली थी। उन्होंने कहा था कि ऐसे गायक बार-बार जन्म नहीं लेते हैं। उन्होंने संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए आखिरी बार गीत गाया था।
मोहम्मद रफी ने अपने करियर में 6 फिल्मफेयर और 1 नेशनल अवॉर्ड जीता था। भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म श्री’ सम्मान दिया।
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