आतंकवाद व वैश्विक युद्धों पर मोदी ट्रंप की साझेदारी- दुनिया को नई नेतृत्व

आतंक के पनाहगार पर भारत अमेरिका की संयुक्त बयान स्ट्राइक से तिलमिलाए व डरे पड़ोसी मुल्क
भारत अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से एक और एक ग्यारह बनकर लड़ने की घोषणा से पड़ोसी विस्तारवादी देशों में खलबली- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत के लिए विरोध का स्वर निकालने वाले देशों में मोदी की वाशिंगटन यात्रा व ट्रंप के साथ शानदार केमिस्ट्री, दोस्ती व अनेक समझौते एफ35 विमान की पेशकश व आतंकवाद पर संयुक्त बयान से खासकर पड़ोसी व विस्तारवादी देश तिलमिला से गए हैं व ताबडतोड़ पाक के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने तिलमिलाकर कहा कि पाक के बलिदान को स्वीकार किए बिना इस तरह की टिप्पणियों से हैरान है, तो वहीं ट्रंप ने 26/11 मुंबई हमले के तहव्वुर राणा को भारत को प्रत्यापित करने की घोषणा कर दी। बता दें, वैसे तो भारत सहित समूचा विश्व आतंकवाद नामक मानवजनित त्रासदी से पीड़ित हैं, तथापि भारत बहुत लम्बे समय से आतंकवाद का शिकार होता रहा है। भारतीय राज्यों में प्रमुखता से जम्मू एवं कश्मीर, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब व उत्तर प्रदेश, आसाम जैसे अनेक राज्य आतंकवाद से त्रस्त रहा है।

आतंकवाद भारतीय उपमहाद्वीप का सर्वप्रमुख विकास अवरूद्ध करने वाला समस्या सिद्ध हुआ है जो समय समय पर आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था व प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाते रहा है और जानमाल की अत्यधिक क्षति आतंकवादी घटनाओं से ही अब तक हुआ है, चाहे वह मुम्बई बम ब्लास्ट की घटना हो या बनारस संकट मोचन, रेलवे स्टेशन की आतंकी घटना या फिर दिल्ली की घटना हो या जम्मू कश्मीर पुलवामा अटैक, संसद पर हमला या फिर 26/11 का हमला सभी में असंख्य जाने गई है। जो क्षेत्र आज आतंकवादी गतिविधियों से लम्बे समय से जुड़े हुए हैं उनमें जम्मू- कश्मीर, मुंबई, मध्य भारत (नक्सलवाद) और आठ बहन राज्य (उत्तर पूर्व के आठ राज्य) (स्वतंत्रता और स्वायत्तता के मामले में) शामिल हैं। अतीत में पंजाब में पनपे उग्रवाद में आंतकवादी गतिविधियां शामिल हो गई जो भारत देश के पंजाब राज्य और देश की राजधानी दिल्ली तक फैली हुई थी, जो अब धीरे-धीरे पकड़ में आ रही है व समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए गए हैं। चूँकि भारत अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से एक और एक ग्यारह बनकर लड़ने की घोषणा व वैश्विक युद्धों पर मोदी ट्रंप की साझेदारी, दुनिया को नया नेतृत्व!

साथियों बात अगर हम वॉशिंगटन डीसी में मोदी ट्रंप के साझा वक्तव्य की करें तो, उसमें कहा गया है कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ निश्चित ही लड़ाई लड़ी जानी चाहिए और आतंकवादियों को पनाह देने वाले ठिकानों को पूरी दुनिया से खत्म किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि दोनों नेताओं ने ग्लोबल टेरेरिज्म के खिलाफ लड़ने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है और पाकिस्तान से 26/11 मुंबई और पठानकोट हमलों के अपराधियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया। संयुक्त वक्तव्य में नाम लेकर पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा है कि पाकिस्तान अपने क्षेत्र का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए ना करे द्विपक्षीय बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने भारत और अमेरिका के बीच ग्लोबल साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दिया, जो आपसी विश्वास, साझा हितों, सद्भावना और नागरिकों की मजबूत भागीदारी पर आधारित होगा।

इसके अलावा संयुक्त वक्तव्य में अलकायदा, आईएसआई जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों की तरफ से आने वाले खतरों के खिलाफ सामूहिक तौर पर लड़ने को लेकर प्रतिबद्धता जताई गई है। इसके अलावा दोनों नेताओं ने डिफेंस, ट्रेड, एनर्जी सिक्योरिटी, टेक्नोलॉजी और लोगों के बीच सहयोग के क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी के महत्व पर प्रकाश डाला है। ज्वाइंट स्टेटमेंट में नेताओं ने इस बात पर फिर से जोर दिया है, कि आतंकवाद एक वैश्विक संकट है, जिससे सामूहिक तौर पर लड़ा जाना चाहिए और दुनिया के हर कोने से आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों को खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने 26/11 को मुंबई में हुए हमलों और 26 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान में एबी गेट बम विस्फोट जैसे जघन्य कृत्यों को रोकने के लिए अल-कायदा, आईएसआईएस, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों से आतंकवादी खतरों के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।

इसके अलावा अमेरिका ने घोषणा की कि तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी गई है। दोनों नेताओं की इस बहुप्रतीक्षित मुलाकात में मुंबई हमले के प्रमुख साजिशकर्ताओं में एक तहव्वुर राणा को भारत लाने, खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर रोक लगाने, गैर-कानूनी तौर पर भारतीयों की अमेरिका में घुसपैठ कराने वाले लोगों के खिलाफ साझा निर्णायक कार्रवाई करने, रक्षा क्षेत्र में अगले दस वर्षों के लिए सहयोग का रोड मैप बनाने, भारत को अत्याधुनिक एफ-35 युद्धक विमान बेचने, अमेरिका से ज्यादा तेल व गैस की खरीद करने, मिल कर परमाणु ऊर्जा के छोटे व बड़े रिएक्टरों का निर्माण करने को लेकर सहमति बनी है।

साथियों बात अगर हम मोदी ट्रंप द्वारा साझा वक्तव्य में आतंकवाद पर एक और एक ग्यारह होकर लड़ने की करें तो ट्रंप ने इस्लामिक आतंकवाद के मुद्दे पर भारत को एक अहम साझेदार बताया। संयुक्त बयान में अल-कायद व आइसिस के साथ भारत के लिए खास तौर पर खतरा बने पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठनों जैश-ए- मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा के खतरों को लेकर सहयोग की प्रतिबद्धता जताई गई है और पाकिस्तान से कहा गया है कि वह मुंबई आतंकी हमले, पठानकोट हमले के दोषियों के खिलाफ शीघ्रता से कार्रवाई करे और यह सुनिश्चित करे कि उसकी जमीन का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवाद के लिए ना हो। आतंकवाद के संदर्भ में भारत ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से मिली मंजूरी पर गहरा संतोष जताया है। भारत पिछले कई वर्षों से इस बारे में अमेरिका से बात कर रहा था। डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना चेतावनी भरा एक संकेत दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि, इस साल की शुरुआत से ही अमेरिका ने भारत के साथ अरबों डॉलर की सैन्य खरीद बढ़ा दी है।

ट्रंप ने आगे कहा कि, अमेरिका और भारत विश्व के लिए खतरा बन रहे कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद का सामना करने के लिए पहले की तरह मिलकर काम करते रहेंगे। मोदी और ट्रंप की संयुक्त प्रेस वार्ता में पत्रकारों ने चीन को लेकर भी सवाल पूछे, ट्रंप ने चीन के साथ संबंधों को लेकर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि चीन हमारे लिए महत्वपूर्ण देश है। ट्रंप ने कहा कि, उन्हें लगता है कि चीन के साथ रिश्ते बेहतर हो जाएंगे, उन्होंने आगे कहा कि कोरोना के आने से पहले तक भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी अच्छी दोस्ती थी। रूस और यूक्रेन का युद्ध शांत कराने में चीन काफी मददगार हो सकता है। वहीं डोनाल्ड से जब पूछा गया कि, अगर आप भारत के साथ कारोबार को लेकर इस तरह की सख्ती दिखाते रहेंगे? तो चीन को कैसे मात दे पाएंगे? इस पर डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हम किसी को भी मात दे सकते हैं लेकिन हमारा इरादा किसी को मात देने का नहीं है। हम सही दिशा में काम कर रहे हैं और अच्छा काम कर रहे हैं।

साथियों बात अगर हम पाकिस्तान द्वारा भारत अमेरिका के ज्वाइंट एक्शन के रिएक्शन की करें तो, आतंकवाद पर मोदी और ट्रंप की फटकार के बाद पाकिस्तान फड़फड़ाने लगा है। पाक विदेश मंत्रालय ने भारत और अमेरिका के ज्वॉइंट स्टेटमेंट को एक तरफा, भ्रामक और राजनयिक मानदंडों के विपरीत बताया है। पाक ने हैरानी जताते हुए कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ उसके प्रयासों और बलिदानों को नजरअंदाज किया गया है। आंतकवाद के खिलाफ अमेरिका के साथ मिलकर किए गए पाकिस्तान के प्रयासों को नजरअंदाज कर दिया गया।

पाक विदेश मंत्रालय के शुक्रवार (14 फरवरी, 2025) को प्रेस ब्रीफिंग में भारत और अमेरिका के संयुक्त वक्तव्य पर बयान जारी किया है। उन्होंने उलटा भारत पर आंतकवाद को प्रायोजित करने के आरोप लगाए और कहा कि इस तरह के बयानों से कुछ होने वाला नहीं है, भारत के आतंकवाद को समर्थन को छिपाया नहीं जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कश्मीर में तनाव और अस्थिरता को खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का भारत की ओर से अनुपालन नहीं किए जाने की समस्या को बयान में संबोधित नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की लड़ाई और प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है।

साथियों बात अगर हम वैश्विक युद्धों यूक्रेन-रूस व इजरायल-हमास पर संयुक्त बयान की करें तो दोनों देशों के बीच युद्ध विवाद सुलझाने पर पीएम मोदी ने ट्रंप के प्रयासों का स्वागत किया। उन्होंने एक बार फिर कहा कि विवाद का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं, बल्कि मेज पर किया जाना चाहिए। पीएम मोदी ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मैं हमेशा से रूस और यूक्रेन के संपर्क में हूं। दोनों देशों के नेताओ से बातचीत करता रहता हूं। वहीं, पीएम मोदी ने कहा कि कई देशों को लगता है कि भारत तटस्थ है, लेकिन मैं यहां साफ तौर पर कह देता हूं कि भारत ने कभी भी तटस्थता की नीति नहीं अपनाई है, हम हमेशा से शांति के पक्ष मे रहे हैं।

यह समय युद्ध का नहीं है, उन्होंने विश्वास जताते हुए कहा कि किसी भी विवाद का समाधान मैदान से नहीं निकलता। आखिरी में मैं यही कहूंगा कि इस फैसला मेज पर ही आकर करना होगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप का प्रयास कभी भी विफल नहीं होगा। मैं विश्वास जताता हूं कि वह अपने प्रयास में जरूर सफल होंगे। मुझे बहुत खुशी है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने शांति बहाल करने की पहल की है और राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति जेलेंस्की से टेलीफोन पर बात की है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आतंकवाद व वैश्विक युद्धों पर मोदी ट्रंप की पार्टनरशिप- दुनिया को नई लीडरशिप। आतंक के पनाहगार पर भारत अमेरिका की संयुक्त बयान स्ट्राइक से तिलमिलाए व डरे पड़ोसी मुल्क भारत अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से एक और एक ग्यारह बनकर लड़ने की घोषणा से पड़ोसी विस्तारवादी देशों में खलबली मची।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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