Medinipur: Vasant Mahotsav of Aavriti Art Center was popular.

मेदिनीपुर : लोक-लुभावन रहा आवृति कला केंद्र का वसंत महोत्सव

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : सस्वर पाठ एवं श्रवण प्रशिक्षण संस्थान, सस्वर कला केंद्र द्वारा आयोजित ‘बसंत उत्सव’ मेदिनीपुर कॉलेज परिसर में खुले आसमान के नीचे आयोजित किया गया। इस अवसर पर संस्था की संचालिका प्रसिद्ध बाचिक कलाकार मोम चक्रवर्ती ने सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम में संगठन के छात्रों द्वारा गायन, ‘किश्लोय’ के छात्रों द्वारा संगीत, सामूहिक गायन और नृत्य प्रदर्शन शामिल थे।

कार्यक्रम में आमंत्रित कलाकार के तौर पर अलोक वरण माईती, रथींद्रनाथ दास, सुमेधा बंदोपाध्याय, अंशुला कर, दैबयानी खां और अदिति मुखोपाध्याय ने हिस्सा लिया। कवि एवं वाचक अरण्यक बोस, शुभोदीप बोस, सुतानुका मित्रा माईती, मीता सेनगुप्ता ने कार्यक्रम में उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। प्रसिद्ध बाचिक कलाकार जोड़ी अमिय पाल और मालबिका पाल ने श्रुति नाटक प्रस्तुत किया।

इस वसंत उत्सव का विशेष एवं असाधारण आकर्षण युवा कवियों द्वारा किया गया काव्य पाठ था। कवि अभिनंदन मुखोपाध्याय के निर्देशन में कवि सिद्धार्थ सांतरा, राजेश्वरी सारंगी, अघानी कर मिश्र, सौमदीप चक्रवर्ती, अनिंदिता शास्मल, मंगल हाजरा और अभिनंदन मुखोपाध्याय ने एक-एक कर अपनी कविताएं पढ़ीं। नृत्य में सोमप्रिया सेन एवं शायरी चक्रवर्ती का प्रदर्शन काफी प्रभावशाली रहा।

Medinipur: Vasant Mahotsav of Aavriti Art Center was popular.

इस कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख सांस्कृतिक हस्तियों में संगीतकार जयंत साहा, कवि और उपन्यासकार निर्मल्या मुखोपाध्याय, मुख्य शिक्षिका स्वाति बंदोपाध्याय, छंदकार और सचिव विद्युत पाल, संगीत कलाकार सुपंथ बसु और अभिनेत्री स्वप्ना बनर्जी शामिल थी। सभी ने अपने भाषण से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

विशेषकर कवि निर्मल्य मुखोपाध्याय की कथिका, अत्यंत रोचक एवं ज्ञानवर्धक मानी गई। शिक्षक सुदीप कुमार खांडा, नरसिंह दास, मणिकंचन रॉय, संस्कृति प्रेमी अरुण प्रतिहार आदि भी समारोह में उपस्थित थे। कार्यक्रम में दर्शकों की उपस्थिति आकर्षक थी। इस उत्सव का एक आकर्षण मणिकंचन रॉय और उनकी छोटी बेटी आरुषि का स्टेज शो था। माहौल बनाने में प्रदीप दास और विदेश बोस ने अनूठी भूमिका निभाई। नाटककार जयंत चक्रवर्ती ने हर बार की तरह स्मारिका के निर्माण में अपनी रचनात्मक कला दिखाई।

पूरा कार्यक्रम एक असाधारण सांस्कृतिक कार्यक्रम था। कविताओं और गीतों का एक कोलाज “प्रांगणे मोर शिरीष शाखाये” दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। संपूर्ण कार्यक्रम का विचार, डिजाइन एवं क्रियान्वयन कला केंद्र की लीडर मॉम चक्रवर्ती का है।

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