तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े चार वामपंथी जनसंगठनों की पहल पर जंगलमहल के मेदिनीपुर शहर में “शिक्षा की स्थिति और वर्तमान परिस्थिति में हमारे कार्य” विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। शहर के खेल परिसर में शिक्षक संगठन निखिल बंग टीचर्स एसोसिएशन (एबीटीए), निखिल बंग प्राथमिक शिक्षक संघ (एबीपीटीए), शिक्षाकर्मी संगठन वेस्ट बंगाल कॉलेज एजुकेशन वर्कर्स यूनियन व विद्यासागर यूनिवर्सिटी एजुकेशन वर्कर्स यूनियन की पहल पर यह विचार गोष्ठी आयोजित की गई।
बैठक में मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व सांसद शमिक लहरी मौजूद रहे। उन्होंने अपने भाषण में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर कड़ी भाषा में हमला बोला। उन्होंने विभिन्न तथ्यों के साथ “गलतियों से भरी” इस शिक्षा नीति की विभिन्न खामियों पर प्रकाश डाला। राज्य में “सामान्य शिक्षा प्रणाली” के हमले के खिलाफ भी बात की। उनके अलावा एबीटीए के जिला सचिव जगन्नाथ खान, एबीपीटीए के प्रदेश सचिव ध्रुबशेखर मंडल, कॉलेज शिक्षा कर्मचारी संघ के जिला सचिव परमानंद दोलाई, विद्यासागर विश्वविद्यालय के शिक्षा कर्मचारी संघ के सचिव दिगंत भुइयां आदि ने भी संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किए।
बैठक की अध्यक्षता मृणाल कांति नंदा और प्रितीकना गोस्वामी ने की। कार्यक्रम में शामिल हुए 1000 से अधिक कार्यकर्ता व समर्थक शामिल हुए। अपने संबोधन में वक्ताओं ने कहा कि सत्ता व कारपोरेट यदि शिक्षा के निजीकरण में सफल हो गई तो समाज के निचले वर्ग के लोगों के लिए भारी मुश्किल खड़ी हो जाएगी। संपन्न, कुलीन और संभ्रांत वर्ग के लोग ही शिक्षा हासिल कर पाएंगे। राजा का बेटा राजा और मजदूर के बेटा मजदूर बनकर जीवन जीएगा।