मनीषा झा, खड़गपुरः- हम भारतवासी अभी भारत के पश्चिमी तट (महाराष्ट्र, गुजरात) पर आये ताउते तूफान से उबरे भी नहीं थे कि भारत के पूर्वी तट पर यास तूफान के आने की चेतावनी जारी की गई। नई दिल्ली स्थित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने तूफान के आने की चेतावनी जारी करता है। इसमें प्रादेशिक मौसम विज्ञान विभाग भी सहयोग करता है। आजकल रडार द्वारा मौसम की जानकारी प्रदान की जाती है। वायरलेस कंप्यूटर नेटवर्क और मोबाइल फोन की भांति, रडार एक निर्देशित दिशा में विद्युतचुम्बकीय तरंगें भेजता है और परावर्तित तरंगों का अध्ययन करके रडार मौसम की जानकारी रंगों के माध्यम से देता है। इस क्रिया को डॉप्लर इफेक्ट कहा जाता हैं।
मौसम मानचित्र पर हल्के हरे रंग का निशान हल्की बारिश का संकेत देता है, जबकि गहरा हरा रंग या पीला रंग मध्यम वर्षा, लाल रंग भारी वर्षा तथा बैंगनी रंग अत्यधिक भारी वर्षा का संकेत देता है।
इन सबके अलावा हमे प्रायः ग्रीन अलर्ट, येलो अलर्ट, ऑरेंज अलर्ट, रेड अलर्ट के द्वारा भी मानसून और चक्रवाती तूफान की जानकारी दी जाती है। ग्रीन अलर्ट का अर्थ है अभी कोई खतरा नहीं है, येलो अलर्ट का अर्थ है खतरे के प्रति सावधान रहे।
ऑरेंज अलर्ट का अर्थ है कि खतरा है, तैयार रहें। जैसे-जैसे मौसम खराब होता जाता है येलो अलर्ट को अपडेट करके ऑरेंज अलर्ट कर दिया जाता है। रेड अलर्ट का मतलब है सबसे खराब मौसम। मौसम विभाग द्वारा समय-समय पर इन अलर्टों द्वारा सूचना देकर सावधान किया जाता है। इन सूचनाओं के आधार पर एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें कार्य करती है और चक्रवाती तूफान व भारी वर्षा से होने वाली जान-माल की क्षति को बहुत हद तक रोक पाती है। इस तरह देखा जाए तो हर रंग हमसे कुछ न कुछ कहता है।