मास्टर स्ट्रोक – मैं ईमानदार हूं तो वोट देना, नहीं हूं तो मत देना!

आरोप प्रत्यारोप का गांव- इस्तीफे पर का दांव-100% जीतेंगे दिल्ली चुनाव?
जनता गजब का कॉन्फिडेंस देखकर रह गई है दंग- अच्छों अच्छों के कर देगी दावे भंग- मीडिया में शाब्दिक नहीं वोटरों के बीच आकर लड़ो मुद्दों की जंग- एड. के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दिल्ली का नाम राजनीतिक दंगल में तब तेजी से उभर जब आंदोलन की आज से मजबूत होकर आए एक आईआरएस अधिकारी ने पार्टी बनाकर उसे ऊंचाइयों तक पहुंचा दिल्ली में विधानसभा की 70 में से सभी अपनी पार्टी की झोली में डाली, पिछले दो बार की मुख्यमंत्री रही मैडम को चुनाव में हराया भी और दिल्ली का मुख्यमंत्री बन गया तो पूरे विश्व का ध्यान उनके तरफ आकर्षित हो जाना लाजिमी भी है। मैं अपने वकालत के पेशे के साथ ही अन्ना आंदोलन को शुरुआत से लेकर अंत तक आंदोलन की हर स्टेज पर मीडिया के माध्यम से बारीक नजर रखता था विशेष रूप से इन आईआरएस साहब व उनके साथियों सहयोगियों पर भी मीडिया में आए विचारों, बयानों व संवर्धनों पर अपनी पहनी नजर बनाए रखना था तो मैंने उसमें गजब का कॉन्फिडेंस उस समय देखा था, उनकी कार्यशैली देखी तो मुझे उनमें बहुत बड़ा व्यक्तित्व नजर आया जो मैं आज भी अपने स्थिति की घोषणा के दिन भी वह देख के उनमें उनके अंदर गजब का कॉन्फिडेंस है। मैं किसी राजनीतिक विद्यालय व्यक्ति से जुदा नहीं हूं अपने प्रोफेशन के साथ राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मीडिया पर भी नजर रखता हूं। वहीं प्रतिदिन अपने विचार मीडिया में रखता हूं, आज भी उनका यह गजब का कॉन्फिडेंस देखकर मैं पूरे भरोसे के साथ कह सकता हूं कि वह दिल्ली के अगले फरवरी 2025 माह में होने वाले चुनाव में भारी मार्जिन से चुनाव जीतकर अपनी सरकार बनाएंगे।

परंतु इस मास्टर स्टोक कि- “मैं ईमानदार हूं तो वोट देना नहीं हूं तो मत देना” की गूंज पूरे विश्व में सुनाई दी होगी। हालांकि उन पर सत्ताधारी पक्ष व अन्य विपक्ष ‘आप’ प्रचारकों के ऊपर कुछ कहना नहीं चाहूंगा क्योंकि मामला न्यायालय समक्ष विचाराधीन है परंतु यह महसूस कर रहा हूं कि आप वाले हंड्रेड परसेंट जीतेंगे दिल्ली का चुनाव! चूंकि मीडिया के प्रिंट, इलेक्ट्रानिक व सोशल हर प्लेटफार्म पर व टीवी चैनलों के डिबेट में इसी स्थिति पर कम ही चुनाव 2025 का मुद्दा छाया हुआ है। इसलिए आज हम मीडियम उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे जनता गजब का कॉन्फिडेंस देख कर रह गई है, डांग अच्छा के कर देगी दावे भांग मीडिया में शाब्दिक नहीं वोटरों के बीच आकर लड़ो मुद्दों की जंग।

साथियों बात अगर हम दिल्ली की राजनीति करें तो दिल्ली की राजनीति इस समय उबल रही है। यहां सत्ता हस्तांतरण होगा। देंगे मुख्यमंत्री अपने पद से इस्तीफा, उपराज्यपाल से वह कल शाम को मिलना और फिर अपना इस्तीफा। सीएम के इस्तीफा देने का फैसला कोर्ट की शर्तों पर भी निर्भर करता है, जिसमें उनके ऑफिस जाने और फाइलों पर दस्तखत करने पर रोक लगाई गई है। सीएम पर लगे आरोपों के बाद बीजेपी लगातार उनका इस्तीफा मांग रही थी, लेकिन अब जब वह इस्तीफा, तो सत्ताधारी पार्टी इसमें साजिश देख रही है।

साथियों बात अगर हम मास्टर स्ट्रोक, “मैं ईमानदार हूं तो वोट देना नहीं हो तो मत देना”, के जबरदस्त राजनीतिक फायदे की करें तो, अगर गुनहगार मानते हो तो वोट मत देना। सीएम का कहना है कि आज से कुछ महीने बाद दिल्ली के चुनाव हैं, अगर आपको लगता है कि केजरीवाल ईमानदार हैं तो मेरे पक्ष में वोट दे देना और अगर आपको लगता है कि मैं गुनहगार हूं तो मुझे वोट मत देना। जब भगवान राम 14 साल बाद वनवास से लौटे थे तो सीता मैया को अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी। आज मैं जेल से छूटकर आया हूं और अग्निपरीक्षा देने के लिए तैयार हूं। मैं जनता की अदालत में हूं और जनता से पूछना चाहता हूं कि आप केजरीवाल को ईमानदार मानते हो या गुनहगार मानते हो। दिल्ली के मंत्री और नेता ने आज कहा कि ऐसा इतिहास में कभी नहीं हुआ कि कोई मौजूदा मुख्यमंत्री जेल से बाहर आने के बाद खुद ही यह घोषणा कर रहा हो कि अगर आप मुझे ईमानदार मानते हैं तो मुझे वोट दें।

यह देश का पहला चुनाव होगा, जिसमें कोई मुख्यमंत्री कह रहा है कि यह चुनाव ईमानदारी के नाम पर लड़ा जाएगा और वह भी तब, जब देश की केंद्र सरकार समेत तमाम एजेंसियां, चाहे वह ईडी हो, सीबीआई हो, इनकम टैक्स हो, तमाम एजेंसियां ​​मुख्यमंत्री के पीछे पड़ी हैं और उन्हें बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है।दिल्ली के सीएम द्वारा इस्तीफा देने की घोषणा के बाद दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने भी रविवार शाम उनके साथ बैठक की। उन्होंने आगे कहा कि सितंबर में विधानसभा सत्र बुलाया जा सकता है। मुलाकात के बाद गोयल ने कहा कि केजरीवाल मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की ख्वाहिश नहीं रखते और उन्होंने अपने फैसले को सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा कि मैं केजरीवाल से मिला और हमने पद से इस्तीफा देने के उनकी घोषणा पर चर्चा की। गोयल ने कहा कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री की कुर्सी का लालच नहीं है, यदि जनता उन पर भरोसा करती है और मानती है कि वह बेईमान नहीं हैं, तो वे उन्हें फिर से चुनेंगे।

साथियों बात अगर हम मास्टर स्ट्रोक से वर्तमान दिल्ली सरकार को रणनीति फायदे की करें तो केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया है, उन्होंने कहा है कि वो ईमानदारी की कसौटी पर जनता के बीच वोट मांगेंगे। कहा जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के ठीक पहले महिलाओं को 1000 रुपए की सम्मान राशि देने की योजना का रास्ता भी साफ हो सकता है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि पिछले बजट में केजरीवाल सरकार ने इसकी घोषणा तो कर दी थी लेकिन कैबिनेट की मंजूरी मिलने से पहले ही केजरीवाल की गिरफ्तारी हो गई थी। ऐसे में अब नया सीएम इसकी मंजूरी दे सकता है। चुनाव के दौरान केजरीवाल सरकार जनता के बीच यह कह सकती है कि उसने योजना पास कर दी और सरकार बनते ही उसको लागू करेगी। दूसरी वजह ये है की अगर किसी वजह से एलजी ऑफिस या किसी दूसरे स्तर पर योजना अटक जाती है तो भी सरकार इसे अपने पक्ष में भुना सकेगी।

इस योजना के तहत दिल्ली की महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी। हालांकि, उन्हीं महिलाओं को ये आर्थिक सहायता मिलेगी जो दिल्ली की रहने वाली हों, आयकर सीमा से कम कमाने वाली और सरकारी कर्मचारी (सर्विस या रिटायर्ड) न हों। 2000 करोड़ रुपये की मिल चुकी है मंजूरी, इसी साल मार्च महीने में दिल्ली विधानसभा में साल 2024- 25 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री आतिशी ने दिल्ली की महिलाओं के लिए योजना का ऐलान किया, इसे मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना नाम दिया गया एक आंकड़े के मुताबिक इससे दिल्ली की 50 लाख महिलाओं को फायदा मिलेगा।

साथियों बात अगर हम दिल्ली विधानसभा चुनाव फरवरी 2025 की करें तो, दिल्ली में वैसे तो चुनाव फरवरी 2025 तक होना प्रस्तावित हैं। लेकिन, रविवार को जब केजरीवाल ने अपने इस्तीफे का ऐलान किया तो यह भी जोड़ा कि वो चाहते हैं कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव फरवरी की बजाय नवंबर में करवाए जाएं। इसी साल नवंबर में ही महाराष्ट्र और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। केजरीवाल ने भले ही यह मांग कर दी कि दिल्ली का चुनाव नवंबर में महाराष्ट्र के साथ ही कराया जाए, लेकिन तुरंत चुनाव के मूड में केजरीवाल भी नहीं है, क्योंकि उन्होंने सिर्फ सीएम पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया है, लेकिन ना तो कैबिनेट भंग का प्रस्ताव आगे बढ़ाया है और ना विधानसभा भंग करने जा रहे हैं, बल्कि नए चेहरे पर दांव लगा रहे हैं।

हालांकि केजरीवाल को जल्द चुनाव कराए जाने के संबंध में चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मांग करनी होगी और इसका कारण भी बताना होगा फिलहाल दिल्ली की वोटर लिस्ट अपडेट होने का काम बाकी है। दो महीने के अंदर यह काम पूरा होने की संभावना नहीं है। ऐसे में संभव है कि आयोग फरवरी में तय समय पर ही चुनाव करा सकता है। कानूनी जानकार कहते हैं कि नए सीएम के बनने से नए सिरे से कैबिनेट का गठन होगा केजरीवाल इस्तीफा देते हैं तो एलजी की तरफ से मंजूरी दी जाएगी और उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उसके बाद राष्ट्रपति भी इस्तीफा को मंजूर करेंगी, तब जाकर नया मुख्यमंत्री सरकार बनाने का अपना दावा पेश करेगा। इस पर भी अंतिम मुहर राष्ट्रपति की लगेगी। अंत में सीएम और उनकी कैबिनेट की शपथ होगी, इस पूरी प्रक्रिया में वक्त लग सकता है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि मास्टर स्ट्रोक – “मैं ईमानदार हूं तो वोट देना, नहीं हूं तो मत देना”! आरोप प्रत्यारोप का गांव इस्तीफे पर का दांव- 100% जीतेंगे दिल्ली चुनाव? जनता गजब का कॉन्फिडेंस देखकर रह गई है दंग- अच्छों अच्छों के कर देगी दावे भंग- मीडिया में शाब्दिक नहीं वोटरों के बीच आकर लड़ो मुद्दों की जंग।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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