समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि है अंग प्रदेश की मंजूषा कला – प्रो शर्मा
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के ललित कला अध्ययनशाला में कला सम्मान समारोह आयोजित किया गया। आयोजन में बिहार के अंग प्रदेश की धरोहर कला मंजूषा चित्रकला के गुरु मनोज कुमार पंडित तथा उनके शिष्य एवं सुपुत्र अमन सागर का सम्मान अंग वस्त्र एवं साहित्य भेंट कर किया गया। इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि वर्तमान बिहार के प्राचीन अंग प्रदेश की मंजूषा कला समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि है, जिसमें लोक और शास्त्रीय परम्परा का समन्वय दिखाई देता है। कला गुरु मनोज कुमार पंडित के प्रयासों से इस कला को वैश्विक पहचान मिल रही है। उन्होंने मंजूषा गुरु का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मंजूषा कला तथा इससे संबंधित बिहुला विषहरी की कथा और उसकी विशेषताएँ भी बताई।
कार्यक्रम में ललित कला विभागाध्यक्ष डॉ. जगदीश चन्द्र शर्मा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि ललित कला के क्षेत्र में प्रशिक्षण के साथ परम्परा और प्रयोग के बीच आपसदारी जरूरी है। मंजूषा कला गुरु द्वारा विद्यार्थी कलाकारों को प्रशिक्षित किया गया, जिसमें दक्षता प्राप्त कर विद्यार्थी आने वाले समय में उनका नए माध्यमों में प्रयोग करेंगे। उन्होंने मंजूषा गुरु मनोज कुमार पंडित तथा अंग प्रदेश की धरोहर कला मंजूषा के संबंध में अपने विचार प्रकट किए। मंजूषा चित्रकला के गुरु मनोज कुमार पंडित ने अपनी कलाकृति विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय को अर्पित की।
कार्यक्रम में ललित कला विभाग के शिक्षक डॉ. लक्ष्मी नारायण सिंह रोड़िया और डॉ. महिमा मरमट द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। मंच संचालन का कार्य ललित कला की छात्रा अलका कुमारी ने किया। इस सम्मान समारोह में ललित कला के विद्यार्थियों में जीत दे मुकुल, अक्षित शर्मा, पंकज सेहरा, प्रिंस परमार, चांदनी डिगरसे, नंदिनी प्रजापति, लक्ष्मी कुशवाह, अंशी शर्मा, सलोनी परमार, जगबंधु महतो, लखन चंद्रवंशी और भास्कर जोशी ने शिविर के दौरान बनाई गई मंजूषा कलाकृतियों का अवलोकन करवाया।
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