कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को स्कूली छात्रों अतनु दे और अभिषेक नस्कर की हत्या की आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) से जांच कराने का आदेश दिया। राज्य पुलिस ने दो छात्रों की हत्या के सिलसिले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनका अपहरण 15 दिन पहले कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके बागुईहाटी-केस्टोपुर से किया गया था। उनके शव कुछ दिन पहले उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट से बरामद किए गए थे।
गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान अविजित बसु, शमीम अली, साहिल मोल्ला और दीपेंद्र बोस के रूप में हुई है, जबकि एक अन्य आरोपी सत्येंद्र चौधरी अभी भी फरार है। मुख्यमंत्री ने बुधवार को डीजीपी मनोज मालवीय को तलब किया और मामले की सीआईडी जांच शुरू करने को कहा। उन्होंने डीजीपी से मामले की उपेक्षा करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा। इसके तुरंत बाद, मालवीय ने सीआईडी जांच के आदेश जारी किए।
हालांकि, पीड़ितों के परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि उन्हें सीआईडी जांच में कोई भरोसा नहीं है और वे चाहते हैं कि सीबीआई मामले की जांच करे। इस बीच, राज्य के मंत्री फिरहाद हाकिम ने स्वीकार किया कि बागुईआटी थाने की ओर से लापरवाही की गई है, जिसके कारण पीड़ितों के परिवारों ने पुलिस को सूचित करने के बाद मामले को दर्ज करने में दो दिन की देरी की।
हाकिम ने बताया कि बागुईआटी थाने के प्रभारी निरीक्षक कल्लोल घोष को फिलहाल के लिए निलंबित कर दिया गया है। हकीम ने कहा, हम मानते हैं कि बागुईआटी पुलिस थाने के अधिकारियों को इस मामले में अधिक सक्रिय होना चाहिए था। दो स्कूली छात्र 22 अगस्त को लापता हो गए थे। हालांकि, उसी दिन सूचित किए जाने के बावजूद, बागुईआटी पुलिस स्टेशन में पुलिस ने 24 अगस्त को ही प्राथमिकी दर्ज की।
उनके अपहरण के कुछ दिनों बाद, अतनु दे और अभिषेक नस्कर के शव बशीरहाट में मिले थे। प्रारंभ में, शवों को लावारिस शवों के रूप में स्थानीय मोर्चरी में रखा गया था। हालांकि स्थानीय पुलिस ने लावारिस शवों को लेकर राज्य के सभी थानों को अलर्ट कर दिया, लेकिन उसके बाद भी बागुईआटी पुलिस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पीड़ितों के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि उन्होंने स्थानीय पुलिस को फिरौती के पत्र के बारे में सूचित किया, लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।