ममता ने भ्रष्टाचारियों को कहा था कीड़ा, सवाल पर चुप्पी साध गए पार्थ

कोलकाता ।  पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पार्थ चटर्जी का नाम लिए बगैर अपने पार्टी के भ्रष्टाचारियों का जिक्र किया था और कहा था कि धान में एक कीड़ा पड़ जाता है तो कई कीड़े हो जाते हैं। ऐसे कीड़ों को समूल नाश करना होगा। इस बारे में जब पार्थ चटर्जी से गुरुवार को सवाल पूछा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। अलीपुर की विशेष सीबीआई कोर्ट में पेश करने के लिए उन्हें लाया गया था। यहां इसके पहले पेशी के समय पार्थ मीडिया को देख कर मुस्कुराते थे और तृणमूल का गुणगान करते थे जबकि पार्टी ने उन्हें सभी पदों से हटा दिया है। लेकिन गुरुवार को ऐसा कुछ नहीं हुआ। मीडिया ने जब उनसे ममता बनर्जी के कीड़ा वाले बयान के बारे में पूछा तो खामोश हो गए और चुपचाप कोर्ट के अंदर चले गए। उल्लेखनीय है कि पार्थ चटर्जी सहित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार अन्य लोगों को आज फिर कोर्ट में पेश किया गया था जहां सुनवाई पूरी हुई है।

और 14 दिनों तक जेल में हीं रहेंगे पार्थ चटर्जी सहित नियुक्ति भ्रष्टाचार के सातों आरोपित। पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी सहित अन्य आरोपों को गुरुवार को भी जमानत नहीं मिली। उन्हें अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया था जहां से विशेष सीबीआई जज ने उन्हें और 15 दिनों तक जेल में ही रखने का आदेश दिया है। सातों लोग 19 जनवरी तक जेल में रहेंगे। कोर्ट में पेशी के दौरान सीबीआई के अधिवक्ता ने बताया कि पार्षद जी बहुत प्रभावशाली देखते हैं इनके साथ जिन 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जिसमें एसएससी के सलाहकार रहे शांति प्रसाद सिन्हा, माध्यमिक शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष कल्याण गांगुली, प्रसन्ना रॉय, सुब्रत भट्टाचार्य समेत अन्य बड़े साजिश का हिस्सा रहे हैं।

माध्यमिक शिक्षा परिषद के दफ्तर में बैठकर उपाय का लेनदेन हुआ और सभी भ्रष्टाचार की रणनीति पार्थ चटर्जी के कहने और उनके सहमति पर बनाई गई थी। केंद्र एजेंसी ने बताया कि वह मुख्य साजिशकर्ता है और वह प्रभावशाली नेता भी हैं इसलिए उन्हें जमानत नहीं मिलने चाहिए। इधर पार्थ चटर्जी के वकील ने बताया कि उनके वकील को बलि का बकरा बनाया गया है भ्रष्टाचार से उनका कोई लेना-देना नहीं सारी जिम्मेदारियां अधिकारी संभालते थे वह केवल फाइलों पर हस्ताक्षर करते थे वह भी अधिकारियों से पूछ कर इसलिए उन्हें रिहा किया जाना चाहिए लेकिन कोर्ट ने जमानत देने से इंकार कर दिया हालांकि जज ने सीबीआई को जांच और तेज गति से आगे बढ़ाने का सुझाव दिया है।

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