डीवाईएफआई के मृत कार्यकर्ता के परिवार को नौकरी देने को तैयार : ममता

कोलकाता :  बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार डीवाईएफआई कार्यकर्ता मैदुल इस्लाम मिद्दा के परिवार के सदस्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है। मिद्दा पुलिस और वाम दलों के सदस्यों के बीच झड़प के दौरान घायल हो गए थे और बाद में उनकी मृत्यु हो गई थी। बनर्जी ने कहा कि पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और कार्यकर्ता की मौत का सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा। उन्होंने राज्य सचिवालय में कहा, ‘‘मैं किसी की भी मौत का समर्थन नहीं करती। एक जांच चल रही है … मुझे पता चला है कि उसके परिवार के सदस्यों को भी जानकारी नहीं दी गई थी कि उसे कहां भर्ती कराया गया है। इस संबंध में कोई पुलिस शिकायत भी नहीं की गई थी।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैंने सुजान चक्रवर्ती (वाम मोर्चा नेता) से बात की है और उन्हें बताया है कि मैं परिवार को नौकरी और वित्तीय सहायता देने के लिए तैयार हूं।’’ मिद्दा गत 11 फरवरी को वाम दलों के पश्चिम बंगाल सचिवालय तक मार्च के दौरान पुलिस के साथ झड़प में गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उनकी सोमवार सुबह मृत्यु हो गई। माकपा नेता डॉ एफ हलीम ने कहा कि मिद्दा के गुर्दों ने काम करना बंद कर दिया था जिसके बाद उनकी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। मिद्दा का इलाज डॉ. हलीम की चिकित्सा इकाई में चल रहा था। बनर्जी ने कहा कि यह पता लगाना भी जरूरी है कि क्या मिद्दा को कोई स्वास्थ्य समस्या थी। मिद्दा के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। वाम दलों के छात्र और युवा इकाई के सदस्य मार्च के दौरान पुलिस से भिड़ गए थे, जिससे दोनों पक्षों को चोटें आईं थी। पुलिस ने कार्यकर्ताओं को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया, आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार की। पुलिस कार्रवाई के विरोध में वाम मोर्चा ने 12 फरवरी को 12 घंटे के राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया था।

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