Proofreading के क्षेत्र में बनाए करियर, जानें कैसे बनें Proofreader

बद्रीनाथ साव, कोलकाता। हम सब पूजा – पाठ से अवगत है तो जाहिर है कि हम शुद्धिकरण विधि से भी अवगत होंगे। पूजा या पाठ शुरू करने के पहले पंडित हर उस सामाग्री का शुद्धिकरण करतें है जो पूजा के दौरान प्रयोग में लायी जाने वाली हो , साथ ही उस स्थान विशेष का भी शुद्धिकरण किया जाता है , जहाँ ये पूजा – पाठ समपन्न होनेवाला होता है, इसके लिए मुख्य रूप से कुछ मंत्रोचारण के साथ गंगाजल का छिड़काव पुजारी द्वारा किया जाता है।

लेकिन क्या आप जानते है, शुद्धिकरण विधि केवल पूजा – पाठ तक ही सिमित नहीं है , अगर हम सही से अवलोकन करें तो पाएंगे कि हर कार्य की प्रदर्शिता के पूर्व उसकी checking या पड़ताल कहें , कर ली जाती है ताकि वह कार्य अधूरा या अस्पष्ट ना प्रतीत हो तो इसे भी हम एक शुद्धिकरण की दृष्टि से ही देख सकते है , जो कार्य के पूर्व कार्य की मौलिकता को ध्यान में रखकर किया जाता है।

अब आप सोच रहे होंगे की आज मैंने ये शुद्धिकरण का ज़िक्र शुरुआत में क्यों किया तो मैं बता दूँ कि आज मैं इस लेख में proofreading के बारे में बताने वाला हूँ , जो लेखनी की दुनिया में शुद्धिकरण का कार्य करती है।

proofreading क्या है ?

किसी भी प्रकार की लेखनी जिसमे शब्दों का प्रयोग हुवा हो , फिर चाहे वो document हो , समाचार पत्र हो , लेख हो उनको बारीकी से पढ़ना और संभावित त्रुटियां जैसे की spelling mistake, punctuation mistake, typing mistake, formatting mistake को संशोधित करते हुवे व्याकरण से जुडी अशुद्धियों को रेखांकित करना जैसे कार्य को किया जाता है तो यह proofreading कहलाता है।

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proofreading की आवश्यकता :
कई बार लेखक द्वारा लिखे गए लेख , किताब इत्यादि में अनेक सामान्य त्रुटियाँ आ जाती है जो व्याकरण या रुपरेखा से से सम्बंधित होती है , जिनपर लेखक का ध्यान विषय वस्तु पे केंद्रित होने के कारण नहीं जा पाता ऐसे में कोई भी company अपने किसी भी प्रकार के लेखनी को प्रकाशित करने से पूर्व proofreading करवाना जरुरी समझती है ताकि पाठको के बीच उसकी छवि को नुकशान ना पहुंचे। इसके लिए company proofreading करने वाले कीसी पेशेगत व्यक्ति का चयन करती है।

proofreader बनने के लिए जरुरी गुण :

1. proofreader बनने के लिए आपको अधिक से अधिक पढाई पे ध्यान देना चाहिए ताकि आपके पास एक शुद्ध लेखनी की जानकारियों का एक जखीरा हो , साथ ही आपको व्याकरण का भी अच्छा ज्ञान होना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की अशुद्धि ना रह जाय। इसके लिए आप अखबार ,research paper , document , blog इत्यादि पढ़ सकते है।

2. proofreader में एक कौशल ये होनी जरुरी है कि वो लेखक के द्वारा लिखे गए लेखनी के मूल विषय वस्तु को समझ सके ताकि उसी के मद्देनज़र spelling mistake , punctuation mistake , word mistake को सुधारे , कई बार विषय वस्तु पे ध्यान नहीं देने के कारण लेखक द्वारा लिखे गए किसी शब्द या वाक्य को अनावश्यक समझकर उसे proofreader द्वारा हटा दिया जाता है जो की गलत है।

3. अगर आप proofreading करना चाहते है तो आपको computer की जानकारी मौजूदा वक़्त में होनी बहुत जरुरी है , कारण computer की सहायता सेproofreading का कार्य जोरो – शोरो से चल रहा है और लोग घरो में बैठकर ही ये कर भी रहे है। आपको Microsoft office का ज्ञान होना जरुरी है इसमें भी खाशकर mirosoft word , Microsoft excrl , Microsoft powerpoint मुख्य है।

4. आपको proofreading symbol की जानकारी भी रखनी पड़ेगी , proofreading symbol एक indication के रूप में काम करती है जिससे लेखक को ये आसानी से पता चल जाता है कि उसके लेखनी में क्या त्रुटियाँ है। आप proofreading symbol google में type करके search कर सकते है इससे जुड़े अनेको नमूने आपको image रूप में मिल जाएंगे।

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proofreader बनने के लिए योग्यता :
एक अच्छा proofreader बनने के लिए आपके पास हाई स्कूल की शिक्षा का प्रमाणपत्र होना बहुत जरुरी है , साथ ही अगर आपने journalism या साहित्य से जुड़े विषय पे पढाई की हुवी है तो आपके आवेदन को company के द्वारा प्राथिमिकता दी जायेगी। आप post graduation में भी इस विषय का चयन कर सकते है। इसके अलावा आप scribber traing के लिए भी apply कर सकते है जिसके तहत आपको कार्य करते हुवे training दी जाती है।

Proofreading job हेतु आवेदन के मार्ग :
आप offile में सीधे company में आवेदन कर सकते है , इसके लिए समाचार पत्र , रेडियो , tv news channel जैसी कंपनियां प्रमुख है। online आवेदन के लिए आप job placement कंपनियों की सहायता ले सकते है जो प्रमुख रूप से निम्नलिखित है।
Upwork
Indeed
Fiverr
Freelancer.com
Naukari.com
Pure content
Scribe media
Job placement india

दोस्तों एक बात ध्यान में रखियेगा कि prrofreading, editing नहीं है , editing सम्पूर्ण रूप से विषय वस्तु पे निर्भर होती है और उसका दारोमदार लेखक या सम्पादक पे होता है , जबकि proofreading केवल लेखनी से जुडी होती है और विषय वस्तु के लिए सहायक की भूमिका अदा करती है। इसीलिए proofreading और editing के बीच उलझ मत जाइएगा।

आज के इस लेख के माध्यम से मैंने कोशिश की , कि आपको proofreading से जुडी जानकारियां दे सकूँ।
अगर किसी प्रकार की त्रुटि हो गयी हो तो शुद्धिकरण का पूरा अधिकार है , आप टिपण्णियों में इसका जरूर जिक्र करें।

Badrinath
बद्रीनाथ साव, फीचर लेखन

धन्यवाद।

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