आचार्य मदन लाल नागर की जन्मशती वर्ष पर सप्रेम संस्थान एवं अस्थाना आर्ट फोरम के माध्यम से हुआ कार्यशाला
लखनऊ। जैसा की यह वर्ष प्रदेश के प्रसिद्ध चित्रकार कलागुरु मदन लाल नागर (5 जून 1923 – 27 अक्टूबर 1984) का जन्मशती वर्ष चल रहा है। श्रद्धेय नागर का जन्म 5 जून 1923 को लखनऊ में हुआ था। देश के आधुनिक कला जगत में मदन लाल नागर का एक महत्वपूर्ण योगदान और नाम रहा है। कला शिक्षा में आधुनिक चेतना के आग्रही नागर जी के ऐसे शिष्य जिन्होंने कला जगत को अपनी कला से समृद्धि प्रदान की, उन कलाकारों की भी बड़ी संख्या है। किन्तु नयी पीढ़ी को उनके योगदान से अवगत कराते रहना हम सभी का एक प्रमुख दायित्व है। इस माध्यम से हम कला और कलाकारों को याद करने की परंपरा शुरू कर सकते हैं।
चित्रकार, क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि बुधवार को मदन लाल नागर को उनके जन्मशती वर्ष को एक उत्सव के रूप में मानाने के दृष्टि से सप्रेम संस्थान और अस्थाना आर्ट फोरम ने एक कार्यशाला का आयोजन आर्ट्स एंड ग्राफिक विभाग, वास्तुकला संकाय टैगोर मार्ग में आयोजित किया। इस कार्यशाला में पांच युवा कलाकारों ने प्रतिभाग किया और एक एक कलाकृतियों को अपनी अपनी शैली में सृजित किया। इन कलाकारों में दीपेंद्र सिंह, जितेंद्र कुमार, अविनाश भारद्वाज, अक्षांसू और वैभव दीक्षित रहे साथ में मूर्तिकार गिरीश पांडेय और चित्रकार धीरज यादव भी उपस्थित रहे।
कार्यशाला की शुरुआत मदन लाल नागर पर एक विस्तृत चर्चा के साथ भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने किया। उसके बाद मदन लाल नागर पर कुछ वरिष्ठ कलाकारों द्वारा उनकी स्मृतियाँ एक विडिओ के माध्यम से चलाया गया इन विडिओ में वरिष्ठ कलाकारों में वरिष्ठ कवि, लेखक प्रयाग शुक्ल, वरिष्ठ कलाकार जय कृष्ण अग्रवाल एवं वरिष्ठ प्रिंट मेकर पद्मश्री श्याम शर्मा रहे। इन सभी वरिष्ठ कलाकारों ने मदन लाल नागर से जुडी हुई अपनी स्मृतियों को इस विडिओ के माध्यम से साझा किया। इस कार्यशाला के अंतर्गत परिचर्चा के दौरान उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व के सम्बन्ध में जानकारी साझा की गई।