लोकसभा चुनाव 2024 ।। मुर्शिदाबाद में मोहम्मद सलीम के होने से त्रिकोणीय मुकाबले के आसार

Kolkata Hindi News, कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट के लिए होने वाले चुनाव में मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है। इसकी वजह है कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अपनी राज्य इकाई के सचिव मोहम्मद सलीम को मैदान में उतारा है लेकिन मुर्शिदाबाद से मौजूदा सांसद और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार अबू ताहिर खान एक सियासी प्रतिद्वंद्वी के रूप में सलीम को ज्यादा तवज्जो नहीं देना चाहते हैं।

खान का कहना है कि चुनाव में उनका मुकाबला मुर्शिदाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी गौरी शंकर घोष से है। इस निर्वाचन क्षेत्र को अपेक्षाकृत एक पिछड़े क्षेत्र के तौर पर देखा जाता जहां चुनाव के दौरान अक्सर हिंसा की खबरें लोगों को सुनने को मिलती हैं।

तीनों उम्मीदवार इस बात से सहमत हैं कि मुर्शिदाबाद जिले में हिंसा एक बड़ा मुद्दा है लेकिन उन्हें लगता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। उम्मीदवारों का मानना है कि हिंसक गतिविधियां पंचायत चुनावों के दौरान ज्यादा होती हैं।वर्ष 2003 के बाद से जिले में सभी पंचायत चुनावों में हिंसा और मौतें हुईं हैं।

क्या कहना है उम्मीदवारों का?

माकपा की राज्य इकाई के सचिव और पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य सलीम ने कहा कि स्थानीय जनता का प्रवासी मजदूरों के रूप में काम करना, संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और तृणमूल के कुछ नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप जैसे कुछ प्रमुख मुद्दे हैं।

उन्होंने कहा, ”दो सत्ता विरोधी शक्तियां संयुक्त रूप से काम कर रही हैं, एक भाजपा के खिलाफ है और दूसरी तृणमूल के खिलाफ।”

उन्होंने कहा कि वाम-कांग्रेस गठबंधन को इसका लाभ मिलेगा।तृणमूल के उम्मीदवार अबू ताहिर खान ने मुर्शिदाबाद सीट पर लगातार दूसरी बार सीट हासिल करने का विश्वास जताते हुए दावा किया कि निर्वाचन क्षेत्र में सलीम उनके लिए खतरा नहीं हैं। खान, 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस विधायक के रूप में इस्तीफा देकर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो गये थे।

 

Lok Sabha elections 2024. Possibility of triangular contest due to presence of Mohammad Salim in Murshidabad

उन्होंने कहा, ” मोहम्मद सलीम अपनी पार्टी के लिए कद्दावर नेता हो सकते हैं लेकिन मुर्शिदाबाद में उनका कोई जमीनी आधार नहीं है।”

उन्होंने दावा किया कि माकपा ने सलीम के लिए मुस्लिम बहुल सीट ढूंढ़ी है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, मुर्शिदाबाद जिले में 66 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी है जबकि हिंदओं की तादाद 33 प्रतिशत है। भाजपा उम्मीदवार गौरी शंकर घोष ने दावा किया कि सीएए लागू करने से निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी की संभावनाओं पर किसी प्रकार का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

संसद में सीएए विधेयक पारित होने के बाद 2019 में मुर्शिदाबाद जिले में व्यापक हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे लेकिन 11 मार्च को कानून लागू किये जाने के बाद ऐसी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। घोष ने तृणमूल और माकपा पर मुद्दे को लेकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस तरह के प्रयासों से उन्हें (विपक्षी दल) कोई लाभ नहीं मिलेगा।

उन्होंने कहा कि लोग, चाहे वे किसी भी धर्म के हों अब योजनाओं के प्रति जागरूक हैं। घोष ने कहा, ”लोग अब जानते हैं कि केंद्र द्वारा क्या दिया जा रहा है और राज्य द्वारा क्या दिया जा रहा है। तृणमूल जनता को मूर्ख नहीं बना सकती। लोग अब विकास के लिए भाजपा पर भरोसा कर रहे हैं।

क्या है राजनीतिक इतिहास?

मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट पर 1952 में पहली लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में कांग्रेस के मुहम्मद खुदा बख्श ने जीत हासिल की थी। 1957 में भी कांग्रेस के टिकट पर मुहम्मद खुदा बख्श ही चुनाव जीते। इंडिपेंडेंट डेमोक्रेटिक पार्टी (इंडिया) के उम्मीदवार सईद बदरूद्दुजा ने 1962 और 1962 के आम चुनावों में लगातार जीते। 1971 में इंडियन युनियन मुस्लिम लीग के अबू तालेब चौधरी चुनकर संसद पहुंचे थे लेकिन 15 मार्च 1972 को चौधरी का निधन हो गया जिसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के मुहम्मद खुदा बख्स सांसद चुने गए थे।

Lok Sabha elections 2024. Possibility of triangular contest due to presence of Mohammad Salim in Murshidabad

आपातकाल के बाद 1977 में हुए आम चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर काजीम अली मिर्जा जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे। 1980,1984, 1989, 1991,1996 और 1998 के चुनावों में माकपा के सैयद मसूदल हुसैन लगातार चुनाव जीतते रहे। 1998 और 1999 में माकपा ने मोइनुल हसन को चुनाव मैदान में उतारा जिन्होंने दोनों बार जीत हासिल की थी।

कांग्रेस के टिकट पर 2009 और 2004 के आम चुनावों में अब्दुल मन्नान हुसैन लोकसभा सदस्य चुने गए थे।मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट पर 1980 से 2004 तक माकपा का कब्जा था लेकिन 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इस सीट को हथियाने में कामयाब रही। लेकिन 2014 और 2019 के चुनाव में इस सीट पर क्रमश माकपा और तृणमूल अपनी-अपनी जीत का पताका फहराने में कामयाब हुईं।

विशेषज्ञों का मानना है कि मुर्शिदाबाद निर्वाचन क्षेत्र वास्तव में 2000 के दशक की शुरुआत से ही इनमें से किसी भी पार्टी का गढ़ नहीं रहा है।2019 का जनादेश,इस सीट सीपीएम ने एक बार फिर से इस सीट से बदरुद्दोज़ा खान को टिकट दिया था। टीएमसी ने अबू तहेर खान को यहां से उतारा था, जबकि कांग्रेस ने अबू हेना को टिकट दिया।

बीजेपी ने इस सीट से हूमायूं कबीर को मैदान में उतारा था। 2019 लोकसभा चुनाव में इस सीट से तृणमूल कांग्रेस के अबू ताहिर खान ने जीत हासिल की, उन्हें छह लाख चार हजार 346 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के अबु हेना को तीन लाख 77 हजार 929 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और बीजेपी के हुमायूं कबीर दो लाख 47 हजार 809 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।

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