Kolkata Hindi News, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में चुनावी दंगल तेज हो गया है लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद सभी पार्टियों के उम्मीदवार जोर-जोर से प्रचार प्रसार में जुट गए हैं। इनमें से उत्तर 24 परगना की बारासात लोकसभा सीट खास है। यह इसलिए खास है क्योंकि भारत बांग्लादेश सीमा के करीब है। इसके कुछ हिस्से में बांग्लादेश से आए शरणार्थी समुदाय मतुआ लोग निवास करते हैं जो बड़े पैमाने पर चुनाव परिणाम को प्रभावित करने वाले हैं।
इस बार केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की अधिसूचना जारी कर दी है जिसका असर चुनाव पर पड़ने वाला है। एक तरफ यहां सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ घुसपैठ को बढ़ावा देने और बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को संरक्षण देने के आरोप हैं। वहीं दूसरी ओर कट मनी, भ्रष्टाचार और विकास नहीं होना भी ममता बनर्जी की पार्टी और सरकार के खिलाफ मुद्दा है।
किस पार्टी से कौन हैं उम्मीदवार
बरसात लोकसभा सीट पर इस बार भी सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने मौजूदा सांसद काकोली घोष दस्तीदार को ही टिकट दिया है। वह चुनावी मैदान में उतरकर प्रचार प्रचार भी कर रही हैं। भारतीय जनता पार्टी ने उनके खिलाफ स्वप्न मजूमदार को चुनावी मैदान में उतारा है जो लड़ाकू उम्मीदवार रहे हैं। इन्हीं दोनों के बीच सीधी टक्कर के आसार हैं। फिलहाल इस सीट पर वाममोर्चा या कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार नहीं उतारा गया है।
क्या है भौगोलिक स्थिति?
बारासात पश्चिम बंगाल राज्य के उत्तर 24 परगना जिले का एक शहर और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। यह बारासात सदर उपखण्ड का मुख्यालय भी है। यह क्षेत्र कोलकाता के नजदीक है और कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (केएमडीए) द्वारा कवर किए गए क्षेत्र का एक हिस्सा है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय 19वीं सदी के दौरान 24 परगना के डिप्टी मजिस्ट्रेट हुआ करते थे। पश्चिम बंगाल की बारासात संसदीय क्षेत्र के तहत सात विधानसभाएं आती हैं। इनमें हावड़ा, अशोक नगर, राजरहाट न्यू टॉउन, बिधाननगर, मध्यमग्राम और देगंगा शामिल हैं।
क्या है मतदाताओं की स्थिति?
2011 की भारतीय जनगणना के अनुसार, बारासात की कुल जनसंख्या दो लाख 78 हजार 435 थी, जिनमें एक लाख 40 हजार 822 (51 फीसदी) पुरुष और एक लाख 37 हजार 613 (49 फीसदी) महिलाएं हैं। यहां की साक्षरता दर 76 प्रतिशत है। इस जिले में कपास और बुनाई प्रमुख उद्योग है। यह शहर चावल, फलियां, गन्ना, आलू और नारियल का व्यापार केंद्र भी है।
क्या है राजनीतिक इतिहास?
जब 1952 में देश में पहला आम चुनाव हुआ, तो बारासात लोकसभा सीट को शांतिपुर लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था। उस समय कांग्रेस के प्रत्याशी अरुण चंद्र गुहा चुनाव जीते और लोकसभा पहुंचे थे।
1998 के चुनावों में बारासात संसदीय सीट की तस्वीर बदल गई और तृणमूल कांग्रेस ने पहली बार यहां खाता खोला। तृणमूल कांग्रेस के डॉ. रंजीत कुमार पांजा ने 1998 और 1999 के चुनावों में लगातार जीत हासिल की। यह क्षेत्र तृणमूल कांग्रेस का गढ़ रहा है।
क्या है 2019 का जनादेश
बारासात लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस ने तत्कालीन सांसद काकोली घोष दस्तीदार को ही चुनाव मैदान में उतारा था, वहीं ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक की ओर से हरपद बिस्वास, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मृणाल कांति देवनाथ, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से सुकुमार बाला, कांग्रेस से सुब्रत दत्ता और शिवसेना से बानी चक्रवर्ती चुनाव लड़ रहे थे।
इस सीट से तृणमूल कांग्रेस के काकोली घोष दस्तीदार ने जीत हासिल की, उन्हें छह लाख 48 हजार 444 वोट मिले थे। जबकि भाजपा के मृणाल कांति देवनाथ पांच लाख 38 हजार 275 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के हरपद विस्वास एक लाख 24 हदार 068 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। बारासात लोकसभा सीट पर 81.19 फीसदी वोटिंग हुई थी।
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