मैंने वोट दिया एवं महसूस किया- क्या चुनावी प्रक्रिया में नोटा एवम वीवीपीएटी नाम मात्र है?
चुनावी प्रक्रिया में नोटा एवम वीवीपीएटी को सशक्त, प्रभावी और वजनदार बनाने की दिशा में, चुनाव आयोग को नियमों में परिवर्तन करना जरूरी- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत में लोकसभा 2024 चुनावी महापर्व में प्रथम चरण का मतदान 19 अप्रैल 2024 को संपन्न हुआ, जिसमें 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर अनेक अपीलों के बावजूद केवल कुल एवरेज करीब 60.03 फ़ीसदी मतदान हुआ जो रेखांकित करने वाली बात है। जबकि इस मतदान प्रतिशत को हमें 90 फ़ीसदी के पार लेकर जाना है जिसके लिए हमें इसकी कमियों व चुनावी प्रक्रिया की कमियों को ढूंढना लाजमी भी है। हालांकि अगला मतदान 26 अप्रैल 2024 से 1 जून 2024 तक चलेगा और 4 जून को रिजल्ट घोषित होगा। मैंने आज 19 अप्रैल 2024 के प्रथम चरण में भंडारा गोंदिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में मतदान किया तो मुझे महसूस हुआ कि दो चुनावी प्रक्रियाओं के नियमों में तात्कालिक बदलाव करने की चुनाव आयोग को जरूरत है। सबसे पहले नियम 64 के प्रावधान के अनुसार नोटा के नियम में बदलाव जरूरी है, चुनाव आयोग को इस आशय के नियम बनाने चाहिए कि यदि नोटा को बहुमत मिलता है, तो विशेष निर्वाचन क्षेत्र में हुए चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया जाएगा और निर्वाचन क्षेत्र में नए सिरे से चुनाव कराया जाएगा। उस परिस्थिति में, चुनाव आयोग यह कहते हुए नियम भी बना सकता है कि जो उम्मीदवार पहले चुनाव लड़ चुके हैं, उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए या उन्हें कम से कम कुछ समय के लिए चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिए, जैसा कि चुनाव द्वारा तय किया जा सकता है।
नोटा मतदाताओं के लिए अधिक शक्ति की मांग करते हुए, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने फिर से चुनाव को प्रोत्साहित किया, जब गुजरात विधानसभा चुनाव, 2017 में 5.5 लाख से अधिक मतदाताओं ने नोटा को वोट दिया था। उन्होंने कहा था मेरी राय में, नोटा बहुत अच्छा है; हमें यह कहना चाहिए कि यदि नोटा वोटों के एक निश्चित प्रतिशत को पार कर जाता है; उदाहरण के लिए, यदि विजेता और हारने वाले के बीच का अंतर नोटा वोटों से कम है, तो हम कह सकते हैं कि हमें दूसरे दौर का चुनाव कराना चाहिए। दूसरा वीवीपीएटी का नियम जिनको अब तक चुनाव आयोग प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में किसी भी पांच मतदान केन्द्रों की सभी वीवीपीएटी पर्चियां को गिनती करवाता है, जो अभी मेरा सुझाव है कि सभी 100 फ़ीसदी मतदान केंद्रों की गिनती करवाई जानी चाहिए, ताकि पारदर्शिता व ईवीएम के प्रति लोगों का विश्वास बड़े वैसे इस संबंध में केस सुप्रीम कोर्ट में जा चुका है, नोटिस जारी हो चुके थे और 18 अप्रैल 2024 को 5 घंटे सभी पक्षों की सुनवाई के बाद अब फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। चूंकि मैंने 19 अप्रैल 2024 को मतदान किया और महसूस किया कि हम मतदाता चुनावी प्रक्रिया में नोटा और वीवीपीएटी की कमियों को साझा करें। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, क्या चुनावी प्रक्रिया में नोटा और वीवीपीएटी केवल नाम मात्र है?
साथियों बात अगर हम प्रथम चरण में दिनांक 19 अप्रैल 2024 को मेरे मतदान अनुभव की करें तो, मैं दोपहर 3 बजे अपने पूरे परिवार सहित वोट करके आया जिसमें वोटिंग करते समय मैं वीवीपीएटी पर भी ध्यान दिया वोट सत्यापन प्रणाली (वीवीपीएटी) मतदाता देख सकते हैं कि जिसको ईवीएम में वोट दिया उसको गया या नहीं, वोटिंग देते समय वीवीपीएटी में मेरे वोटिंग वाले प्रत्याशी का इमेज उसमें आया और हॉर्न बजते ही वीवीपीएटी में पर्ची कटी और गिरी ऐसा मैने देखकर महसूस किया। मुझे बहुत अच्छा लगा और महसूस हुआ कि इससे मतदाताओं का विश्वास पूरा बढ़ेगा। मतदान बूथ पर सुरक्षा चाकचौबंद अच्छा दिखा उम्मीद थी। वोटिंग का प्रतिशत बहुत बढ़ेगा लेकिन 56 प्रतिशत के आसपास ही रहा।ईवीएम में जनता का विश्वास बढ़ाने, चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता सुनिश्चित करने वीवीपीएटी पर्चियों का हंड्रेड पर्सेंट मिलान करने को रेखांकित करना अत्यंत ही जरुरी है।
साथियों बात अगर हम नोटा की करें तो, निर्वाचन आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी मामले में नोटा के मतों की संख्या चुनाव में शामिल अन्य उम्मीदवारों के मतों से अधिक हैं, तो नियम 64 के प्रावधान के अनुसार अन्य उम्मीदवारों के बीच जिस उम्मीदवार को अधिक मत मिले हैं, उसे निर्वाचित घोषित किया जाएगा। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार निर्वाचन आयोग द्वारा वोटिंग मशीन में नोटा का भी बटन लगाया जाता है। नोटा का बटन चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के बाद सबसे आखिरी में होता है। यदि कोई मतदाता मतदान केन्द्र में प्रवेश करने के बाद उसकी पहचान सुनिश्चित होने के बाद अपना मत किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में नहीं देना चाहता है, तो उसके लिए उपरोक्त में से कोई नहीं या नोटा के बटन का विकल्प भी रहेगा। इस बटन का उपयोग करने वाले मतदाताओं की गोपनीयता भंग नहीं की जाएगी, बता दें लोकसभा चुनाव के दौरान कोई वोटर मतदान केन्द्र में प्रवेश करने के बाद (पहचान सुनिश्चित होने के बाद) अपना मत किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में नहीं देना चाहता, तो उसके लिए कोई नहीं’ या नोटा के बटन का विकल्प भी रहेगा। इसको दबाने पर किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में मत अंकित नहीं होगा।
साथियों बात अगर हम वीवीपीएटी के रोचक तथ्यों की करें तो वीवीपैट के बारे में रोचक तथ्य…
(1) वीवीपैट पर्ची 7 सेकंड के लिए प्रदर्शित होती है, इसके बाद यह स्वचालित रूप से कट जाती है और वीवीपैट के सीलबंद ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है।
(2) वीवीपीएटी को बैटरी की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि यह पावर पैक बैटरी पर चलता है।
(3) सामान्य तौर पर एक वीवीपैट के वोटों को गिनने में एक घंटे का समय लगता है।
(4) वीवीपीएटी को पहली बार सितंबर 2013 में नागालैंड के तुएनसांग जिलेमें नोकसेन विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में तैनात किया गया था।
(5) वीवीपीएटी में एक प्रिंटर और एक वीवीपीएटी स्टेटस डिस्प्ले यूनिट (वीएसडीयू) होता है।
साथियों बात अगर हम वीवीपीएटी पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता द्वारा राहत मांगने की करें तो, याचिकाकर्ता ने चार राहतें मांगी हैं, (i) प्रतिवादी ईसीआई अनिवार्य रूप से सभी वीवीपैट पेपर पर्चियों की गिनती करके वीवीपैट के माध्यम से मतदाता द्वारा डाले गए रूप में दर्ज किए गए वोटों के साथ ईवीएम में गिनती को सत्यापित करता है; (ii) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और वीवीपीएटी पर अगस्त 2023 के मैनुअल के दिशानिर्देश संख्या 14.7 (एच) को भारत के चुनाव आयोग द्वारा तैयार और जारी किया गया है, जहां तक यह वीवीपीएटी पर्चियों के केवल अनुक्रमिक सत्यापन की अनुमति देता है, जिसके परिणामस्वरूप अनुचित परिणाम मिलते हैं। सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती में देरी; (iii) यह कि ईसीआई मतदाता को वीवीपैट द्वारा उत्पन्न वीवीपैट पर्ची को मतपेटी में डालने की अनुमति देता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदाता का मत ‘रिकॉर्ड के अनुसार गिना गया’ है; और/या (iv) कि उत्तरदाताओं ने वीवीपैट मशीन के शीशे को पारदर्शी बना दिया है और प्रकाश की अवधि इतनी लंबी कर दी है कि मतदाता अपने वोट कट को रिकॉर्ड करने वाले कागज को देख सके और उसे ड्रॉप बॉक्स में डाल सके।
एक राजनीतिक पार्टी ने चुनावों में सभी वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों की गिनती की मांग करने वाली याचिका पर भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को सुप्रीम कोर्ट के नोटिस की सराहना करते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण पहला कदम था। एक्स पर एक पोस्ट में, नेता ने कहा कि वीवीपीएटी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। चुनाव आयोग ने इंडिया गठबंधन के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इंकार कर दिया है। नेता ने कहा कि हमारी मांग थी कि ईवीएम में जनता का विश्वास बढ़ाने और चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए वीवीपीएटी पर्चियों के 100 प्रतिशत मिलान किए जाएं। इस संबंध में यह नोटिस पहला और काफ़ी महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन इसकी सार्थकता के लिए, चुनाव शुरू होने से पहले ही मामले पर निर्णय लिया जाना चाहिए। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की पीठ ने वकील और कार्यकर्ता द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। यह ईसीआई दिशा निर्देशों को चुनौती देता है जिसमें कहा गया है कि वीवीपैट सत्यापन क्रमिक रूप से किया जाना चाहिए,यानी एक के बाद एक, जिससे अनुचित देरी होती है। यह भी तर्क दिया गया कि यदि एक साथ सत्यापन किया गया और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में गिनती के लिए कई अधिकारियों को तैनात किया गया, तो पूरा वीवीपैट सत्यापन केवल पांच से छह घंटों में किया जा सकता है।याचिका में कहा गया है कि सरकार ने तकरीबन 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर करीब 5, हज़ार करोड़ रुपये खर्च किए हैं, लेकिन वर्तमान में लगभग 20, हज़ार वीवीपैट पर्चियां ही सत्यापित हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 17 मई को हो सकती है। वर्तमान में, वीवीपीएटी पर्चियों के जरिये रैंडम तौर पर चुने गए केवल 5 ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के वेरिफिकेशन का नियम।
साथियों बात अगर हम वीवीपीएटी प्रणाली के फायदों और तथ्यों की करें तो…
(1) मतदाता मतदान करने से पहले अपने वोट को सत्यापित कर सकते हैं जिससे चुनावी धोखाधड़ी और धांधली की संभावना को खत्म करने में मदद मिलती है।
(2) वीवीपीएटी प्रणाली मतदाताओं को यह विश्वास दिलाती है कि हर वोट गिना जाता है और यह ईवीएम वोटों के साथ छेड़छाड़ की किसी भी संभावना को खत्म कर देता है।
(3) वीवीपीएटी प्रणाली मतदान प्रणाली की पारदर्शिता के साथ-साथ सटीकता भी सुनिश्चित करती है।
(4) वीवीपीएटी चुनावी धोखाधड़ी और धांधली की संभावना को कम कर सकता है क्योंकि इसमें धोखाधड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि यह मतदाता द्वारा डाले गए वोट की एक कागजी प्रति देता है और मतदाता वोट डालने से पहले अपने वोट की जांच कर सकता है।
(5) वीवीपीएटी एक पेपर ट्रेल है जो चुनावों में होने वाली घटनाओं जैसे गिनती, भ्रष्टाचार के मामलों की जांच आदि में पारदर्शिता सहित अनेक फायदे प्रदान करता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आइए हम मतदाता चुनावी प्रक्रिया में नोटा और वीवीपीएटी की कमियों को साझा करें
मैंने वोट दिया एवं महसूस किया-क्या चुनावी प्रक्रिया में नोटा एवम वीवीपीएटी नाम मात्र है? चुनावी प्रक्रिया में नोटा एवम वीवीपीएटी को सशक्त,प्रभावी और वजनदार बनाने की दिशा में, चुनाव आयोग को नियमों में परिवर्तन करना जरूरी है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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