वाकई, यह बड़ा मुश्किल दौर है दोस्तों। चौतरफा मुसीबतें देश को घेरती जा रही है, जिससे निपटने में फिलहाल राजनैतिक सत्ता नाकाम ही नजर आ रही है। हमारा देश विशाल आबादी वाला राष्ट्र है, जिसकी अधिसंख्य आबादी गरीब है।
कहने का अर्थ यह है कि राष्ट्रीय मसलों पर हर फैसले सोच समझ कर लिए जाने चाहिए लेकिन हो उलटा हो रहा है। शासन व्यवस्था चलाने वालों राजनेताओं ने अपने अविवेक पूर्ण फैसलों से देश को अपनी अग्यानता की प्रयोग शाला बना डाला है। सत्ता परिवर्तन की जनता की तमाम कोशिशें भी अब तक असफल सिद्ध हुई है क्योंकि विकल्प बेहद सीमित है।
ऐसे में जनता के सामने सांप और नाग में एक को चुनने जैसी परिस्थिति है। इस परिस्थिति में देशवासियों को अधिक जिम्मेदार बनना होगा। नागरिकता बोध को निर्णायक मोड़ तक ले जाने के लिए अविलंब कुछ बड़े फैसले लेने होंगे, जिसकी शुरुआत देश का नाम इंडिया के बजाय भारत करने से शुरू होनी चाहिए। यह नाम करोड़ों भारतीयों की इच्छा और चाहत के अनुकूल होगा। आपकी क्या राय है …. ! मेरा मानना है कि देश का नया नामकरण देशवासियों की भावनाओं के अनुकूल तो साबित होगा ही, ज्योतिषी और अंक शास्त्र के लिहाज से भी भारत नाम वैश्विकी मंचों पर देश की स्थिति मजबूत करेंगे। कृपया अपनी राय से अवगत कराएं।