बंगाल में 52 वर्ष बाद फिर से लौट रहा है विधान परिषद, जानें विधान परिषद से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

कोलकाता। Bengal News : राज्य में विधान परिषद (State Legislative Council) गठन के प्रस्ताव पर सोमवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में मुहर लग गई है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो राज्य में विधान परिषद लगभग 52 वर्षों बाद राज्य में वापस आ जाएंगी। विधान परिषद क्या है? इसकी जिम्मेदारी या महत्व वास्तव में कितना है? इसमें कितने सदस्य होते हैं? जाने सब कुछ…

केंद्रीय विधायिका में दो सदन होते हैं : उच्च सदन जिसे राज्यसभा और निचला सदन जिसे लोकसभा कहा जाता है। इसी तरह द्विसदनीय राज्य विधायिका के ऊपरी सदन को राज्य विधान परिषद और निचले सदन को राज्य विधानसभा कहा जाता है।

पूरे देश में वर्तमान में सिर्फ 6 राज्यों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में विधान परिषद है। राज्यसभा और राज्य विधान परिषद के बीच कई समानताएँ हैं।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 171 में कहा गया है कि विधान परिषद के सदस्यों की संख्या राज्य विधान सभा के सदस्यों की संख्या के एक तिहाई से अधिक नहीं होनी चाहिए, साथ ही 40 सदस्यों से कम भी नहीं हो।
राज्यसभा के तरह ही राज्य विधान परिषद का कार्यकाल भी 6 वर्ष का होगा और प्रत्येक दो वर्ष में एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त होंगे।

संसद के ऊपरी सदन की तरह आर्थिक विधेयक को छोड़कर कोई भी विधेयक विधान परिषद में लाया जा सकता है। हालांकि राज्य कैबिनेट केवल विधानसभा के प्रति ही जवाबदेह होती है।

उल्लेखनीय है कि बीते समय में पश्चिम बंगाल में भी विधान परिषद का अस्तित्व था। हालाँकि इसे उस समय की सत्तारूढ़ पार्टी बंगाल कांग्रेस और वामपंथी संयुक्त मोर्चा सरकार द्वारा समाप्त कर दिया गया था। मार्च 1969 में पश्चिम बंगाल विधान परिषद उन्मूलन अधिनियम संसद में पारित किया गया था तथा 1 अगस्त 1969 को राज्य में विधान परिषद भंग कर दी गई थी।

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